चीन की विस्तारवादी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर जापान अपना रक्षाखर्च बढ़ाकर ५० अरब डॉलर्स करेगा

china-extremism-japan-1 टोकियो/बीजिंग – चीन ने बीते कुछ वर्षों से लगातार बढ़ाई अपनी विस्तारवादी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए जापान ने फिर से अपना रक्षाखर्च बढ़ाने के संकेत दिए हैं। जापान के रक्षा मंत्रालय ने रक्षाखर्च बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को पेश किया है और इसके अनुसार २०२२ के लिए ५० अरब डॉलर्स से अधिक प्रावधान करने की माँग रखी है। प्रगत ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमान, विध्वंसकों का आधुनिकीकरण एवं अंतरिक्ष की सुरक्षा के लिए अधिक रकम की ज़रूरत होने का बयान रक्षा मंत्रालय ने किया है। चीन ने बीते कुछ महीनों से साउथ चायना सी समेत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी वर्चस्ववादी गतिविधियाँ काफी तेज़ की हैं। साउथ चायना सी एवं ईस्ट चायना सी पर पूरा कब्ज़ा करने की महत्वाकांक्षा इसके पीछे है। जापान की समुद्री सीमा का हिस्से वाले ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में चीन के विमान, युद्धपोत और गश्‍तपोत लगातार प्रवेश करके मौजूदा स्थिति में बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका जापान ने गंभीरता से संज्ञान लिया है और चीन की गतिविधियों पर प्रत्युत्तर देने के लिए जोरदार तैयारी जुटाना शुरू किया है।

china-extremism-japan-2जापान ने बीते वर्ष अपनी रक्षा नीति में चीन का बतौर ‘सिक्युरिटी थ्रेट’ ज़िक्र किया था। इसके बाद वर्तमान वर्ष में जारी किए गए ‘व्हाईट पेपर’ में ताइवान की सुरक्षा एवं स्थिरता का मुद्दा तीव्रता से रखकर चीन के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया था। इस पृष्ठभूमि पर रक्षाखर्च बढ़ाने के लिए पेश किया गया यह प्रस्ताव अहमियत रखता है। जापान की सरकार ने रक्षाखर्च बढ़ाने को मंजूरी प्रदान की तो जापान के रक्षाखर्च में बढ़ोतरी होने का यह लगातार दसवां अवसर होगा। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने वर्ष २०१२ में पदभार संभालने के लिए देश के रक्षाखर्च में बढ़ोतरी की थी। उनके नेतृत्व में जापान ने लगातार आठ वर्ष तक रक्षाखर्च बढ़ाकर अपनी रक्षा नीति अधिक से अधिक आक्रामक की थी।

एबे के बाद प्रधानमंत्री बने योशिहिदे सुगा ने भी यही नीति कायम रखकर इस वर्ष रक्षाखर्च में बढ़ोतरी की थी। अगले वर्ष भी यही नीति बरकरार रह सकती है, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिए हैं।

बीते वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में २.६ प्रतिशत अधिक निधी की माँग करने की जानकारी जापान के रक्षा सूत्रों ने प्रदान की। अमरीका से खरीदे जा रहे ‘एफ-३५’ विमान, अंतरिक्ष की सुरक्षा के नज़रिये से विकसित की जा रही ‘लेज़र’ प्रणाली एवं उपग्रह, ‘स्पेस ऑपरेशन्स ग्रूप’ का दूसरा स्क्वाड्रन और स्वदेशी लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए काफी बड़ी निधी इस्तेमाल की जाएगी, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने कहा है। विमान वाहक युद्धपोत, प्रगत मिसाइल और राड़ार यंत्रणा का भी इस प्रस्ताव में समावेश होने की बात कही जा रही है।

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