चीन और अन्य देशों के बीच जापान दरार ना डाले – चीन की फटकार

बीजिंग – ‘चीन के अन्य देशों के साथ संबंध बिगाड़ने की कोशिश जापान ना करे और चीन को बदनाम ना करे’, ऐसी माँग चीन के विदेश मंत्रालय ने की है। जापान और इंड़ोनेशिया के बीच बीते हफ्ते हुई ‘टू प्लस टू’ बैठक में जापान ने साउथ चायना सी क्षेत्र की अस्थिरता के लिए चीन ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया था। सीधे नाम लेने से दूर रहकर जापान ने की हुई आलोचना चीन की चिंता का विषय बना हुआ दिख रहा है। ‘जापान अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संकेतों का पालन करे। जापान के माध्यम भी संघर्ष को उकसानेवाला दुष्प्रचार करने से दूर रहे’, ऐसा इशारा चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने दिया है।

japan-china‘चीन और अन्य देशों में दरार डालने की कोशिश जापान ना करे। अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़े बुनियादी निकषों का पालन करे और चीन की निंदा करना बंद करे। साथ ही चीन-जापान संबंधों के हित सुरक्षित रखने के लिए पुख्ता कदम उठाए’, इन शब्दों में विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने जापान को फटकार लगाई। इस दौरान उन्होंने जापान के प्रसार माध्यमों को भी कटघरे में खड़ा किया। जापान के माध्यम अपनी ज़िम्मेदारी पहचानकर व्यावसायिक नैतिकता का पालन करें, ऐसी सलाह भी चुनयिंग ने दी। साथ ही क्षेत्रिय देशों के बीच तनाव निर्माण करना और उकसाना बंद करें और इससे संबंधित दुष्प्रचार ना करें, यह इशारा भी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दिया।

japan-chinaजापान और चीन के संबंधों के बीच बीते कुछ वर्षों से बड़ा तनाव निर्माण हुआ है। साउथ चायना सी क्षेत्र की तरह ही ईस्ट चायना सी क्षेत्र के द्विपों पर अधिकार जता रहे चीन के खिलाफ जापान आक्रामक हुआ है। ईस्ट चायना सी समेत तैवान, उइगरवंशी, हाँगकाँग, म्यांमार जैसे कई मुद्दों पर जापान ने लगातार चीन को लक्ष्य कर रहा है। म्यांमार में हुए लष्करी विद्रोह के पीछे चीन का ही हाथ होने का आरोप जापान के खुलेआम लगाया था।

तो दूसरी ओर, जापान ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंध अधिक मजबूत करने के लिए कदम उठा रहा है। इसमें ‘क्वाड’ के माध्यम से भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग बढ़ाने के साथ ही ‘आसियान’ सदस्य देशों को आर्थिक, राजनीतिक और लष्करी स्तर पर सहयोग करने के लिए पहल करने का समावेश है। जापान की इन बढ़ती गतिविधियों की वजह से चीन बहुत ज्यादा बेचैन हो रहा है और चीन के विदेश मंत्रालय की प्राप्त प्रतिक्रिया इसी का संकेत देती है।

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