कुर्दों के लष्करी पथक को बाहर निकालकर इराकी लष्कर का किरकूक पर कब्ज़ा

बग़दाद/वॉशिंगटन: इराक  के उत्तरी इलाके में कुर्दों ने लिए जनमत के बाद इराकी लष्कर और कुर्दों के बिच पहला लष्करी संघर्ष भड़का है। इराक के इंधन संपन्न किरकूक प्रान्त पर पिछले तीन सालों से कुर्दों का कब्ज़ा था। लेकिन इराकी लष्कर ने इस प्रान्त से कुर्दों के लष्करी पथक को खदेड़ा है। साथ ही स्वतंत्र कुर्दिस्तान के लिए जनमत कुर्द भूल जाएं, ऐसी सुचना भी इराकी सरकर ने दी है। इराकी लष्कर ने भले ही इस महत्वपूर्ण शहर पर नियंत्रण पाया है, लेकिन अभी तक ‘किरकूक’ समस्या सुलझी नहीं है, ऐसा इशारा अमरिका के विदेश मंत्रालय ने दिया है।

किरकूक को इराक के इंधन संपन्न प्रान्त के तौर पर पहचाना जाता है। इराक के कुल इंधन निर्यात में से ४४ प्रतिशत से अधिक निर्यात अकेले किरकूक से होती है। वर्तमान में किरकूक के इंधन परियोजना से प्रतिदिन १० लाख बॅरेल्स इतना इंधन निकाला जाता है। इस इंधन संपन्न इलाके पर कुछ सालों पहले ‘आयएस’ के आतंकवादियों ने कब्ज़ा किया था।

किरकूक ‘आयएस’ के हाथों में जाने की वजह से इराक सरकार मुश्किल में थी। इस मुश्किल को हल करने के लिए, २०१४ को इराकी सरकर ने कुर्दों के लष्करी पथक के साथ हाथ मिलाकर किरकूक पर हमला करके कब्ज़ा पाया था। उसके बाद इराक सरकार ने ही किरकूक की जिम्मेदारी कुर्दों के हाथों सौंप कर यहाँ से पीछे हटे थे।

लेकिन दो हफ़्तों पहले कुर्दों ने इराक के उत्तरी इलाके में जनमत लेने के बाद इराक सरकार ने किरकूक फिर से कब्जे में लेने के लिए गतिविधियाँ शुरू की। पिछले हफ्ते इराक लष्कर ने किरकूक में घुसकर प्रमुख हवाई अड्डे पर कब्ज़ा पाया था। मंगलवार को किरकूक में स्थित इंधन परियोजना और मोसूल बांध इन दो महत्वपूर्ण ठिकानों पर इराकी लष्कर ने पूरा नियंत्रण पाने की घोषणा की है।

लेकिन किरकूक की यह जीत इराकी लष्कर की नहीं है, बल्कि ईरान ने इस संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की टीका कुर्दिस्तान प्रान्त की सरकार ने की है। ईरान ने इस आरोप को अस्वीकार किया है। लेकिन इराकी लष्कर ने कुर्दों पर की इस कार्रवाई में, ईरान समर्थक गुटों ने हिस्सा लेने के दावे अन्य ठिकानों पर भी प्रसिद्ध हुए हैं।

इराकी और कुर्द लष्कर के बिच के इस संघर्ष में हुई जीवित हानि की जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन किरकूक के चिकित्सा यंत्रणाओं ने दी जानकारी के अनुसार इस संघर्ष में २५ कुर्द सैनिकों की जान गई है। चार दिन तक चले इस संघर्ष में ८५ कुर्दों की जान गई है और १५० से अधिक जख्मी हुए हैं, ऐसा इरबिल के अधिकारी ने कहा है। पिछले दो दिनों में किरकूक में स्थित ६१ हजार नागरिकों ने कुर्दिस्तान की ओर पलायन करने का दावा, संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओरसे किया जा रहा है।

किरकूक की इस जीत का स्वागत करके इराक सरकार ने कुर्दों को जनमत से पीछे हटने की सुचना दी है। साथ ही इराक सरकार की मांगों पर कुर्द चर्चा में हिस्सा ले, ऐसा आवाहन भी इराक के प्रधानमंत्री अबादी ने किया है। कुर्दिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ‘मसूद बरझानी’ ने चर्चा के लिए तैयार हैं लेकिन जनमत के परिणामों से पीछे नहीं हटेंगे, ऐसा कहा है।

दौरान, इराकी और कुर्द लष्कर के बिच भडके संघर्ष पर अमरिका ने चिंता जताई है। साथ ही इराक के इस तनाव में अमरिका के अधिकारी किसी भी गुट का समर्थन नहीं करेंगे, ऐसा अमरिकन वदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ‘हिथर न्यूअर्ट’ ने कहा है। बातचीत के बिना यह समस्या नहीं सुलझेगी, ऐसा इशारा अमरिका के विदेश मंत्रालय ने दिया है।

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