०५. जेकब का लॅबान के घर वास्तव्य; जेकब की शादियाँ

एसाऊ के मन में जेकब के प्रति होनेवाली बदले की भावना को रिबेका भली-भाँति जानती थी। इस कारण उसने, जेकब के लिए पत्नी की खोज करने का बहाना बनाकर, आयझॅक की अनुमति से जेकब को हरान नगरी स्थित अपने भाई – लॅबान के पास भेज दिया। बीच रास्ते में ही एसाऊ द्वारा भेजे गये हमलावरों ने जेकब को पकड़ लिया, लेकिन उसके पास की सभी मूल्यवान चीज़वस्तुएँ लेकर और एसाऊ को दिखाने के लिए उसका कुर्ता लेकर उसकी जान बक्ष दी। भगवान का शुक्रिया अदा कर जेकब अगले स़फ़र पर निकला। रात को बीच रास्ते में कॅनान की सीमाओं के भीतर ही एक जगह थककर जब वह सो गया, तब उसने एक सपना देखा। सपने में उसे, स्वर्ग में जानेवाली सीढ़ी दिखायी दी, जिसपर से देवदूत आवाजाही कर रहे थे। इस सीढ़ी की सबसे ऊपरी पायदान पर खड़े रहकर ईश्‍वर ने उसे दृष्टांत दिया और अब्राहम तथा आयझॅक को दिये अभिवचन की पुनरावृत्ती करके, ‘तुम अब जहाँ पर हो, वही भूमि मैं तुम लोगों को प्रदान करनेवाला हूँ’, ऐसा कहा।

जेकब की शादि

सुबह इस सपने के बारे में सोचते हुए ही जब नींद खुल गयी, तब जेकब ने भगवान का शुक्रिया अदा किया और जिस पत्थर पर सिर रखकर वह सो गया था, उस पत्थर को संग्रहित कर रखने का अभिवचन भगवान को दिया (‘स्टोन ऑफ़ जेकब’)। साथ ही, जहाँ पर दृष्टांत हुआ था, उस स्थान को ‘बेथेल’ (‘हाऊस ऑफ़ गॉड’) यह नाम दिया।

जेकब लॅबान की नगरी में पहुँच गया। वहाँ पहुँचते ही उसकी मुलाक़ात वहाँ के गड़रियों (शे़फ़र्ड्स) से हुई। वहाँ के चरानों में एक कुआँ था, लेकिन उसके मुख पर एक लंबा-चौड़ा वज़नदार पत्थर रखा था। वहाँ भेड़ों के कुछ झुंड कतार में खड़े किये गये थे। ‘इतना दिन चढ़ने पर भी भेड़ों को पानी क्यों नहीं पिलाया जा रहा है’ ऐसा जब जेकब ने उन्हें पूछा, तब – ‘अभी तक सभी गड़रिये अपने अपने भेड़ों के झुँड लेकर नहीं पहुँचे हैं। सभी गड़रिये इकट्ठा होने के बाद, सबकी एकत्रित ताकत लगाकर ही इस पत्थर को हटाया जा सकता है, उसके बाद ही ये भेड़ कुएँ का पानी पी सकते हैं और उसके बाद ही उन्हें चराने के लिए छोड़ा जाता है’ ऐसी जानकारी जेकब को उनसे मिली। तब तक जेकब के मामा के – लॅबान के भेड़ों के झुँड लेकर उसके गड़रियों के साथ उसकी बेटी ‘राचेल’ भी वहाँ पहुँच गयी थी।

तब – कई गड़रियों द्वारा एकत्रित प्रयास किये जाने पर ही हटाया जानेवाला वह पत्थर, जेकब ने अपनी पूरी ताकत लगाकर अकेले ने ही दूर किया और भेड़ों को पानी पीने देने की शुरुआत करने के लिए कहा। इसकी यह प्रचंड ताकत की करतूत लॅबान की बेटी ने – राचेल ने भी देखी थी। वह अपना फ़ुफ़ेरा भाई जेकब है, यह जान जाने पर उसने दौड़ते ही घर जाकर, जेकब आया होने की ख़बर अपने पिता को दी।

लॅबान तक जेकब के घराने की ख़्याति पहले से ही पहुँची होने के कारण, लॅबान उसका स्वागत करने दौड़ा चला आया। वह स्वभाव से ख़ुदगर्ज़ था। भगवान का वरदहस्त माथे पर रहनेवाले वंश में जन्मा जेकब जबतक अपने घर में है, तब तक अपने घर में दिनदुगुनी रातचौगुनी बरकत होनी ही रहेगी, यह चालबाज़ लॅबान ने पहचान लिया। उसने जेकब को अपने घर में ही ठहरने का आमंत्रण दिया। जेकब ने महीने भर के लिए उसके घर में वास्तव्य किया। इसी दौरान उसने प्रचंड मेहनत करके, लॅबान के बड़े बड़े भेड़ों के झुँड पालने में उसकी मदद की। उसके काम पर ऊँगली उठाने का मौक़ा ही वह नहीं देता था। ‘वह शादी के लिए लड़की ढूँढ़ने आया है और राचेल उसे भायी है और राचेल को भी वह पसन्द आया है’ यह बात जान जाने पर लॅबान ने एक चाल चली। उसने प्यार का ढोंग करके जेकब से कहा कि ‘तुम मेरे भाँजे हो इसका मतलब यह नहीं है कि तुम मुफ़्त में काम करो। तुम्हें तुम्हारे काम का मुआवज़ा लेना ही पड़ेगा।’ तब जेकब ने राचेल के साथ शादी करने की इच्छा लॅबान के पास व्यक्त की। लेकिन तत्कालीन परिपाटि के अनुसार ‘अदायगी’ के तौर पर अपनी वाग्दत्त वधू के परिवार को देने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था। इसलिए उसके बदले में लॅबान के घर सात साल नौकरी करने की शर्त जेकब ने मान ली। वह लॅबान के घर में ही रहने लगा। लॅबान के अनुमान के अनुसार वाक़ई उन सात सालों में लॅबान के घर की प्रचंड बरकत हुई।

सात साल पूरे हो जाने के बाद जेकब की राचेल के साथ बाक़ायदा शादी हो गयी। लेकिन उस समय भी चालबाज़ लॅबान ने कपट करते हुए, वधू के भेस में राचेल के बदले अपनी बड़ी बेटी ‘लीह’ को खड़ा किया। शादी के बाद जब जेकब को इस बात का पता चला, तब उसने लॅबान से इसका जवाब माँगा। उसपर – ‘हमारे प्रदेश में बड़ी बहन से पहले छोटी की शादी करने की परिपाटि नहीं है’ ऐसा उसने कहा और ऊपर से यह भी कहा कि ‘यदि तुम राचेल से शादी करना चाहते हो, तो अब भी कर सकते हो। लेकिन उसके लिए तुम्हें और सात साल मेरे घर में नौकरी करनी होगी।’ जेकब ने मजबूरन् उसे ‘हाँ’ कह दिया।

कुछ ही दिनों में जेकब की राचेल से भी शादी हो गयी। लेकिन लॅबान की शर्त के अनुसार जेकब और सात सालों तक लॅबान के घर में नौकरी करता रहा। साथ ही, लॅबान ने उन दोनों के साथ दासियों के तौर पर भेजी हुईं झिल्पाह और बिल्हाह इन दोनों से भी (लीह एवं राचेल के लिए बच्चों को जन्म देने के लिए ‘सरोगेट’ माताओं के रूप में) जेकब ने शादियाँ की। इसी दौरान लीह से उसे रुबेन, शिमॉन, लेवी, ज्युडाह, इसाचर, झेबेलुन ये छः पुत्र और दिनाह यह कन्या हुई। बिल्हाह से उसे डॅन और नॅफ्ताली ये पुत्र और झिल्पाह से उसे गॅड और अशर ये पुत्र हुए। लेकिन राचेल की अभी तक कोई भी संतान नहीं हुई थी। ऐसा होने के बावजूद भी राचेल ही जेकब की प्रिय पत्नी थी। राचेल ने सात साल बाद बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम ‘जोसेफ़’ रखा गया।

जोसेफ़ के जन्म के बाद धीरे धीरे जेकब को यह एहसास होने लगा की ‘अब मैं का़फ़ी अरसे से अपने घर से दूर रहा हूँ और मुख्य बात यह है कि मैं यहाँ पर ग़ुलामी में ही हूँ। तो अब मुझे अपने खुद के घर, अपने पिता के पास लौट जाना चाहिए।’ फ़िर उसने लॅबान के पास वैसी इच्छा ज़ाहिर की। फ़िर भी लॅबान ने मीठी मीठी बातें करके, उसे अपने झुँडों में तथा अन्य व्यवहारों में साझेदार बनाने के आश्‍वासन देते देते, और छः साल वहीं रहने के लिए उसे मजबूर कर दिया। हालाँकि इन व्यवहारों में भी लॅबान ने जेकब को ठगा था, मग़र फ़िर भी जितने भेड़ जेकब को मिले, उनमें भगवान की कृपा से तेज़ी से वृद्धि होकर अल्प-अवधि में ही उसके झुँड सबसे बड़े बन गये; जो अन्य चरवाहों के लिए अचंभे की और लॅबान एवं उसके बेटों के लिए मत्सर की बात थी। लॅबान के बेटे अब जेकब से अधिक ही जलने लगे थे।

आख़िरकार जेकब ने – ‘यदि मैं लॅबान की अनुमति लेकर यहाँ से निकला, तो वह उसमें यक़ीनन ही कुछ न कुछ अड़ंगा डालने की कोशिश करेगा’ यह जानकर, अच्छा मौक़ा मिलते ही, लॅबान को न बताते हुए ही रात के अँधेरे में वहाँ से निकलने का तय किया; दरअसल भगवान ने ही उसे दृष्टांत देकर यह फ़ैसला करने के लिए कहा, ऐसा उल्लेख कुछ जगहों पर प्राप्त होता है।

वैसा मौक़ा जेकब को जल्द ही मिला। एक बार लॅबान कुछ काम के सिलसिले में बाहरगाँव गया था, तब लीह, राचेल और अपने सभी बच्चों को लेकर, साथ ही जमा किया हुआ सब पैसा, वस्त्र-अलंकार, भेड़ों के झुँड आदि सारीं मालिक़ियत की चीज़ें साथ लेकर जेकब रात के अँधेरे में ही लॅबान के घर से निकला और कॅनान के मार्ग पर चल पड़ा। राचेल इस समय दूसरी बार गर्भवती थी। लॅबान के घर अनेक-दैवत-पूजन प्रचलित था और राचेल भी इसी वातावरण में पली-बढ़ी थी। इस कारण वहाँ से निकलते हुए मोह में फ़ँसकर राचेल ने उन देवताओं में से एक देवता की मूर्ति अपने साथ ले ली।

यहाँ पर बाहरगाँव से लौटने के बाद, जेकब और ये सभी लोग घर से ग़ायब हुए हैं, यह बात लॅबान की समझ में आते ही उसने उनकी खोज करने के लिए अपने आदमी भेजे। ये सभी लोग कॅनान की दिशा में गये, ऐसी ख़बर मिलते ही उनका पीछा करना शुरू किया। अपने घर की देवता की मूर्ति भी ग़ायब हुई है, यह भी उसकी समझ में आ चुका था। ये सारे लोग कॅनान की सीमा के नज़दीक पहुँच ही रहे थे कि तभी लॅबान जेकब के लोगों तक पहुँच गया। लेकिन उससे पहले की रात उसे सपना आकर, सपने में भगवान ने दर्शन देकर, जेकब को किसी भी प्रकार की हानि न पहुँचाने के बारे में उसे चेतावनी दी थी, ऐसी कथा बतायी जाती है।

(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

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