जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का इस्तीफा

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को राज्यपाल एन.एन.वोहरा के पास अपना इस्तीफा सौपा है| महबूबा मुफ्ती के ‘पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’(पीडीपी) के सरकार को दिया समर्थन पीछे लेने की घोषणा भारतीय जनता पक्ष (भाजपा) ने करने के बाद मुफ्ती ने यह निर्णय लिया है| राजधानी नई दिल्ली में भाजपा के नेताओं ने मुफ्ती के सरकार का समर्थन वापस लेने की घोषणा की थी|

सन २०१४ में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में किसी भी पक्ष को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था| पर पीडीपी २८ जगहों पर जीत कर सबसे बड़ा पक्ष बना था| भाजपा को २५जगहों पर जीता था| उसके बाद दोनों पक्ष ने संगठन करके जम्मू कश्मीर में सत्ता स्थापित की थी| अपने पक्ष ने सरकार स्थापन करने का निर्णय सत्ता के लिए नहीं किया था बल्कि राज्य में शांति प्रस्थापित करने के लिए यह निर्णय था, ऐसा दावा महबूबा मुफ्ती ने अपने इस्तीफे के बाद पत्रकारों से बोलते हुए स्पष्ट किया है|

जम्मू-कश्मीर, मुख्यमंत्री, महबूबा मुफ्ती, इस्तीफा, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, समर्थन, श्रीनगर, विधानसभाजम्मू कश्मीर में संघर्षबंदी, पाकिस्तान के साथ चर्चा और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी सरकार आग्रही थी, ऐसा कहकर अपनी सरकार ने पत्थर फेंकनेवाले ११ हजार युवकों के खिलाफ दर्ज की ‘एफआयआर’ वापस ली थी, इसकी याद दिलाई है| इस संदर्भ में अपने पक्ष की भूमिका आज भी कायम होने की बात मुफ्ती ने उस समय कहीं है| तथा नई दिल्ली में पत्रकार परिषद में बोलते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने, अपने पक्ष को जम्मू कश्मीर में अपेक्षित कार्य संभव ने होने की वजह से सरकार का यह समर्थन पीछे लेने का दावा किया है|

‘जम्मू कश्मीर भारत का अविभाज्य भूभाग है और इस राज्य का नियंत्रण अब राज्यपाल के पास होना आवश्यक है’, इसका एहसास होने के बाद अपने पक्ष ने सरकार का समर्थन वापस लिया है, ऐसा भाजपा के नेताओं ने स्पष्ट किया है| वर्तमान स्थिति में इस राज्य में संगठित सरकार चलाना राष्ट्रीय हित के दृष्टि से नहीं था, ऐसा दावा जम्मू कश्मीर के भाजपा के नेताओं ने किया है| दौरान जम्मू कश्मीर में ‘नेशनल कांफ्रेंस’ एवं कांग्रेस इन दोनों पक्षो ने सरकार स्थापित करने के लिए किसी को भी समर्थन देने से इंकार किया है| इसकी वजह से यह राज्य फिलहाल राज्यपाल के नियंत्रण में रहेगा|

पिछले ४० वर्षों में राजनैतिक दुविधाओं की वजह से ८ बार जम्मू कश्मीर राज्यपाल के नियंत्रण में आया है| रमजान के पृष्ठभूमि पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवादियों के विरोध में कार्रवाई रोककर संघर्ष बंदी की घोषणा की थी| पर इसका फायदा लेकर आतंकवादियों ने तथा विद्रोहियों ने इस राज्य में अपनी कारवाईया बढ़ाई थी| इसी समय सुरक्षा दल पर हमले भी बढ़े थे| इसकी वजह से यह संघर्ष बंदी का अवधि ना बढ़ाए, ऐसी मांग गुप्तचर विभाग एवं लष्कर ने की थी| उसके बाद संघर्षबंदी नियंत्रण में लाते हुए, आतंकवादियों के खिलाफ कडी कारवाई की जा रही थी|

इन मुद्दों पर जम्मू-कश्मीर के सरकार में दोनों पक्ष के बीच मतभेद बढे है, ऐसा कहा जा रहा है| तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल ने इन गतिविधियों के पृष्ठभूमि पर प्रमुख नेताओं की भेंट करने की बात सामने आई थी| इसकी वजह से जम्मू कश्मीर में यह राजनीतिक उथलपुथल के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों का प्रभाव होता दिखाई दे रहा है|

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