इस्रो के विश्‍वविक्रम की दुनियाभर से सराहना

नई दिल्ली/बीजिंग, दि. १६ : एक ही उड़ान में १०४ सैटेलाइट्स प्रक्षेपित कर पृथ्वी की कक्षा में स्थिर करनेवाले ‘भारतीय अंतरिक्ष संशोधन संस्थान’ (इस्रो) की दुनियाभर से सराहना हो रही है| इस परीक्षण द्वारा भारत ने अंतरिक्ष संशोधन क्षेत्र में अपनी क्षमता साबित की है, ऐसा पश्‍चिमी देशों की मीडिया बता रही है| दुनिया ने ‘इस्रो’ की इस विक्रमी उपलब्धी की दखल ली है| लेकिन चीन की सरकारी मीडिया ने, ‘यह सीमित कामयाबी है’ ऐसा दावा किया| साथ ही, चीन अंतरिक्ष संशोधन क्षेत्र में भारत से बहुत आगे है, ऐसा दावा भी चीन की मीडिया ने किया है|

इस्रो१०४ उपग्रह प्रक्षेपित कर इस्रो ने, उपग्रह प्रक्षेपण क्षेत्र में अपना स्थान और मज़बूत किया है| इसके चलते, उपग्रह प्रक्षेपित करने की तैयारी में रहनेवाले कई देश इस्रो के साथ सहकार्य करने के लिए उत्सुक हैं, ऐसी जानकारी आंतर्राष्ट्रीय न्यूज चैनल दे रहे हैं| इतना ही नहीं, बल्कि आनेवाले समय में अंतरिक्ष संशोधन क्षेत्र की दौड़ अमरीका और रशिया में नहीं होगी, बल्कि इस प्रतियोगिता का केंद्र एशिया में रहेगा, ऐसा दावा ‘सीएनएन’ इस अमरिकी न्यूजचैनल ने किया है|

इस्रो के इस विश्‍वविक्रम की दुनियाभर से सराहना हो रही है, ऐसे में चीन की सरकारी मीडिया ने, ‘यह सफलता सीमित है’ ऐसा दावा किया| चिनी सरकार का मुखपत्र माने जानेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, आज भी चीन अंतरिक्ष संशोधन क्षेत्र में भारत से आगे है, ऐसा दावा किया| फिर भी इस्रो को मिली इस सफलता से चीन बहुत कुछ सीख सकता है, ऐसा मत ग्लोबल टाईम्स में प्रसिद्ध किए गए लेख में व्यक्त किया है|

इसी दौरान, ‘चांद्रयान और मंगलयान मुहिमों को मिलीं सफलताएँ इस्रो की काबिलियत साबित कर दिखानेवाली होकर, उनके पश्चात् के समय में, उपग्रह प्रक्षेपित करने के क्षेत्र में इस अंतरिक्ष संशोधन संस्था ने इतने कम समय में किया हुआ काम चौंका देनेवाला है| बहुत कम खर्चे में प्लान की गयी इस्रो की मुहिम से बहुत कुछ सीखने जैसा है| पिछले दस सालों में इस्रो को बहुत बड़ी सफलता मिली है| इस्रो की कोई भी मुहिम नाक़ाम होने की ख़बर नहीं आयी है, यह बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होती है’ ऐसा दावा पश्‍चिमी विश्‍लेषक कर रहे हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published.