जानकारी की सुरक्षा यह राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने सबसे बड़ी चुनौती – लष्करप्रमुख जनरल नरवणे

नई दिल्ली – राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने होनेवालीं चुनौतियों में, जानकारी की सुरक्षा यह वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती साबित होती है। इस मोरचे पर यदि सुरक्षितता नहीं रखी गयी, तो देश की अर्थव्यवस्था को झटके लग सकते हैं और सरकारी यंत्रणा को अपाहिज़ बनाया जा सकता है, ऐसी चेतावनी लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे ने दी है। महाराष्ट्र में एक महाविद्यालय ने आयोजित किये कार्यक्रम को व्हर्च्युअल माध्यम से संबोधित करते समय लष्करप्रमुख ने, राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ जुड़े इस बहुत ही महत्त्वपूर्ण विषय का स्पष्ट शब्दों में एहसास कराया।

‘इंडियाज् नॅशनल सिक्युरिटी सिनारिओ- पास्ट प्रेझेंट अँड फ्युचर’ इस विषय पर लष्करप्रमुख बात कर रहे थे। ‘देश की सुरक्षा यह केवल रक्षाबलों तक ही सीमित होनेवाली बात नहीं है। इसके छ: अहम स्तंभ हैं। लष्करी सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, स्वास्थ्यविषयक सुरक्षा, अन्नसुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा, इन सबका उसमें समावेश किया जाता है। लेकिन आज के दौर में, ‘जानकारी की सुरक्षा’ यह अधिक संवेदनशील बात बनी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने खड़ी हुई यह सबसे बड़ी चुनौती साबित होती है’, इन शब्दों में लष्करप्रमुख ने इसका महत्त्व अधोरेखांकित किया।

सायबर युद्ध का समावेश अपारंपरिक ख़तरों में किया जाता है। इससे रहनेवाला ख़तरा, यह केवल जानकारी से जुड़ी यंत्रणा ढ़ह जाना, इतने तक ही सीमित नहीं है। देश के पास होनेवाली अत्यधिक संवेदनशील जानकारी की चोरी का ख़तरा भी इससे संभवित है। आज के दौर में सरकार और निजी उद्योगक्षेत्र की जानकारी ऑनलाईन उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में बड़ा सायबर हमला देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका दे सकता है और उसके ज़रिये सरकारी यंत्रणाओं को अपाहिज़ बनाया जा सकता है’, ऐसी चेतावनी लष्करप्रमुख ने अपने लेक्चर के दौरान दी।

साथ ही, ड्रोन तंत्रज्ञान का इस्तेमाल सटीक हमलें करने के लिए किया जाता है, इसपर भी लष्करप्रमुख ने ग़ौर फ़रमाया। सन २०१९ के सितम्बर महीने में सौदी अरब के ईंधन प्रोजेक्ट पर हुआ भीषण हमला ड्रोन के ज़रिये कराया गया था। वहीं, आर्मेनिया और अझरबैजान में हाल ही में छेड़े गये युद्ध में भी ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया। भविष्य के युद्ध में ड्रोन तंत्रज्ञान का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जायेगा, यह इससे स्पष्ट होता है। भारतीय लष्कर को इसका एहसास है। इस मोरचे में लष्कर की क्षमता का प्रदर्शन प्रजासत्ताक दिन के समारोह में किया जायेगा, यह लष्करप्रमुख ने स्पष्ट किया।

कोरोना की महामारी के कारण देश पर टूट पड़ा आर्थिक संकट यह भी देश की सुरक्षा को होनेवाले अपारंपरिक खतरे की श्रेणि में आनेवाली बात है। साथ ही, हवामान बदलाव, लोकसंख्या, संसर्ग से होनेवालीं बीमारियाँ, नशीले पदार्थों की तस्करी और कट्टरवाद, इनसे भी देश की सुरक्षा को खतरें हैं, यह बात लष्करप्रमुख ने दर्ज़ की। देश के आर्थिक विकास पर तथा बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करके नागरिकों का उत्कर्ष कराना, यह भी राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में आनेवाला विषय है, इसका भी एहसास लष्करप्रमुख ने करा दिया।

आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना, देश के रक्षा क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा सामरिक महत्त्व होनेवाली है। आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, मानवरहित यान और विमानों का तंत्रज्ञान, ५जी, लॉंग रेंज प्रिसिजन तंत्रज्ञान, क्वांटम कॉम्प्युटिंग, डायरेक्टेड एनर्जी सिस्टीम्स, इनके जैसे नये तंत्रज्ञानों को अपनाकर उन्हें आत्मसात करने की ज़रूरत है। इसी कारण लष्कर आत्मनिर्भर भारत के लिए बड़ा योगदान दे रहा है। इस अभियान में सहभागी होना है या नहीं, यह विकल्प हमारी सामने नहीं रहा है, बल्कि वह अनिवार्यता बनी है, ऐसा लष्करप्रमुख ने आगे कहा।

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