इस्रो द्वारा ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ का परीक्षण – भारत का दुनिया के गिने-चुने देशों की सूची में समावेश

बंगळुरू – ‘भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्था’ (इस्रो) ने, प्रकाशकणों की सहायता से संदेश का आदान-प्रदान करनेवाले ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ इस अत्याधुनिक तंत्रज्ञान का परीक्षण किया है। यह परीक्षण सफल हुआ होकर, ऐसा तंत्रज्ञान होनेवाले दुनिया के गिने-चुने देशों में भारत का समावेश हुआ है। इस तंत्रज्ञान के द्वारा संदेशवहन बहुत ही सुरक्षित होकर, कोई भी वह हैक नहीं कर सकता, ऐसा दावा किया जाता है। आनेवाले समय में रक्षा बलों के लिए और गोपनीय संपर्क के लिए इस तंत्रज्ञान का इस्तेमाल अहम साबित होने वाला है।

‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’

सोमवार को इस्रो ने ३०० मीटर दूरी पर के दो स्थानों में ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ से संपर्क स्थापित किया। इस तंत्रज्ञान को ‘क्वांटम क्रिप्टोग्राफी’ इस नाम से भी जाना जाता है। ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ तंत्रज्ञान की सहायता से ‘इस्रो’ ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की, ऐसी जानकारी इस्रो ने घोषित की। अहमदाबाद के स्पेस ऍप्लिकेशन सेंटर में यह परीक्षण रात के समय किया गया।

यह एक किस्म की ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्युशन’ (क्यूकेडी) व्यवस्था होकर, इसका तंत्रज्ञान इस्रो ने विकसित किया है। इस यंत्रणा में शब्दबद्ध विवरण, फोटो अथवा व्हिडीओ, प्रकाशकिरणों की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान में पहुँचाए जाते हैं। हाल में इस्तेमाल की जानेवाली क्रिप्टोसिस्टम में, अल्गोरिदम के आधार पर जानकारी का कोडिंग किया जाता है। वहीं, ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ में भौतिकशास्त्र के नियमों के आधार पर जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इस कारण सॅटेलाईट डाटा कम्युनिकेशन बहुत ही सुरक्षित होता है, ऐसी जानकारी इस्रो द्वारा दी गई।

इस ‘क्वांटम क्रिप्टोग्राफी’ संदेशवहन यंत्रणा को, भविष्यकालीन कॉम्प्युटर क्षेत्र में विकसित होनेवाली कोई भी यंत्रणा छेद नहीं सकेगी। इस कारण इस यंत्रणा को ‘फ्यूचर प्रूफ’ भी कहा जा रहा है। इस तंत्रज्ञान के द्वारा संदेशवहन के लिए विशेष ट्रान्समिटर की, तथा संदेश का स्वीकार करने के लिए विशेष रिसिव्हर की आवश्यकता होती है। यह ट्रान्समिटर तथा ‘नाविक’ नाम का रिसिव्हर इस्रो ने विकसित किया है।

विशेष बात यानी इस्रो समेत रक्षा संशोधन और विकास संस्था (डीआरडीओ) ने भी ‘क्वांटम की डिस्ट्रीब्युशन’ (क्यूकेडी) यंत्रणा विकसित की है। दिसंबर महीने में ‘डीआरडीओ’ ने इस तंत्रज्ञान का सफल परीक्षण किया था। इस समय ‘डीआरडीओ’ ने हैदराबाद स्थित अपनी दो प्रयोगशालाओं में क्वांटम संपर्क स्थापित किया था। संक्षेप में, देश में एक ही समय दो संस्थाओं ने ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ यंत्रणा विकसित की है।

अमरीका, ब्रिटेन, कॅनडा, जापान और चीन इन दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही ‘फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन’ तंत्रज्ञान है। इन गिने-चुने देशों की सूची में अब भारत में स्थान प्राप्त किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.