इस्रायल के प्रधानमंत्री ने सीरिया पर हमलें जारी रखने का किया ऐलान

Third World Warजेरूसलम: ‘इस्रायल का अस्तित्व कायम रखना हो तो शक्तिशाली रहना ही अंतिम उपाय हैं| पड़ोसी देशों के साथ शांति प्रस्थापित करने के लिए यही अनिवार्य और बुनियादी शर्त है’, ऐसा इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने कहा हैं| चुनाव में जीत हासिल करने के बाद फिर से सत्ता पर आए नेत्यान्याहू ने आने वाले समय में भी सीरिया में ईरान के लष्करी ठिकानों को लक्ष्य करेगा, ऐसा सीधी तरह से उल्लेख न करते हुए स्पष्ट किया हैं|

‘इस्रायल युद्ध के लिए उत्सुक नहीं हैं| क्योंकि युद्ध की क्या कीमत चुकानी पड़ती हैं, यह इस्रायल को भली-भांति मालूम है| इसका मतलब इस्रायल अपनी सुरक्षा से समझौता करेगा, ऐसी गलतफहमी कोई भी न रखें| जो कोई इस्रायल के लिए खतरनाक साबित होगा उनके लिए इस्रायल अधिक खतरनाक साबित होगा’, ऐसे कठोर शब्दों में प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने अपनी आक्रमक भूमिका कायम रहने के संकेत दिए हैं| साथ ही सीरिया, लेबनान में ईरान के ठिकानों पर इस्रायल के हमलें इससे आगे भी जारी रहेंगे, ऐसी चेतावनी नेत्यान्याहू ने दी हैं|

इस्रायल, प्रधानमंत्री, सीरिया, हमलें, जारी रखने, ऐलान, जेरूसलम, ईरानइस्रायल के प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले सीरिया के हमा प्रांत में हुए हमले का सीधा उल्लेख भाषण में नहीं किया हैं| परंतु इस्रायल में सरकारी तथा लष्करी यंत्रणाओं ने हमा यहां के ‘मयसाफ’ में होने वाले लष्करी अड्डें पर हुए हमले के संबंध में जानकारी प्रसिद्ध की हैं| ‘मयसाफ’ के लष्करी अड्डे पर हमला करने के लिए इस्रायल की वायुसेना ने पहली बार ही सुपरसोनिक ‘रैम्पेज’ मिसाइल का उपयोग करने का दावा सूत्रों ने किया हैं|

उसी के साथ इस्रायल के हवाई हमले से पहले ‘मयसाफ’ में ईरान की मिसाइलों का भंडार होने वाले गोदाम और हमले के बाद इस गोदाम की तबाही दर्शाने वाले सैटलाइट फोटोग्राफ्स इस्रायली कंपनी ने प्रसिद्ध किए हैं| इस हमले में ईरान के जवान और हिजबुल्लाह के आतंकवादी मारे जाने का दावा किया जाता हैं| इस हमले द्वारा इस्रायल के नए सरकार ने अपनी धारणा में बदल नहीं होने का स्पष्ट संदेश सीरिया, ईरान, और हिजबुल्लाह को देने का कुछ विशेषज्ञों का कहना हैं|

दौरान, इस्रायल के सर्वनाश की घोषणा की जाते हुए इस्रायल स्वस्थ नहीं बैठ सकता हैं, ऐसी प्रधानमंत्री नेतन्याहू की और उनके पक्ष की तथा सर्व सहयोगी पक्षों की भूमिका हैं| इसे विरोध करने वाले राजनयिक पक्षों को इस्रायल के चुनाव में ज्यादा सफलता नहीं मिली हैं| इस कारण इस्रायली जनता नेत्यान्याहू की धारणाओं को मान्यता देती दिखाई दे रही हैं| इसके परिणाम दिखने लगे हैं और इस्रायल के प्रधानमंत्री अपनी आक्रामक धारणा अधिक प्रभावी ढंग से बरकरार रखेंगे, यह उनके भाषण से स्पष्ट हुआ हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published.