इस्रायल और अरब देशों के संबंधों पर गाज़ा के संघर्ष का असर नहीं होगा – इस्रायल के पूर्व लष्करी अधिकारी और विश्लेषक का दावा

जेरूसलेम – इस्रायल और गाज़ा के आतंकवादी संगठनों के बीच भड़के संघर्ष का असर, इस्रायल ने अरब देशों के साथ किए ‘अब्राहम समझौते’ पर होगा। इस्रायल और अरब देशों का सहयोग इससे खत्म होगा, ऐसा दावा अमरीका और खाड़ी क्षेत्र के माध्यमों ने किया था। लेकिन ‘इस्रायल-हमास संघर्ष के कारण ‘अब्राहम समझौता’ खत्म होगा, ये दावे बेबुनियाद हैं। इस समझौते में सहभागी होनेवाले देशों के सहयोग पर इस्रायल-हमास संघर्ष का कुछ भी असर नहीं होगा’, ऐसा इस्रायल के निवृत्त लष्करी अधिकारी ब्रिगेडिअर जनरल डॉ. मिर एल्रान ने स्पष्ट किया।

Israel-arab-countryपिछले हफ्ते के सोमवार से गाजा पट्टी में हमास और इसराइल के लश्कर के बीच बड़ा संघर्ष भड़का है। इसकी गूँजें अरब-इस्लामी देशों के ‘ऑर्गनायझेशन फॉर इस्लामिक कोऑपरेशन’ की इमरजेंसी बैठक में भी सुनाईं दीं थीं। ईरान, तुर्की, पाकिस्तान और मलेशिया के नेताओं ने इस संघर्ष के लिए इस्रायल को ज़िम्मेदार ठहराया। उसीके साथ, इस्रायल से सहयोग करनेवाले संयुक्त अरब अमिरात (युएई), बाहरिन, मोरोक्को, सुदान ये देश भी उतने ही ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण ईरान, तुर्की ने किया था।

पिछले साल अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता से इस्रायल ने युएई, बाहरिन तथा अन्य दो अरब देशों के साथ ‘अब्राहम समझौता’ किया था। इस्रायल ने गाज़ा पर किए हमले के बाद अरब देश इस समझौते से किनारा करें, ऐसी माँग ईरान, तुर्की ने की थी। अमरीका का एक अग्रसर अखबार और खाड़ी क्षेत्र के एक मशहूर न्यूज़ चैनल ने भी इस समझौते को लक्ष्य किया था। साथ ही, इस संघर्ष के कारण अब्राहम समझौता नहीं टिकेगा, ऐसे दावे किए थे।

लेकिन इसराइल की अंतर्गत सुरक्षा योजना के पूर्व प्रमुख और ‘इन्स्टिट्युट फॉर नॅशनल सिक्युरिटी स्टडीज्’ (आयएनएसएस) इस्रायली अभ्यासगुट के उपप्रमुख ब्रिगेडिअर जनरल एल्रान ने अब्राहम समझौता और गाज़ा में चल रहा संघर्ष इनके बारे में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए। इस्रायल-हमास संघर्ष और इस्रायल-अरब देशों के बीच हुआ अब्राहम समझौता इनके बारे में ईरान और तुर्की पूरी तरह बेबुनियाद दावे कर रहे हैं, ऐसा ब्रिगेडिअर जनरल एल्रान ने कहा। साथ ही, अब्राहम समझौते पर इस संघर्ष का असर होनेवाला नहीं है, यह बताकर एल्रान ने, अमरीका और खाड़ी क्षेत्र के माध्यम गलत अनुमान लगा रहे हैं, ऐसा दोषारोपण किया।

Israel-arab-country-01-300x169अब्राहम समझौता यह इस्रायल और अरब देशों के बीच का सहयोग समझौता है। इस समझौते से दोनों तरफ से फ़ायदा ही होनेवाला होकर, इस संघर्ष के दौर में भी यह सहयोग टिका रहेगा और इसके बाद अधिक ही तेज़ी से बढ़ेगा, ऐसा विश्वास एल्रान ने व्यक्त किया। और तो और, ‘अब्राहम समझौते में सहभागी होनेवाले अरब देश आगे आकर यह संघर्ष रोकने के लिए हमास को आवाहन कर सकते हैं। इसके लिए जॉर्डन, इजिप्ट इन अरब देशों की सहायता भी ली जा सकती है’, ऐसा भी एल्रान ने कहा।

साथ ही हमास ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्रायल पर रॉकेट हमले करने का आरोप ब्रिगेडिअर जनरल एल्रान ने किया। दो हफ्ते पहले जेरूसलेम के ‘शेख जराह’ इलाके में भड़के दंगों का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए हमास ने इस्रायल पर रॉकेट हमले किए, ऐसा एल्रान ने कहा है।

गाज़ा में चल रहा संघर्ष और अब्राहम समझौते के बारे में एल्रान ने प्रस्तुत किए निष्कर्ष के साथ रशियन माध्यम भी सहमत हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है। हमास ने इस्रायल पर किए इन हमलों की अरब देशों में से ही आलोचना हो रही है, इस बात पर रशियन न्यूज़ एजेंसियाँ गौर फरमा रहीं हैं।

पिछले हफ्ते युएई ने हमास को इस्रायल पर चल रहे रॉकेट हमले रोकने की चेतावनी दी थी। खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ानेवाले ये रॉकेट हमले अगर रोके नहीं गए, तो गाज़ा में बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रावधान किये हुए निवेश को रोकेंगे, ऐसा युएई ने हमास को डटकर कहा था। युएई के वरिष्ठ अधिकारी ने, नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर इस्रायली अख़बार को यह जानकारी दी थी।

वहीं, युएई के धार्मिक नेताओं ने और जनता ने, सोशल मीडिया के द्वारा, हमास के रॉकेट हमलों की आलोचना की थी। ‘हमास फिलिस्तीनियों का इस्तेमाल मानवीय ढाल जैसा करके इस्रायल पर हमले कर रहा है। हमास ने गाज़ा पट्टी को फिलिस्तीनी बच्चों की दफन भूमि बनाया है। हमास ने इजिप्ट और सिनाई की सुरक्षा खतरे में डाली और अरब देशों के राष्ट्रध्वज जला दिए। हमास के दिल में फिलिस्तीनी बच्चें और बुज़ुर्गों के प्रति भी सम्मान की भावना नहीं है’, ऐसी तीखी आलोचना युएई के धार्मिक नेता ने सोशल मीडिया के जरिए की थी।

इसके अलावा युएई, बाहरिन और कुवैत के सोशल मीडिया में हमास के खिलाफ ‘नो टू टेररिझम’, ‘पॅलेस्टाईन इज् नॉट माय कॉझ’ ऐसे ट्रेंड भी वायरल हुए थे। उसका हवाला देकर इस्रायल के पूर्व लष्करी अधिकारी और रशियन न्यूज़ एजेंसियाँ, अब्राहम समझौता सुरक्षित होने का यकीन दिला रहे हैं। 

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