अस्तित्व रखने के लिए इस्राइल को चुनौतीयों का सामना करना होगा – इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू

जेरूसलेम: इस्राइल की स्थापना को १०० वर्ष पूर्ण करने है तो आने वाले समय मे निर्माण होने वाले खतरों का सामना करने की तैयारी रखें, ऐसा इशारा इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने दिया है तथा इसके प्रमुख मांग मानी के बजाय पैलेस्टाइन के साथ शांति स्थापित नहीं हो सकती, ऐसा इस्राइल के प्रधानमंत्री ने कहा है।

जेरूसलेम मे अपने निवास स्थान मे प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम मे बोलते समय नेत्यान्याहूने इस्राइल के सामने आए चुनौतियों का एहसास कराया है। १९४८ मे इस्राइल स्थापन हुआ था। उसके बाद ६९ वर्ष पूर्ण हुए है। इस्राइल अपना १०० वां स्थापना दिन मनाएगा, ऐसा विश्वास भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दिलाया है। १०० वर्ष पूर्ण करने से पहले इतिहास के घटनाओं की नेत्यान्याहूने याद दिलाई है।

चुनौतीयों का सामनायह भूभाग ग्रीक के विरोध मे सफल संघर्ष करने वाला हैस्मोनीयन साम्राज्य सिर्फ ८० वर्ष टीका था। आगे चलकर इसवी सन पूर्व ६३ के शतक मे रोमनने यह साम्राज्य पर कब्जा किया था। पर मैं हैस्मोनीयन साम्राज्य जैसी इस्राइल अवस्था नहीं होने दूंगा और इस्राइल अपने स्थापना दिन के सौ वर्ष पूर्ण जरूर करेगा, ऐसा विश्वास नेत्यान्याहू ने व्यक्त किया है।

इस कार्यक्रम मे उपस्थित हुए लोगों ने दिए जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने इस्राइल के सुरक्षा के मुद्दे पर बहुत गंभीर बात कही है। इस्राइल की सुरक्षा के लिए हम आवश्यक सभी कुछ करने को तैयार है, ऐसा नेत्यान्याहू ने उस समय कहां है। दौरान पैलेस्टाइन के साथ शांति चर्चा के बारे मे बोलते समय प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने इस्राइल की भूमिका स्पष्ट की है। शांति चर्चा के बारे मे बोलने वाली सबसे पहले इस्राइल और जनता का अस्तित्व खुलेआम माने। तथा पैलेस्टाइनी राष्ट्राध्यक्ष महमूद अब्बास इनके फताह पक्ष ने गाझापट्टी के हमास इस संगठन के साथ किए संबंध पर भी नेत्यान्याहू ने निशाना साधा है।

फिलहाल पैलेस्टाइन के लिए संघर्ष करनेवाली भड़काऊ संगठन ‘हमास’ ने पैलेस्टाइन उदारमतवादी माने जानेवाले फ़ताह के साथ संबंध करने की तैयारी दिखाई है। उसपर प्रधानमंत्री ने कड़ी टीका की है। यह दोनों संगठन के लिए तकलीफ होने की बात कहकर, इस्राइल को उनके संबंध मे जरा भी रस न होने की बात प्रधानमंत्री ने कही है।

इस्राइल के संदर्भ मे यह भूमिका अत्यंत स्पष्ट है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने अपनी मांग स्पष्ट तौर पर सामने रखी है। सर्वप्रथम को मान्यता हमारे देश का प्रधानमंत्री सर्वप्रथम पैलेस्टाइन एंड इस्राइल को मान्यता दी है। हमास की तस्करी गतिविधियों को विसर्जित करें और इस्राइल के विनाश का प्रयत्न करनेवाले ईरान के साथ संबंध जोड़े, ऐसा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने कहा है। इसके अलावा पैलेस्टाइन के साथ शांति चर्चा मे कोई अर्थ नहीं होगा, ऐसी कड़ी भूमिका इस्राइल के प्रधानमंत्री ने ली है।

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