रशिया के सहयोग के बिना आंतर्राष्ट्रीय संघर्ष का हल मुमक़िन नहीं – जर्मन विदेशमंत्री

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आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल जारी रहनेवाले बड़े संघर्षों में से एक भी संघर्ष का हल, बिना रशिया के सहयोग के मुमक़िन नहीं है, ऐसा दावा जर्मनी के विदेशमंत्री फ़्रँक-वॉल्टर स्टेनमायनर ने किया। इस समय, जर्मन विदेशमंत्री ने, रशिया का ‘जी-८’ गुट में फिर से समावेश कराने की संभावना भी ज़ाहिर की। रविवार से जापान के हिरोशिमा शहर में ‘जी-७’ गुट के सदस्य देशों के विदेशमंत्रियों की वार्षिक बैठक शुरू हुई है। इस पार्श्वभूमि पर जर्मन विदेशमंत्री ने किया हुआ दावा, जागतिक स्तर पर के रशिया के बढ़ते प्रभाव के स्पष्ट संकेत दे रहा है।

‘जी-७ यह गुट प्रदीर्घ समय के लिए उसी दायरे में रहें ऐसा मुझे नहीं लगता। जल्द ही ‘जी-८’ गुट पुन: अस्तित्व में आ जाना चाहिए। उसके निर्माण के लिए सुयोग्य परिस्थिति हमें तैयार करनी चाहिए। हालाँकि इस वर्ष में वैसी परिस्थिति तैयार होने की गुंजाईश नहीं दिखायी दे रही है, लेकिन ‘जी-७’ के दायरे में रशिया का समावेश कर उसे ‘जी-८’ कब और किन शर्तों पर बनाना चाहिए, इसपर चर्चा यक़ीनन ही हो सकती है’ ऐसे संकेत जर्मन विदेशमंत्री ने रशिया के ‘जी-८’ के समावेश के बारे में दिए।

जर्मनी की ‘डीपीए’ इस वृत्तसंस्थ को दिये गए एक इंटरव्ह्यू में फ़्रँक-वॉल्टर स्टेनमायनर ने, युक्रेन एवं सिरिया में चल रहे संघर्षों में रशिया द्वारा दिये गए योगदान की भी सराहना की। ‘युक्रेन की समस्या का राजनीतिक हल निकालने के लिए रशिया की सहायता आवश्यक है। सिरिया में शांति प्रस्थापित होने के लिए भी रशिया की रचनात्मक भूमिका अहम साबित हो रही है। आनेवाला समय यह दर्शानेवाला है कि क्या रशिया सिरियास्थित संघर्ष को ख़त्म करने में सकारात्मक भूमिका अदा करता है?’ यह कहते हुए जर्मन विदेशमंत्री ने रशिया के सहयोग की आवश्यकता होने का एहसास करा दिया।

फिलहाल आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू रहनेवाला कोई भी संघर्ष, बिना रशिया के सहभाग के नहीं सुलझ सकता, ऐसा दावा भी उन्होंने किया। कुछ ही दिन पहले, अमरीका के विदेशमंत्री जॉन केरी ने भी एक इंटरव्ह्यू के दौरान, सिरिया तथा ईरान का परमाणुकार्यक्रम इन समस्याओं को सुलझाने में रशिया द्वारा निभायी गयी भूमिका की प्रशंसा की थी। रशिया ने यदि सकारात्मक भूमिका निभायी न होती, तो ईरान के परमाणुकार्यक्रम पर सफल समझौता न हुआ होता, ऐसा केरी ने इंटरव्ह्यू में स्पष्ट किया था।

जर्मनी के साथ साथ अमरीका के विदेशमंत्री के द्वारा भी रशिया के आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर के बढ़ते प्रभाव पर ग़ौर किया जाना, यह महत्त्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। सन २०१४ में युक्रेन में हुआ सत्तांतर, उसके बाद हुआ संघर्ष और क्रिमिया पर कब्ज़ा इस घटनाक्रम के बाद रशिया एवं पश्चिमी देशों में तीव्र तनाव उत्पन्न हुआ था। अमरीका एवं युरोपीय देशों ने रशिया पर पाबंदियाँ भी लगायी थीं। पश्चिमी देशों के दबाव के कारण रशिया ने ‘जी-८’ गुट में से बाहर निकलने का भी फ़ैसला किया था।

लेकिन उसके बाद के कालखंड में, सिरिया में जारी रहनेवाला संघर्ष और ईरान के परमाणुकार्यक्रम पर चल रहीं चर्चाओं में रशिया का सक्रिय सहभाग था। परमाणुकार्यक्रम विषयक समझौते के लिए ईरान की सरकार को राज़ी करने में रशिया की भूमिका अहम मानी जाती है। उसी समय, सिरिया में आक्रामक लष्करी मुहिम चलाकर रशिया ने अस्साद सरकार को स्थिरता प्रदान की थी। इस स्थिरता की पार्श्वभूमि पर ही सिरिया में पहली ही पार संघर्षबंदी लागू करने में क़ामयाबी मिली थी।

इस प्रकार, आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रशिया के बढ़ते हुए प्रभाव को मद्देनज़र रखते हुए, आंतर्राष्ट्रीय संघर्षों का हल ढूँढ़ने में रशिया का सहभाग आवश्यक बन गया है, ऐसा माननेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाल ही में एक अमरिकी पत्रकार ने, ‘सिरियास्थित आतंकवाद के ख़िलाफ़ रशिया और अमरीका एकसाथ हो जायेंगे’ ऐसा दावा किया है।

‘सिरिया और इराक़ के बीच चल रही ‘आयएस’ की शस्त्र-यातायात को रोकने के लिए रशियासमर्थक रहनेवाला सिरियन लष्कर जल्द ही कार्रवाई करनेवाला है; वहीं, अमरीकासमर्थक कुर्द बाग़ियों के संगठन ‘राक्का’ शहर को ‘आयएस’ से मुक्त कराने के लिए हमलें करने की तैयारी में हैं । गत कुछ ही हफ़्तों में सिरिया में बदला हुआ यह चित्र देखते हुए , जल्द ही रशिया एवं अमरीका ‘आयएस’ के विरोध में एकसाथ हो सकते हैं, ऐसा दावा ‘हेन्ऱी मेएर’ इस पत्रकार ने किया । यदि ऐसा हुआ, तो अस्साद सिरिया की सत्ता अपने हाथ में क़ायम रखने में क़ामयाब होंगे, ऐसा भी मेएर ने कहा है ।  अपने दावे के समर्थन में मेएर ने पश्चिमी एवं रशियन राजनीतिक अधिकारियों से प्राप्त जानकारी का ज़िक्र किया है । अमरीका के ‘ब्लूमबर्ग’ वेबसाईट पर मेएर ने लिखे हुए लेख में उन्होंने कहा है कि ‘गत वर्ष तक रशिया और अमरीका सिरिया के विरोधी गुटों को अपना अपना समर्थन दे रहे थे । लेकिन गत कुछ हफ़्तों से, रशिया और अमरीका समर्थक गुट, साथ ही लष्कर भी ‘आयएस’ के विरोध में कार्रवाई करने लगे है।’

‘रशिया की सिरिया से हुई सेनावापसी के बाद सिरियन लष्कर ‘आयएस’ के विरोध में आक्रामक रवैया अपना रहा है; वहीं, अमरीका समर्थक कुर्द बाग़ियों ने भी अस्साद सरकारविरोधी भूमिका को छोड़कर ‘आयएस’ का ज़ोर रहनेवाले स्थानों पर हमलें शुरू कर दिये हैं । ज़ाहिर है कि एक ही समय, रशिया और अमरीका ‘आयएस’ विरोधी संघर्ष में उतरे हैं’ ऐसा मेएर ने कहा है । सिरिया में अस्थायी सरकार स्थापित करने के विषय में रशिया द्वारा दिया गया प्रस्ताव अमरीका को मंज़ूर होने की घोषणा अमरीका के विदेशमंत्री जॉन केरी ने की थी ।

इन सब बातों से यह साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि रशिया के बारे में पश्चिमी देशों की रहनेवाली विरोधी भूमिका अब धीरे धीरे बदल रही होकर, आंतर्राष्ट्रीय संघर्षों का हल निकारने के लिए रशिया के अधिक से अधिक सहभाग की ये देश उम्मीद रख रहे हैं ।

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