चीन के उकसावे पर भारत का प्रत्युत्तर

नई दिल्ली – लद्दाख के सीमा विवाद पर भारत, चीन के लष्करी अधिकारियों की चर्चा जारी है, तभी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपना देश लद्दाख को भारत का केंद्रीय प्रदेश नहीं मानता यह उकसानेवाला बयान किया। तभी भारत इस क्षेत्र में कर रहा बुनियादी सुविधाओं का विकास कार्य ही यहां के तनाव का असल कारण है, ऐसी टिपणी भी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने की। इसके ज़रिये चीन ने लद्दाख की सीमा पर तनाव कम करने के लिए हमें उत्सुकता ना होने की बात दुबारा दिखाई है। साथ ही भारत ने इस क्षेत्र में विकसित किए हुए निर्मान कार्य से इस क्षेत्र पर कब्जा करने की चीन की साज़िश नाकाम हुई है इस वजह से चीन के बेबस्ता चीन ने व्यक्त की हुई प्रतिक्रिया से सामने आ रही है।

एक दिन पहले ही चीन से जुड़े सरहदी क्षेत्र में ४४ पुल एवं रास्तों का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के हाथों वर्चुअल कार्यक्रम के ज़रिये उद्घाटन किया गया। इनमें से लगभग सात प्रकल्प लद्दाख में ही बने हैं। भारत ने इस क्षेत्र में रास्ते, पुल का निर्माण ना करे, इस उद्देश्‍य से चीन आज तक बड़ा दबाव डाल रहा है। लेकिन, इसके साथ ही भारत से जुड़े अपने कब्जे के सरहदी क्षेत्र में चीन ने बड़ी तेज़ गति से बुनियादी सुविधाओं का विकास किया था। इस वजह से काफी कम समय में सीमा पर सेना तैनात करने की क्षमता चीन ने प्राप्त की थी। लेकिन, भारत अपनी रक्षा के लिए इसी तरह से कदम ना उठाए, ऐसा करने पर तनाव बढ़ेगा, यह भूमिका चीन ने अपनाई थी। लेकिन, बीते कुछ वर्षों में भारत ने चीन के दबाव की परवाह किए बिना चीन से जुड़े सीमा क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास प्रकल्प शुरू किए थे।

यही बात चीन को सबसे अधिक परेशान कर रही थी। इसी बीच लद्दाख को केंद्रीय प्रदेश घोषित करने के बाद पाकिस्तान से अधिक चीन की ही बौखलाहट होती दिख रही है। इसी वजह से चीन ने लद्दाख में घुसपैठ करके भारत को सबक सिखाने की कोशिश भी की। गलवान की घाटी में भारतीय सैनिकों पर चीनी सेना ने यकायक किया हुआ हमला भी चीन की तय साज़िश का हिस्सा था। इसके जरिये भारत अपनी सेना के सामने टिक नहीं पाएगा, यह बात पूरे विश्‍व को दिखाने का इरादा चीन ने रखा था। लेकिन, कर्नल संतोष बाबू ने बीस सहयोगियों का बलिदान देकर अपने शौर्य के साथ चीन की साज़िश नाकाम की थी। इस विश्‍वासघात के बाद गुस्सा हुए भारत ने संयम दिखाने की भूमिका छोड़कर चीन को उसी की भाषा में प्रत्युत्तर देने का सिलसिला शुरू किया। बुनियादी सुविधाओं के विकास प्रकल्पों की वजह से चीन उकसानेवाली हरकतें कर रहा है, इसका पूरा ज्ञान रखनेवाले भारत ने इस क्षेत्र में रास्ते एवं पुलों के निर्माण कार्य की गति तीगुनी बढ़ाने की बात कही जा रही है।

 रक्षामंत्री के हाथों इनमें से ४४ पुल एवं रास्तों का उद्घाटन एवं उससे भी पहले मनाली-लेह को जोड़नेवाले अटल टनेल का प्रधानमंत्री के हाथों हुआ उद्घाटन चीन को एक के पीछे एक लगे झटके साबित हो रहे हैं। अगले दिनों में ऐसे और ५० प्रकल्पों का काम पूरा होगा, यह जानकारी रक्षामंत्री ने साझा की थी। चीन ने लद्दाख की सीमा पर ६० हज़ार सैनिक तैनात किए हैं, फिर भी भारत ने विकास प्रकल्पों का निर्माण कार्य बंद नहीं किया है, यही संदेश पूरे विश्‍व को प्राप्त हुआ है। इसी वजह से चीन के विदश मंत्रालय ने लद्दाख के बारे में उकसानेवाले बयान करके भारत को विचलित करने की नाकाम कोशिश करता हुआ दिख रहा है। लद्दाख को भारत ने अवैध तरिके से केंद्रीय प्रदेश घोषित किया है और चीन उसे मंजूरी नहीं देता, यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान ने किया है। साथ ही भारत ने सरहदी क्षेत्र में शुरू किए विकास प्रकल्प ही दोनों देशों के तनाव का असल कारण होने का बयान करके चीनी प्रवक्ता ने अपने देश ने की साज़िश को अप्रत्यक्षरूप से कबूल किया है।

दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों की हुई सातवें स्तर की बैठक से भी कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। भारतीय सेना लद्दाख के पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी ओर स्थित अहम पहाड़ियों पर किया कब्ज़ा छोड़ दे। उसके बाद ही सीमा विवाद पर आगे की चर्चा होगी, इस माँग पर चीन अडा हुआ है। तभी वापसी करनी ही है तो पहले घुसपैठ करनेवाले चीन को लद्दाख की ‘एलएसी’ से वापसी करनी होगी, इस पर भारत अभी कायम है। इसी कारण उम्मीद के अनुसार दोनों देशों के सातवे चरण की चर्चा भी नाकाम रही। लेकिन इस बातचीत में बुनियादी फरक है, इस ओर भारत के सामरिक विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसके पहले हुई चर्चा के दौरान भारत की सीमा में घुसपैठ करनेवाला चीन पीछे हटे, यह आवाहन भारत कर रहा था। इसके बाद भारत को चर्चा में झुकाने में संतोष पाकर चीन पीछे हटता था। लेकिन, अब भारत पहले पीछे हटे, यह माँग चीन कर रहा है। यानी दोनों देशों के बीच लद्दाख की ‘एलएसी’ पर जारी विवाद का हल निकालने के लिए हो रही चर्चा में भारत का पक्ष हावी हो रहा है। ऐसे में चीन का मानसिक दबाव बनाने की साज़िश भारत पर असर नहीं कर रही है, यह बात स्पष्ट हुई है, यह बयान सामरिक विश्‍लेषक बड़े गर्व से कह रहे हैं। इसी के साथ चीन को थोड़ी भी सहुलियत देने की या इस देश पर विश्‍वास करने की गलती भारत ना करे, यह सलाह यह विश्‍लेषक दे रहे हैं।

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