चीन के बढ़ते खतरे की पृष्ठभूमि पर जापान की सुरक्षा विषयक नीति में आक्रामक बदलाव

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टोकिओ – दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पिछले ७० वर्षों से जापान ने अपनाई बचावात्मक सुरक्षाविषयक नीति में परिवर्तन करने की घोषणा जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने की है। पूर्व आशिया में चीन और उत्तर कोरिया के बढ़ते खतरे की पृष्ठभूमि पर जापान के लिए बचावात्मक नीति मुनासिब नहीं होगी, ऐसी चेतावनी एबे ने दी है। पहले से ही जापान की लष्करी नीति की आलोचना करने वाले चीन की तरफ से इस पर प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

दो दिनों पहले चीन ने ‘लिओनिंग’ यह विमान वाहक युद्धपोत परीक्षण के लिए ‘येलो सी’ और आसपास के समुद्री क्षेत्र में रवाना किया था। उसीके साथ ही चीन के लड़ाकू विमानों ने जापान के ‘सेंकाकू’ द्वीप समूहों की सीमा में घुसपैठ करने की जानकारी भी सामने आई थी। जापान ने लड़ाकू विमानों को रवाना करके चीन की घुसपैठ को जवाब दिया है।

चीन की इस बढती लष्करी आक्रामकता की पृष्ठभूमि पर, दो दिनों पहले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने रक्षा दल के लगभग १८० अधिकारियों के साथ चर्चा की है। इस दौरान जापान के रक्षा दलों को खुलकर समुद्री क्षेत्र में कार्रवाई करना संभव हो, इसके लिए अपनी सरकार कदम उठाने वाली है, ऐसा एबे ने कहा था।

‘पिछले दशक भर से जापान के सामने खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में, जापान के रक्षा दलों को अपनी भूमिका सटीक रूपसे निभानी आ सके, उसके लिए आवश्यक रक्षा नीति लागू करना यह जापान के हर नेता की जिम्मेदारी है। जापान के प्रधानमंत्री के तौर पर मै यह जिम्मेदारी निश्चित रूपसे निभाऊंगा, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री एबे ने जापान की ७० साल पुरानी रक्षा विषयक नीति में घटनात्मक बदलाव करने के संकेत दिए हैं।

एबे ने इसके पहले भी जापान की बचावात्मक सुरक्षा विषयक नीति में ऐतिहासिक बदलाव करने की घोषणा की थी। जापान के रक्षा दल आक्रामक सुरक्षा विषयक नीति को लागू करने के लिए तैयार रहे, ऐसा एबे ने सुझाव दिया था। जापान की इस नीति का अमरिका ने स्वागत किया था। साथ ही जापान ने अन्य क्षेत्र में अपना सैनिकी सहभाग बढ़ाना चाहिए, ऐसा अमरिका ने आवाहन किया था। इसके लिए अमरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान पर लगाए प्रतिबन्ध हटाने की घोषणा भी की थी।

लेकिन जापान की इस घोषणा की आलोचना करके सदर गतिविधियाँ मतलब अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है, ऐसा आरोप चीन ने किया था। साथ ही जापान की इस नीति की वजह से इस क्षेत्र में अस्थिरता फैलेगी, ऐसी चीन ने चेतावनी दी थी।

इसीके साथ ही सदर क्षेत्र के देशों को जापान चीन के खिलाफ उकसा रहा है, ऐसा आरोप भी चीन के नेता और सरकारी मीडिया लगातार कर रहे है।

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