इस्राइल के प्रधानमंत्री की यूरोप के बाल्कन देशों को भेंट – इंधन, सुरक्षा और तकनीक क्षेत्र के सहकार्य पर चर्चा

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वर्ना – ईरान पर लगाए गए प्रतिबन्ध और जेरुसलेम जैसे मुद्दे को लेकर प्रमुख यूरोपीय देश इस्राइल को विरोध कर रहे हैं, ऐसे में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू यूरोप के दौरे पर दाखिल हुए हैं। यूरोप के बाल्कन देशों का समूह ‘क्रायोव्हा फोरम’ की बैठक के लिए इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू दाखिल हुए हैं और इस बैठक के लिए निमंत्रण दिए जाने वाले वह पहले विदेशी नेता बन गए हैं। इस बैठक में बल्गेरिया, सर्बिया, रोमानिया और ग्रीस यह चार देश शामिल हुए हैं।

ईरान और अन्य मुद्दों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन पाने के लिए इस्राइल की कोशिश शुरू है और नेत्यान्याहू का यूरोप दौरा उसीका ही हिस्सा है। कुछ महीनों पहले हंगेरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने इस्राइल को भेंट दी थी। तब नेत्यान्याहू ने ओर्बन की नीतियों का स्वागत करके इस्राइल का समर्थन घोषित किया था। हंगेरी की तरफ से शरणार्थियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई का भी नेत्यान्याहू ने विशेष उल्लेख किया था।

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इस पृष्ठभूमि पर नेत्यान्याहू ने बाल्कन देशों का किया दौरा ध्यान आकर्षित करता है। नेत्यान्याहू ने दौरे में बाल्कन नेताओं के साथ की चर्चा में इंधन और सुरक्षा के मुद्दे पर जोर दिया है। साथ ही ज्यू वंशियों की सुरक्षा का मुद्दा भी उपस्थित किया है। इस्राइल और यूरोप के दौरान ‘एस्टिमेटेड पाइपलाइन’ नाम की महत्वाकांक्षी इंधन परियोजना भी निर्माण की जा रही है और इस परियोजना को आगे बाल्कन देशों तक बढाने के संकेत नेत्यान्याहू ने दिए हैं।

बाल्कन देशों ने नेत्यान्याहू की तरफ से दिए गए सहकार्य का स्वागत किया है और यूरोप और इस्राइल के बीच संबंध मजबूत करने के लिए सहायता करने का आश्वासन दिया है। नेत्यान्याहू ने प्रत्येक देश के राष्ट्रप्रमुखों के साथ चर्चा की है। और द्विपक्षीय सहकार्य पर भी बातचीत होने की जानकारी इस्राइली सूत्रों ने दी है।

इस्राइल ने बाल्कन देशों की तकनीक और बुनियादी ढांचे की परियोंनाओं के लिए आर्थिक सहायता देने का आश्वासन देने की जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी है।

नेत्यान्याहू के विदेश दौरों को बहुत बड़ा सामरिक महत्व प्राप्त हुआ है। अमरिका ने तेल अवीव में स्थित अपना दूतावास जेरुसलेम में स्थानांतरित करने के बाद, आज तक इस्राइल को समर्थन देने वाले ब्रिटन, फ़्रांस और जर्मनी इन यूरोपीय देशों ने उसका विरोध किया था। यूरोप के यह प्रमुख देश वर्तमान में इस्राइल और पैलेस्टाइन के बीच के विवाद में पैलेस्टाइन के पक्ष में खड़े हैं। ऐसी परिस्थिति में इस्राइल ने आक्रामक राजनीतिक अभियान छेड़कर यूरोप के सभी देशों को अपने पक्ष में लाने के लिए गतिविधियाँ शुरू की हैं। बाल्कन देशों की तरफ से इसे प्रतिसाद मिलने की वजह से इस्राइल का यह राजनीतिक अभियान सफल होता दिखाई दे रहा है।

आने वाले समय में इस्राइल बाल्कन देशों के साथ के इस सहकार्य का पैलेस्टाइन के साथ के विवाद में और ईरान विरोधी कार्रवाइयों के लिए प्रभावी रूपसे इस्तेमाल कर सकता है। इस लिये नेत्यान्याहू के इस दौरे का महत्व बढ़ गया है।

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