९६. दुनिया के लिए मार्गदर्शक इस्रायल का हायटेक कृषिसंशोधन

इस्रायल में जब ख़ेती का विचार किया जा रहा था, तब इस्रायल को अनगिनत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन उसी के कारण इस्रायल का कृषिसंशोधन यह सर्वसमावेशक साबित हुआ। ख़ेती के लिए पूरी तरह प्रतिकूल हालात होते हुए भी इस्रायल ने आज जो ‘कृषिप्रधान देश’ के रूप में अपनी पहचान बनायी है, वह केवल कृषिसंशोधन के बलबूते पर ही। लेकिन इस कृषिसंशोधन को केवल अपने तक ही सीमित न रखते हुए इस्रायल ने उसका लाभ सारी दुनिया को भी उठाने दिया है। आज इस्रायल का कृषिसंशोधन सारी दुनिया के लिए ही मार्गदर्शक साबित हो रहा है।

इसका मुख्य कारण यह है कि इस्रायल आकार से इतना छोटा देश होते हुए भी उसमें इतनी भौगोलिक विभिन्नता और विसंगति है, जो अन्य दुनिया में शायद ही कहीं मिलें। इस कारण, दुनिया के किसी भी कोने में होनेवाली भौगोलिक परिस्थिति का नमूना थोड़ेबहुत फ़र्क़ के साथ इस्रायल में था ही। इसी कारण इस्रायल का कृषिसंशोधन सारी दुनिया के लिए उपयोगी साबित हुआ।

समय के अनुसार विज्ञान का आधुनिक तंत्रज्ञान के साथ मेल बिठाकर इस्रायल ने इस कृषिसंशोधन को अधिक से अधिक ऊँचाई पर ले लिया। इस्रायली किसान की विचारधारा केवल – ‘मुझे हर दिन भरपूर मेहनत करके भरपूर उत्पादन निकालना है’ ऐसे सर्वसाधारण विचार से बाहर निकलकर;

‘मेहनत तो करनी ही है, लेकिन फिर वह महज़ गधामज़दूरी नहीं चाहिए, तो अधिक से अधिक ‘रिटर्न्स’ देनेवाली ‘स्मार्ट’ मेहनत चाहिए’ इस विचार की जड़ें इस्रायली कृषिक्षेत्र में मज़बूत हुईं, वह कृषिसंशोधन के बलबूते पर ही। २०वीं सदी के आख़िरी दशक से दुनिया में शुरू हुई डिजिटल क्रांति का इसमें अहम हिस्सा है।

‘प्रिसीजन अ‍ॅग्रीकल्चर’, ‘ड्रिप इरिगेशन’ ऐसी कई संकल्पनाएँ इस कृषिसंशोधन ने विकसित कीं।

‘प्रिसीजन अ‍ॅग्रीकल्चर’ का मुख्य उद्दिष्ट यानी – हाथ में होनेवाले संसाधनों में से अधिक से अधिक कृषिउत्पादन निकालना। इसके लिए यह ख़ेती, उपलब्ध संसाधनों का अत्यधिक कार्यक्षमता के साथ इस्तेमाल करके की होनी चाहिए और वह शाश्‍वत ख़ेती (‘सस्टेनेबल फार्मिंग’) होनी चाहिए।

इसके लिए, किसी स्थान का हवामान, मिट्टी, पर्जन्यमान ऐसे कई घटकों का अध्ययन करके – कौनसीं फ़सलें उगायें, उसके लिए बीज कौनसे इस्तेमाल करें, खाद-कीटनाशक कौनसे इस्तेमाल करें और कब-कितने दें, पानी कब दें, कितना दें ऐसे सारे घटकों का गणित बनाया जाता है और उसे उस उस किसान तक पहुँचाया जाता है। उसीके साथ, किसान के मार्गदर्शन के लिए हवामान का अनुमान लगाया जाता है, आ सकनेवालीं संभाव्य नैसर्गिक आपदाओं के बारे में पहले से ही चेतावनी दी जाती है।

मुख्य बात यानी महज़ मार्गदर्शन ही नहीं, बल्कि बीज, खाद, कीटनाशक, सॉईल कंडिशनर्स, ख़ेती के औज़ार, विभिन्न कृषिविषयक सेवाएँ इन जैसीं सुविधाएँ किसानों को उपलब्ध भी करायीं जाती हैं। उनके ख़ेतों में उगा कृषि-माल मार्केट्स तक पहुँचाने के लिए आवश्यक सभी सहायता भी सरकार द्वारा की जाती है।

इस्रायली ख़ेती में ड्रोन्स का इस्तेमाल भी अब बढ़ने लगा है। किसान को बैठे बैठे ही पूरे ख़ेत की स्थिति चारों ओर से दिखाना, कीटनाशक को फुहारना, ख़ेत की सुरक्षा के लिए टोह लगाना; ये काम ये ड्रोन्स करते हैं।

उदा. विभिन्न कृषिउत्पादनों को दुनियाभर में कहाँ माँग (डिमांड) है, वहाँ कितनी क़ीमत मिलेगी, उस उस देश के मार्केट्स में माल भेजने के संदर्भ में निकष एवं नियम क्या हैं, इसके बारे में जानकारी किसानों को आधुनिक डिजिटल तंत्रज्ञान के माध्यम से, विभिन्न अ‍ॅप्स द्वारा एक बटन दबाकर उपलब्ध हो सकती है।

‘ड्रिप इरिगेशन’ यह संकल्पना हालाँकि इस्रायल से पहले से अस्तित्व में थी, मग़र आधुनिक ज़माने में जिस रूप में उसका सब जगह इस्तेमाल किया जाता है, वह ‘सिमचा ब्लास’ इस इस्रायली इंजिनियर के संशोधन का फलित है। रेगिस्तानी प्रदेश में संशोधन करते हुए जब संजोगवश् ही सिमचा ब्लास को दिखायी दिया कि संशोधनक्षेत्र का एक ही पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक अच्छी तरह से खिल रहा है; तब अधिक जाँच करने पर, वहाँ की ज़मीन के नीचे से जानेवाले पानी के एक पाईप में उस पेड़ के नज़दीक ही रिसाव (लीकेज) है ऐसा दिखायी दिया, जिसका फ़ायदा उसी पेड़ की जड़ों को मिल रहा था। इससे उसके दिमाग में आधुनिक ‘ड्रिप इरिगेशन’ की संकल्पना साकार हुई और आगे चलकर दुनिया ने अपना ली।

अब तो ‘प्रिसीजन अ‍ॅग्रीकल्चर’ में ‘ड्रिप इरिगेशन’ द्वारा ख़ेतों को पानी देने की प्रक्रिया भी कॉम्प्युटराइज्ड यंत्रणा के ज़रिये की जाती है। उस उस दिन के हवामान पर से ख़ेत को पानी कब देना है और कितना देना है यह भी ये यंत्रणाएँ अपने आप ही तय कर सकती हैं। यदि किसी स्थान की ज़मीन में उस दिन आर्द्रता ज़्यादा होने की बात कॉम्प्युटर से जोड़े सेन्सर ने दर्ज़ की, तो उस दिन उस ज़मीन को दिये जानेवाले पानी की मात्रा कम रखी जाती है अथवा आर्द्रता कम होगी, तो पानी ज़्यादा।

इस्रायली ख़ेती में ड्रोन्स का इस्तेमाल भी अब बढ़ने लगा है। किसान को बैठे बैठे ही पूरे ख़ेत की स्थिति चारों ओर से दिखाना, कीटनाशक को फुहारना, ख़ेत की सुरक्षा के लिए टोह लगाना; ये काम ये ड्रोन्स करते हैं।

साथ ही, इस्रायली ख़ेती में ड्रोन्स का इस्तेमाल भी अब बढ़ने लगा है। किसान को बैठे बैठे ही पूरे ख़ेत की स्थिति चारों ओर से दिखाना, कीटनाशक को फुहारना, ख़ेत की सुरक्षा के लिए टोह लगाना; ये बेसिक काम तो ये ड्रोन्स करते ही हैं; साथ ही, ख़ेत का ‘स्वास्थ्य’ भी दिखाते हैं। पूरे ख़ेत में घूमकर पारंपरिक पद्धति से केवल आँखों से किये हुए मुआयने में शायद ख़ेती का ‘स्वास्थ्य’ अच्छा है या नहीं यह ध्यान में आयेगा ही, ऐसा नहीं है। लेकिन अत्याधुनिक ड्रोन्स अब आकाश से ख़ेत की शार्प फोटोज़् खींचने के साथ ही इन्फ्रारेड इमेजिंग भी कर सकते हैं। इस इन्फ्रारेड इमेजिंग से, ख़ेत में होनेवाले ‘अनहेल्दी स्पॉट्स’ (ख़ेत के किसी भाग पर यदि क़ीड़ें पड़ गये हैं या कोई भाग सूखता चला जा रहा है, वगैरा) आसानी से ध्यान में आ सकते हैं और किसानों को उसपर तुरन्त ही उपाययोजना करना आसान हो जाता है।

ऐसीं कॉम्प्युटराइज्ड यंत्रणाएँ (हार्डवेअर एवं सॉफ्टवेअर्स) और गॅजेट्स अब निजी कंपनियों द्वारा भी विकसित किये जाने लगे हैं और उनके लिए भी, इस्रायल के कृषिसंशोधित बीजों की तरह ही पूरी दुनिया भर से माँग है। अपने देश के लिए होनेवाले ख़ेती के अनन्यसाधारण महत्त्व को मद्देनज़र करते हुए, आधुनिक तंत्रज्ञान तथा आयटी क्षेत्र का अधिक से अधिक फ़ायदा किसानों को हो सकें, यही उद्दिष्ट दिलोदिमाग पर छायीं हुईं इस्रायली कंपनियाँ इस कृषिसंशोधन क्षेत्र में नयीं नयीं खोजें ढूँढ़ रही हैं। अकेले इस्रायल में, केवल कृषिक्षेत्र पर फोकस करके संशोधन करनेवालीं लगभग ५०० से अधिक कंपनियाँ हैं।

अत्याधुनिक ड्रोन्स अब आकाश से ख़ेत की शार्प फोटोज़् खींचने के साथ ही इन्फ्रारेड इमेजिंग भी कर सकते हैं। इस इन्फ्रारेड इमेजिंग से, ख़ेत में होनेवाले ‘अनहेल्दी स्पॉट्स’ आसानी से ध्यान में आ सकते हैं।

इस्रायल ने महत्प्रयासों से कृषिसंशोधन में प्राप्त की हुई सफलता को केवल खुद के पास छिपाकर न रखते हुए उसे सारी दुनिया के लिए खुला किया। आज के दौर में, दुनियाभर में सालाना ‘हायटेक अ‍ॅग्रीकल्चर’ क्षेत्र में जितने व्यवहार होते हैं, उनमें से ७% से ज़्यादा व्यवहार ये जागतिक कंपनियों ने इस्रायली स्टार्टअप कंपनियों के साथ इस क्षेत्र में किये हुए क़रार होते हैं।

भारत जैसे कृषिप्रधान देश में प्रचंड जनसंख्या के कारण ख़ेती का महत्त्व अनन्यसाधारण है। भारत में पारंपरिक पद्धति से भी ख़ेती वैसे विकसित है ही। उसके साथ अब गत कुछ वर्षों से इस्रायली तंत्रज्ञान का भी मेल बिठाया जाने लगा है और उसके फ़ायदे भी नज़र आने लगे हैं। कई अ़फ्रीकी देशों में भी इस्रायली तंत्रज्ञान और संशोधित बीजों की बहुत माँग है। इस्रायली संशोधक वहाँ के देशों में जाकर किसानों को मार्गदर्शन भी करते हैं और वहाँ के किसानों के प्रातिनिधिक तौर पर इस्रायल में ट्रेनिंग प्रोग्राम्स भी आयोजित किये जाते हैं।

वाक़ई…. अनगिनत मुश्किलों से मायूस न होते हुए, कहीं पर भी हिम्मत न हारते हुए, हाथ में होनेवाले संसाधनों का इस्तेमाल कर इस्रायल ने जारी रखा यह कृषिसंशोधन यानी; जॉर्ज वॉशिंग्टन कार्व्हर का जो जगविख्यात वाक्य है – ‘स्टार्ट व्हेअर यू आर, विथ व्हॉटएव्हर यू हॅव, मेक समथिंग ऑफ इट; अँड नेव्हर बी सॅटिस्फाईड’, उसका मानो जीताजागता प्रात्यक्षिक ही है!(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.