जम्मू-कश्मीर में उपचुनाव के दौरान हिंसाचार; छह लोगों की मौत, सौ से ज़्यादा लोग घायल

श्रीनगर, दि. ९ : जम्मू-कश्मीर के उपचुनाव में हुए हिंसाचार में छह लोगों की मौत हुई और दो सौ से अधिक हिंसक घटनाओं को दर्ज़ किया गया है| जमाव के हमलें में सुरक्षाकर्मियों के सौ जवानों के घायल होने की खबर है| इसका असर चुनाव पर हुआ है, ड़र की वजह से मतदाताओं ने चुनाव की ओर पीठ फेर दी है ऐसा लग रहा है| इसके साथ ही, अलगाववादी नेता और संगठन जनता को उक़साने का काम करके यहाँ की शांति और सुव्यवस्था को चुनौती देने के लिए जानतोड़ कोशिश कर रहे हैं|

उपचुनावसन २०१४ में लोकसभा चुनाव में, श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर आये ‘पिपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी’ (पीडीपी) के सदस्य तारिक अहमद कारा के इस्तीफा देने से इस निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव आयोजित किया गया था| पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हुए अलगाववादी संगठन और नेताओं ने इस चुनाव को लक्ष्य बनाने का फैसला कर, इसके खिलाफ जनता को उक़साने का काम किया था| साथ ही, आतंकवादी संगठनों ने भी इस चुनाव के विरोध में धमकियाँ दी थीं| जनता इस चुनाव का बहिष्कार करें, ऐसी चेतावनी देनेवाले पोस्टर्स आतंकवादी संगठनों ने लगाये थे|

इस पृष्ठभूमि पर, बड़गाम जिले के ‘चरार-ए-शरीफ’ के पाखेरापुरा में अलगावावदियों ने मतदान केंद्र पर ज़ोरदार हमला किया| वहीं, गांदेरबल स्थित मतदान केंद्र पर पेट्रोल बम फेंके गये| मतदान केंद्र पर हमला करनेवाले सैकडों की तादात में आये थे, ऐसा कहा जाता है| बडगाम ज़िले में २०० जगहों पर हिंसक वारादातें दर्ज की गई हैं| राज्य में दर्ज़ की गई जगहों पर पथराव और आग लगने की खबर है| पुलिस द्वारा की गयी कार्रवाई में करीब छह लोगों की जानें गई हैं| अलगाववादी भीड़ के निदर्शन तीव्र होने के कारण कुछ जगहों पर हालात काबू में लाने के लिये सेना को बुलाना पड़ा, ऐसी खबर है|

मतदान के लिए बाहर निकलनेवाले नागरिकों को उस भीड़ ने रोककर उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर देने की खबर है| इसका असर मतदान पर हुआ है और कुल मिलाकर केवल साढेछह प्रतिशत मतदान ही दर्ज़ किया गया है| पिछले ३० सालों में जम्मू-कश्मीर में हुआ यह सबसे कम मतदान है और यह ख़तरनाक बात मानी जाती है| सन २०१४ में हुए चुनावों में यहाँ के निर्वाचित क्षेत्र में २६ प्रतिशत मतदान ही दर्ज किया गया|

इस बुधवार अनंतनाग जिले में लोकसभा के उपचुनाव होनेवाले हैं| लेकिन रविवार को हुए हिंसाचार के बाद यह चुनाव खतरे में पड़े दिखाई दे रहे हैं|

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