ग्वादर में ‘सेफ झोन’ का निर्माण करने की चीन की कोशिशों के कारण बलोचिस्तान में तीव्र असंतोष

पेशावर – बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में अपना नौसेना अड्डा बनाने की कोशिशें करनेवाले चीन ने ये गतिविधियाँ तेज़ कीं हैं। ग्वादर बंदरगाह के इलाक़े में चीन द्वारा ‘सेफ झोन’ का निर्माण अगुरू हुआ होकर, उसके लिए लोहे के तार का बाड़ और १० फीट ऊँचाई की दीवार बनाने का काम चालू हुआ है। इस निर्माणकार्य को लेकर, बलोची जनता के साथ राजनीतिक दायरे से तीव्र नाराज़गी व्यक्त की जा रही है और चीन के खिलाफ़ असंतोष की भावना अधिक ही तीव्र हुई है।

gwadar-port-safe-zone‘चायना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) के माध्यम से चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत ने पाकिस्तान में अरबों डॉलर्स का निवेश किया है। इसके ज़रिये चीन ने पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह पूरी तरह अपने कब्ज़े में लेते समय, अन्य भागों में भी बड़े पैमाने पर घुसपैंठ शुरू की है। बलोचिस्तान के प्रमुख शहरों में चिनी नागरिक तथा अधिकारियों की आवाजाही बड़े पैमाने पर बढ़ी होकर, वे पाकिस्तानी यंत्रणाओं की भी परवाह नहीं करते, यह दर्शानेवालीं घटनाएँ सामने आयीं हैं। बलोच बाग़ी गुटों ने इसके खिलाफ़ आक्रामक भूमिका अपनाकर चिनी कंपनियाँ, अधिकारी एवं कर्मचारियों पर हमलें करने की शुरुआत की है।

बलोच गुटों द्वारा किये जानेवाले हमलों के कारण चीन के पैरों तले की ज़मीन खिसक गयी होकर, ‘सीपीईसी’ और उसमें सबसे अहम परियोजना होनेवाले ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी जाने लगी है। पाकिस्तानी यंत्रणाएँ हालाँकि चीन की सहायता करतीं हैं, फिर भी चीन के हितसंबंधो पर होनेवाले हमलें अभी तक रुके नहीं हैं। इस कारण चीन ने अब सुरक्षा के मुद्दे का बहाना बनाकर ग्वादर पर अपनी पकड़ अधिक मज़बूत करने की गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। पाकिस्तानी यंत्रणाओं के माध्यम से ‘ग्वादर स्मार्ट पोर्ट सिटी मास्टर प्लॅन’ पर अमल करना शुरू किया गया है।

gwadar-port-safe-zoneइस परियोजना के लिए ग्वादर में लगभग १५ हज़ार एकड़ की ज़मीन कब्ज़े में ले ली होकर, उसपर लोहे के तार का बाड़ तथा दीवार के निर्माण का काम शुरू हुआ है। मुख्य ग्वादर बंदरगाह और उसके ईर्द-गिर्द के लगभग २४ वर्ग किलोमीटर का भाग बंदिस्त किया जानेवाला है। प्रवेश करने के लिए और बाहर निकलने के लिए तीन स्वतंत्र ‘पॉईंट्स’ का निर्माण करके उसपर कड़ी सुरक्षाव्यवस्था तैनात की जानेवाली है। इस झोन के हर एक भाग पर, ५०० ‘हाय डेफिनेशन सर्व्हिलन्स कॅमेराओं’ के माध्यम से बज़र रखी जानेवाली है। इस झोन में आवागमन करने के लिए चीन द्वारा ‘परमिट सिस्टिम’ भी लागू की जा सकती है, ऐसा दावा स्थानिक लोकप्रतिनिधियों से कियी जा रहा है।

ग्वादर में चल रहा निर्माणकार्य यह ‘सीपीईसी’ को सुरक्षित रखने के लिए चीन द्वारा बनाई गई व्यापक नीति का भाग होने का दावा सूत्रों द्वारा किया गया है। ग्वादर के बाद, ‘सीपीईसी’ का भाग होनेवालीं सभी परियोजनाओं के ईर्द-गिर्द इसी प्रकार से ‘सेफ झोन’ बनाकर, उन परियोजनाओं को पूरी तरह चीन के कब्ज़े में लिया जायेगा, ऐसा भी सूत्रों द्वारा बताया गया। इसमें ख़ासकर बलोचिस्तान और सिंध स्थित परियोजनाओं का समावेश होनेवाला है। फिलहाल सिंध प्रांत में चीन द्वारा चार बिजली परियोजनाएँ बनायीं जा रहीं होकर, इस प्रांत का सागरी क्षेत्र विकसित करने की ओर भी चीन ने कोशिशें शुरू कीं हैं।

gwadar-port-safe-zoneइन गतिविधियों के कारण, बलोच तथा पाकिस्तानी विश्‍लेषक ‘सीपीईसी’ के मुद्दे पर जो आरोप कर रहे हैं, उनकी पुष्टि होती दिख रही है। पाकिस्तान का लष्कर पाकिस्तान का ‘चिनीकरण’ करके पूरा देश चीन के कब्ज़े में देने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है, ऐसा आरोप ‘एमक्यूएम’ के प्रमुख अल्ताफ हुसेन ने किया था। वहीं, ‘सीपीईसी’ परियोजना के आड़ में, चीन सिंध समेत बलोचिस्तान को अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहा है, ऐसा दावा इस प्रांत के बाग़ी गुट, प्रतिनिधी तथा विश्‍लेषकों द्वारा किया जाता है।

पाकिस्तानी लष्कर बलोचिस्तान की जनता पर कर रहे अत्याचारों का मुद्दा आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। ऐसे में, चीन ने ग्वादर बंदरगाह में अपनी नौसेना का अड्डा विकसित करने के लिए शुरू कीं गतिविधियाँ भारत समेत दुनिया के अन्य प्रमुख देशों की चिंता बढ़ानेवालीं साबित हो रहीं हैं। इसके लिए अमरीका और युरोपीय देशों समेत खाड़ीक्षेत्र के देशों का विरोध पाकिस्तान को सहना पड़ सकता है। ग्वादर बंदरगाह चीन के हाथ में देते समय, क्या पाकिस्तान की सरकार और लष्कर ने इसका विचार किया है, ऐसा सवाल पाकिस्तान का सुजान वर्ग कर रहा है।

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