तालिबानी हूकमत के कार्यकाल में अफ़गानिस्तान में नशीले पदार्थों के ब्योपार में बढ़ोतरी होने के संकेत

काबुल – अफ़गानिस्तान में फिर से तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद नशीले पदार्थों का कारोबार अधिक बढ़ने के संकेत दिए गए हैं। बीते महीने में तालिबान ने अफ़गानिस्तान की सरकार के विरोध में आक्रामक मुहिम शुरू करने के बाद नशीले पदार्थों की तस्करी करने के लिए अहम शहरों एवं प्रांतों पर कब्ज़ा किया था, इस ओर भी विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है। बीते कुछ वर्षों में अफ़गानिस्तान में अफीम की खेती के क्षेत्र में ३७ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और इसमें से अधिकांश बढ़ोतरी तालिबान के क्षेत्र में हुई थी, यह रपट संयुक्त राष्ट्र संगठन ने पेश की थी।

तालिबानी हूकमतअफीम की खेती और नशीले पदार्थों का कारोबार ही तालिबान के आर्थिक सहायते का प्रमुख घटक होने की बात अंतरराष्ट्रीय स्तर के अलग अलग रपटों से सामने आयी है। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तालिबान के खिलाफ शुरू की हुई आक्रामक मुहिम के तहत अफ़गानिस्तान में अफीम की खेती वाले क्षेत्रों एवं कारखानों पर हमले किए थे। लेकिन, इसके बाद तालिबान ने फिर से नशीले पदार्थों के कारोबार पर वर्चस्व प्राप्त किया है और इसे पाकिस्तानी यंत्रणाओं का भी सहयोग मिलने की बात समझी जाती है।

तालिबानी हूकमततालिबान ने अफ़गान सरकार के विरोध में आक्रामक मुहिम चलाकर अफ़गान-ईरान सीमा पर स्थित झारंज शहर पर कब्ज़ा किया था। यह शहर अफ़गानिस्तान के नशीले पदार्थों की तस्करी का प्रमुख केंद्र समझा जाता है। इसके अलावा पाकिस्तान की सीमा पर स्पिन बोल्दाक, ईरान की सीमा पर ही स्थित इस्लाम काला एवं तज़िकिस्तान की सीमा के करीबी मार्ग पर नियंत्रण रखनेवाला कुंदुज़ शहर भी नशीले पदार्थों की तस्करी मे अहम होने की बात कही जाती है। राजधानी काबुल पर कब्ज़ा करने से पहले तालिबान ने इन सभी शहरों पर कब्ज़ा किया था, इस ओर विश्‍लेषक जोनाथन गुडहैण्ड ने ध्यान आकर्षित किया है।

केवल तालिबान ही नहीं बल्कि तालिबान के विरोध में लड़ रहे अफ़गानिस्तान के स्थानीय सशस्त्र गुट भी नशीले पदार्थों की तस्करी एवं उससे प्राप्त होनेवाले पैसों पर निर्भर होने का बयान गुडहैण्ड ने किया है। सूखा एवं अस्थिरता के दौर में अफीम की खेती अफ़गान नागरिकों की आय का अहम साधन बनने की बात ब्रिटीश विश्‍लेषक ने कही है। तालिबान ने इसे अधिक बढ़ावा देकर लाभ प्राप्त किया है और उनकी हुकूमत में नशीले पदार्थों का कारोबार अफ़गानिस्तान एवं पड़ोसी देशों की समस्या बन सकता है, यह दावा विश्‍लेषकों ने किया है।

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