आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फ़ैसले पर पाकिस्तान में खलबली

इस्लामाबाद, दि. १९ :  कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सेना के न्यायालय ने दी सजा को आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने स्थगिती देने के बाद पाकिस्तान में खलबली मची है| यह भारत की जीत साबित हुई होकर, आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के नतीजे से आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इज्जत मिट्टी में मिल गयी है, ऐसा तीख़ा बयान पाकिस्तान के पूर्व राजनैतिक और सेना अधिकारी, विशेषज्ज्ञ और पत्रकार दे रहे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ की सरकार पर आलोचना की बौछार शुरू की है| इस पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तान ने, जाधव के मामले में छह हफ़्तों में पुनर्विचार करने की माँग आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास करते हुए, विधिज्ञों की नयी टीम तैयार की, ऐसे कहा जाता है|

पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को सुनवायी गयी सज़ा पर अमल न करें, ऐसे आदेश देते हुए, जाधव को क़ानूनी सहायता देने की भारत की माँग आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने स्वीकार ली है| यह अंतरिम नतीजा घोषित होने के बाद पाकिस्तान में तीव्र नाराजगी दिखायी दी| भारत के साथ एक और संघर्ष में पाकिस्तान हार गया, इस प्रकार की खबरे पाकिस्तान की मीडिया में दिखायी गयीं| इस हार के लिए ज़िम्मेदार कौन, इसकी चर्चा भी पाकिस्तान के पत्रकार कर रहे हैं| प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ की सरकार ने आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का यह मामला अच्छी तरह से सँभाला नही, ऐसी आलोचना शुरु हुई है| वहीं, प्रधानमंत्री शरीफ ने हेतुपूर्वक पाकिस्तान को दिक्कत में डाला, ऐसे इल्जाम कुछ लोगों ने लगाये|

आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान का समर्थन करनेवाले वकील खवर कुरेशी ने पाच लाख पौंड इतनी मोटी फ़ीस ली थी| वहीं, भारत के वकील हरिश साळवे ने सिर्फ़ एक रुपया बतौर फ़ीस लेते हुए, देशहित के लिए मामला लड़ने का फ़ैसला किया, इसपर पाकिस्तान के विशेषज्ज्ञों ने ध्यान जताया| इतना करते हुए भी पाकिस्तान को निराशा ही मिली, क्योंकि भारत ने इसकी अच्छी तरह से तैय्यारी की थी, ऐसा पाकिस्तानी विशेषज्ज्ञों का कहना है| वहीं, कुछ पत्रकार, विशेषज्ज्ञ और सेना के पूर्व अधिकारी, पाकिस्तान ने आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाकर बड़ी गलती की, ऐसा दावा कर रहे हैं|

इस गलती की बहुत बड़ी क़ीमत पाकिस्तान को भुगतनी पड़ रही है| इससे पाकिस्तान की आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिली है, ऐसा अफ़सोस अमरीका स्थित पाकिस्तान की पूर्व राजदूत शेरी रेहमान ने जताया है| कम से कम आगे चलकर तो पाकिस्तान की सरकार को मूर्खताभरा व्यवहार करना टालते हुए जानकार लोगों की सलाह लेनी चाहिए, ऐसा मशवरा रेहमान ने दिया है| वहीं, पाकिस्तान के पूर्व ऍटर्नी जनरल इरफान कादीर ने ‘यह मामला अनुभव न होनेवाले लोगों ने सँभाला, जिनके युक्तिवाद में कुछ दम नहीं था’, ऐसी आलोचना की है| इसके बाद तो यह मामला देश के प्रति निष्ठा रहनेवाले लोगों के हाथ में सौंप दें, ऐसी माँग कादीर ने की|

पाकिस्तान की सरकार पर इस मामले हर तरफ से आलोचना होते हुए, पाकिस्तान ने, छह हफ़्तों के पहले जाधव मामले पर पुनः सुनवाई करें, ऐसी माँग अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से की| प्रधानमंत्री शरीफ के सलाहकार सरताझ अझिज ने, आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के लिए विधिज्ञों की नयी टीम नियुक्त की जायेगी, ऐसी घोषणा की| उनकी इस घोषणा की भी ज़ोर से आलोचना शुरू हुई है|

इस दौरान, पाकिस्तान की ख़्यातनाम वकील और मानवाधिकार सक्रियतावादी आस्मा जहांगीर ने, इस मामले में सभी ने शांति से विचार करने की ज़रूरत है, ऐसा मत जताया है| आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भारत के समर्थन में निर्णय देते हुए, कुलभूषण जाधव को क़ानूनी सहायता देने की इजाज़त पाकिस्तान ने नहीं दी थी, इसपर ध्यान खींचा था| इस एक बात से नतीजा पाकिस्तान के खिलाफ गया| इसलिए, जाधव को क़ानूनी सहायता न देने का फैसला किसने किया था, इसकी ज़ाँच होनी ही चाहिए, ऐसे जहांगीर ने कहा है|

इस दौरान, पाकिस्तान की सरकार और सेना के बीच का विसंवाद फिर से सामने आया है| पाकिस्तान की सरकार ने आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाते वक्त अच्छी तरह से तैय्यारी नहीं की थी, इसके लिए वकील भी सेना ने ही नियुक्त किया था, ऐसे संकेत सेनाप्रमुख जनरल बाजवा ने दिये| इससे पाकिस्तानी सरकार की नाक़ाबिलियत की वजह से यह घड़ी आयी, ऐसा इल्ज़ाम और तीव्र हुआ होकर, सरकार और सेना के समर्थक गुट भी एकदूसरे के खिलाफ़ आमनेसामने खडे हुए हैं, ऐसे दिखायी देता है|

 

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