इस्रायल : एक प्रवास – प्रदीर्घ, लेकिन सफल! – प्रस्तावना

इस्रायल यानी एक छोटे-से समुदाय ने सँभालकर रखी हुई दुर्दम्य इच्छाशक्ति का ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक आविष्कार! हज़ारों वर्षों की सांस्कृतिक धरोहर प्राप्त इस देश ने मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का मुक़ाबला करके अपना राष्ट्र-अभिमान और धर्म-अभिमान धधकता रखा और अपने भूभाग को भी अथक संघर्ष करके पुनः प्राप्त किया।

यह इस्रायली समाज अपनी मातृभूमि से तथा ईश्‍वरप्रदत्त धर्मभूमि से हज़ारों साल बिछड़ गया था।

उन्हें विभिन्न देशों में कई मुश्किल हालातों से गुज़रना पड़ा। लेकिन फिर भी इस समाज की श्रद्धाएँ एवं भावनाएँ नहीं बदलीं।

भारत में भी कई सदियों से यह इस्रायली समाज समुद्री मार्ग से आकर सुस्थिर हुआ था। महाराष्ट्र के अलिबाग तथा आसपास का परिसर, ठाणे ज़िला, मुंबई ऐसे स्थानों में रहनेवाले इस्रायलियों को ‘बेने इस्रायली’ के नाम से संबोधित किया जाता था।

ये बेने इस्रायली (महाराष्ट्र में जिन्हें ‘शनिवार तेली’ बुलाया जाता है), भारतीय समाज में घुलमिल गये और उन्हें भी हिन्दुओं ने ज़रासी भी तकली़फ नहीं दी और ना ही उनसे कभी बुरा बर्ताव किया। भारत में ही महाराष्ट्र के साथ साथ केरल, चेन्नई, मणिपुर, मिज़ोराम, सुरत, आंध्रप्रदेश इन स्थानों में ज्यू समाज का कई सदियों से बसेरा था।

आधुनिक भारत के निर्माण में इन बेने इस्रायलियों का यानी भारतीय ज्यू समाज का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

भारतीय एवं इस्रायली समाज का रिश्ता अनोखा है। क्योंकि हिन्दुओं ने और ज्यू धर्मियों ने कई विधर्मीय आक्रमण झेले, पचाये और सफलता से उनका मुक़ाबला भी किया।

इस्रायल का यह प्रेरणादायी इतिहास और इस देश ने गत ७० वर्षों में अत्यधिक प्रतिकूल हालातों में की हुई, दुनिया को स्तिमित कर देनेवाली प्रगति, यह सबकुछ अपना उत्कर्ष करने की इच्छा रखनेवाले हर एक ने जान लेना चाहिए। उसके लिए ही दैनिक ‘प्रत्यक्ष’ की यह नयी लेखमाला शुरू हो रही है।

भविष्य में पूरी दुनिया भर में जो युद्ध का, वैमनस्य का एवं मानवनिर्मित प्राकृतिक आपदाओं का दावानल भड़कनेवाला है और जो धीरे धीरे पूरी दुनिया को घेर सकता है, ऐसी सारी बातों का मुक़ाबला करने का सामर्थ्य, यदि इस्रायल तथा भारत दृढ़तापूर्वक एकत्रित रहें, तो यक़ीनन ही निर्माण हो सकता है; और इन दो देशों के साथ यदि जापान, अमरीका और रशिया अपने हाथ मिलायें, तो इस होनेवाले विध्वंस को का़फी हद तक टाला जा सकता है।

मुझे विश्‍वास है, ईश्वर की भी यही इच्छा है।

– डॉ. अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी

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