शरणार्थीयों के मसले पर मतभेद मिटाने के लिए यूरोपीय संघ की आपत्कालीन बैठक

ब्रुसेल्स: शरणार्थियों के मसले पर यूरोपीय संघ में पैदा हुई दुही मिटाने के लिए जर्मनी और फ्रान्स द्वारा जोरदार कोशिशें शुरु हो चुकी है| इसी लिए, रविवार को ब्रुसेल्स में संघ की एक आपत्कालीन ‘मिनी समिट’ का आयोजन किया गया है, ऐसी जानकारी संघ के प्रमुख जीन क्लॉड जंकर ने दी| इस बैठक को, अगले हफ्ते होनेवाले मुख्य बैठक के पहले शरणार्थियों के मसले पर एकमत हासिल करने का प्रयास माना जा रहा है| जर्मनी और फ्रान्स के साथ करीब १० देशों के प्रमुख उपस्थित रहेंगे, ऐसा दावा सूत्रों द्वारा किया जा रहा है|

पिछले कई दिनों में यूरोप के प्रमुख देशों में शरणार्थियों के खिलाफ भूमिका ज्यादा आक्रामक होती दिखाई दे रही है| हंगेरी और ऑस्ट्रिया द्वारा शरणार्थियों को रोकने के लिए दी गई चेतावनी, इटली द्वारा शरणार्थियों के बोट को नाकारना और जर्मनी में चैन्सेलर मर्केल को सहकारी दल ने शरणार्थियों को रोकने के बार में दी धमकी से यूरोप का वातावरण उलथपुलथ हो गया है| इस घटनक्रम की वजह से शरणार्थियों को यूरोप के द्वार खुले कर देनेवाली जर्मन चैन्सेलर अँजेला मर्केल के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खडे हुए है| उसे बचाने के लिए उन्होंने जबरदस्त कोशिशें शुरु की है|

अगले हफ्ते २८ और २९ जून को यूरोपीय संघ की शरणार्थियों के मसले पर निर्णायक बैठक है| इस बैठक में यूरोपीय संघ शरणार्थियों के बारे में नीति सुनिश्‍चित करेगा| यूरोपीय संघ के कुछ प्रमुख देशों द्वारा पहले ही शरणार्थियों के खिलाफ कठोर भूमिका ली गयी है| इस से २८ जून को होनेवाली बैठक तूफानी होने के संकेत मिले है| इसी के साथ यूरोपीय संघ द्वारा अमल की जा रही ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ तथा ‘कोटा सिस्टिम’ पर बंदी की संभावना भी जतायी जा रही है|

यह संभावना ध्यान में रखते हुए शरणार्थियों का समर्थन करनेवाले जर्मनी और फ्रान्स तथा यूरोपीय संघ के नेतृत्त्व ने रविवार को आपत्कालिन बैठक का आयोजन करने की बात सामने आयी है| जर्मन चैन्सेलर अँजेला मर्केल को देश के अंदर राजनीतिक मोर्चेपर संघ में प्रभाव होने की बात जरुरी है| अगर ऐसा नही होतातो मर्केल सरकार गिरने की आशंका है| इसलिए मर्केल ने संघ में जर्मनी के स्थान का इस्तेमाल करते हुए यूरोपीय संघ के प्रमुख जंकर को आपत्कालीन बैठक के लिए राजी किया, ऐसा कहा जाता है|

जंकर द्वारा बुधवार को इसका ऐलान करते हुए, शरणार्थियों के मसले पर रविवार को अनौपचारिक बैठक का आयोजन किया जा रहा है, ऐसी जानकारी दे दी गयी है| अगले हफ्ते होनेवाली बैठक के पृष्ठभूमी पर, जिन देशों को शरणार्थियों के समस्या पर यूरोपीयन हल निकालने की चाहत है, वह शामिल हो सकते है, ऐसा जंकर ने कहा है| यूरोपीय संघ के सूत्रों ने दी जानकारी अनुसार जर्मनी और फ्रान्स के साथ स्पेन, नेदरलॅण्ड, बेल्जियम, बल्गेरिया, माल्टा, ऑस्ट्रिया, ग्रीस और इटली यह देश रविवार के बैठक में शामिल होने की संभावना है|

इसी बीच, फ्रान्स में शरणार्थियों की जिम्मेदारी रखनेवाले वरिष्ठ अधिकारियों ने, यूरोप शरणार्थियों के मले पर निर्णायक चौराहे पर खडा है और इस समस्या की वजह से यूरोप में दुही पैदा हुई है, ऐसी चेतावनी दी है|

 

इटली द्वारा बहिष्कार की धमकी

रोम: ‘रविवार को ब्रुसेल्स में हो रहें बैठक का कथानक जर्मनी और फ्रान्स द्वारा पहले ही लिखा गया है| इटली को सहायता करने के बजाय वह हम पर शरणार्थियों का भार डालने की कोशिश कर रहे है, ऐसा इस से दिखाई दे रहा है| अगर ऐसा ही होनेवाला है, तो इटली इस बैठक में शामिल नही होगा| इस से कम से कम हमारे सफर का खर्चा बच सकता है|’ ऐसे कडे शब्दों में इटली के अंतर्गत रक्षा मंत्री मॅटिओ सॅल्व्हिनी ने रविवार की बैठक पर बहिष्कार डालने की धमकी दी|

रविवार को होनेवाली बैठक के अजेंडे का कुछ हिस्सा सामने आ चुका है| इस में शरणार्थी यूरोप में दाखिल होने के बाद उनका अगला सफर रोकने के मसले पर जोर दिया गया है| आज की स्थिती में यूरोप में घूसपेट करनेवाले शरणार्थी प्रथम ग्रीस और इटली में दाखिल हो रहे है| इसलिए इन दोनो देशों को ज्यादा भार उठाना पडेगा, ऐसे संकेत यूरोपीय संघ द्वारा दिये जा रहे है|

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