जापान करेगा विध्वंसक विरोधी मिसाइल का निर्माण

टोकियो – जापान की समुद्री सीमा के करीब खतरनाक तरीके से आवाजाही करनेवाले विध्वंसकों को लक्ष्य करने के लिए लाँग रेंज विध्वंसक विरोधी मिसाइलों का निर्माण करने का ऐलान जापान ने किया है। ‘ ‘ईस्ट चायना सी’ में सुरक्षा को लेकर स्थिति काफी मुश्किल हुई है और इस स्थिति पर जवाब देना जापान के लिए उतना ही आवश्‍यक बनता है’, ऐसा ऐलान जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने किया है। रक्षामंत्री किशी ने हालाँकि सीधा ज़िक्र नहीं किया है, लेकिन चीन के खतरे की पृष्ठभूमि पर ही जापान अपनी मिसाइलों की मारक क्षमता में बढ़ोतरी कर रहा है, यह ज़ाहिर है।

japan-missilesप्रधानमंत्री योशिहिदे शुगा ने सरकार स्थापित करने के बाद पहली बार जापान की रक्षा नीति में बड़ा बदलाव किया है। इसके अनुसार जापान, विध्वंसक एवं लड़ाकू विमान से दागे जानेवाले लंबी दूरी के मिसाइलों का निर्माण करेगा। जापान के रक्षाबलों के बेड़े में पहले से ही शामिल मिसाइलों की मारक क्षमता में बढ़ोतरी की जाएगी। इस वजह से ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र के द्विपों की सुरक्षा के लिए जापान के बेड़े में मौजूद मिसाइलों की ताकत बढ़ेगी, यह दावा किया जा रहा है।

जापान के रक्षामंत्री किशी ने भी रक्षा नीति के इस बदलाव की जानकारी साझा की। इसके लिए रक्षामंत्री किशी ने, ओकिनावा द्विप एवं ‘ईस्ट चायना सी’ के क्षेत्र में होनेवाले जापान के द्विपों की सुरक्षा के लिए बने खतरों की याद दिलाई। इससे पहले जापान ने ओकिनावा द्विपों पर मौजूद अड्डे पर, २०० किलोमीटर दूरी तक हमला करनेवाले विध्वंसक विरोधी मिसाइलों की तैनाती की हैं। ऐसी स्थिति में, लंबी दूरी के मिसाइल प्राप्त होने से जापान के लिए ‘ए२एडी’ यानी ‘एन्टी एक्सेस एरिया डिनायल’ समुद्री क्षेत्र में जारी विदेशी जहाज़ों की स्वैर आवाजाही को रोकना संभव होगा, यह दावा जापान के रक्षामंत्री ने किया।

japan-missilesइसके अलावा चीन के अड्डों तक हमला करने मे सक्षम क्रूझ मिसाइलों का निर्माण करने की दिशा में जापान की कोशिश शुरू है। हवा से ज़मीन पर हमला करनेवाले मिसाइलों का निर्माण करने की कोशिश भी जापान करेगा। उत्तर कोरिया के मिसाइल अड्डों को लक्ष्य करने के लिए संबंधित मिसाइलों का इस्तेमाल करना संभव होगा, ऐसें संकेत जापान ने दिए हैं। इसके साथ ही, जापान के नए विध्वंसकों पर पुराने ‘एजिस’ राड़ार के बजाय अतिप्रगत ‘एजिस’ राड़ार यंत्रणा तैनात की जाएगी, यह जानकारी भी जापान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार के दिन साझा की।

japan-missiles‘ईस्ट चायना सी’ में स्थित सेंकाकू द्विपों के साथ कुछ क्षेत्र पर अपना मालिकाना हक होने का दावा चीन कर रहा हैं। इन द्विपों के क्षेत्र में विध्वंसक, तटरक्षकबलों के जहाज़ एवं मछुआरों की नौकाएँ रवाना करके चीन हमेशा जापान को चुनौती देता रहा है। बीते सप्ताह में इसी समुद्री क्षेत्र में जापान के द्विपों को चीन के विध्वंसकों से खतरा होने का बयान जापान के रक्षामंत्री ने किया था। चीन के रक्षामंत्री साथ हुई बैठक में सेंकाकू द्विपों पर जापान का ही सर्वभूम अधिकार होने की बात किशी ने ड़टकर कही थी। इन द्विपों की समुद्री सीमा में चीन की हुई घुसपैठ को और इस मसले पर चीन कर रहें खुलासों का कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे, यह चेतावनी किशी ने दी थी।

इसी बीच, दो दिन पहले रक्षामंत्री किशी ने स्वतंत्र एवं मुक्त ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में सहयोग करने के लिए जर्मनी भी अपने विध्वंसक इस समुद्री क्षेत्र में रवाना करें, यह आवाहन किया था। ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सहयोग जारी है और ब्रिटेन एवं फ्रान्स ने भी अपने युद्धपोत इस क्षेत्र की दिशा में रवाना किए हैं। भारत-अमरीका एवं मित्रदेशों की इन गतिविधियों पर चीन ने नाराज़गी व्यक्त की थी। ऐसी स्थिति में जापान ने जर्मनी को भी इस क्षेत्र में अपना विध्वंसक रवाना करने के लिए आमंत्रित करके चीन का सिरदर्द बढ़ाया हुआ दिखाई दे रहा है।

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