अगले सालभर में भारत की ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ कार्यरत होगी

नई दिल्ली – भारत के साढ़ेसात हज़ार किलोमीटर लंबाई के समुद्री किनारे समेत संपूर्ण सागरी क्षेत्रों की ज़िम्मेदारी होनेवाली ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ अगले वर्ष में सक्रिय होगी। पिछले कुछ वर्षों में रक्षादलों की युद्धक्षमता को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर पुनर्रचना शुरू होकर, ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ यह उसमें निर्णायक चरण माना जाता है। इस कमांड की स्थापना के बाद, भारत के पूर्व तथा पश्‍चिम ऐसे दोनों तरफ़ के आरमारों समेत, नौसेना के लड़ाक़ू विमान, लष्कर की दो ‘ऍम्फिबियस इन्फ्रंट्री ब्रिगेड्स’ तथा तटरक्षक बल पर कमांड के प्रमुख का नियंत्रण रहनेवाला है।

पिछले कुछ सालों में चीन की नौसेना, यह दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना के रूप में सामने आयी है। इस नौसेना के बलबूते पर चीन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार गतिविधियाँ कर रहा है। चिनी पनडुब्बियाँ, विध्वंसक तथा युद्धपोतों की इस क्षेत्र में चल रही आवाजाही, भारत की सुरक्षा को चुनौती देने के लिए ही है, ऐसा सामरिक विश्‍लेषकों का कहना है। इसके ज़रिये भारत की अपने ही सागरी क्षेत्र में घेराबंदी करने की व्यूहरचना चीन ने बनायी है। इस कारण, भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अपना योगदान नहीं दे सकेगा और अपनी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा, ऐसा चीन का अनुमान है। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए भारत ने अपनी नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए तेज़ी से कदम उठाये हैं।

इसके तहत भारत ने ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ की संकल्पना पर काम शुरू किया था। इसकी अंतिम योजना अगले कुछ दिनों में सरकार के सामने प्रस्तुत की जायेगी। इसे जल्द ही मान्यता मिलेगी और ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ का काम अगले सालभर में शुरू होगा, ऐसे दावें किये जाते हैं। इसका मुख्यालय कर्नाटक राज्य के कारवारस्थित नौसेना के अड्डे पर ही होगा। व्हाईस ऍडमिरल दर्ज़े का अधिकारी इस ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ का प्रमुख होगा, ऐसी जानकारी सामने आयी है। इससे भारत की सागरी सुरक्षा अधिक ही सुनिश्‍चित होनेवाली है। भारत समेत अन्य देशों की सागरी सुरक्षा को चुनौती देने के लिए चीन इस्तेमाल कर रहे दाँवपेंचों का अधिक प्रभावी रूप में सामना करना इससे मुमक़िन होगा।

इससे पहले देश के तीनों रक्षाबलों की केवल दो संयुक्त ‘कमांड’ कार्यरत हैं। इनमें अंडमान-निकोबार कमांड और स्ट्रॅटेजिक फोर्सेस कमांड का समावेश है। इसके अलावा तीनों रक्षाबलों की कुल मिलाकर १७ कमांड फिलहाल कार्यरत हैं। लष्करी मुहिम चलाने से लेकर अन्य आवश्यक गतिविधियों का आरेखन करने में तथा समन्वय में आ रहीं दिक्कतों को मद्देनज़र रखते हुए ‘मेरिटाईम थिएटर कमांड’ की स्थापना की गयी है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

अपने विरोध में खडे रहनेवाले, साऊथ चायना सी तथा अन्य क्षेत्रों के देशों को अपने ख़ौंफ़ में रखने के लिए चीन अपने मच्छिमार जहाज़ों का इस्तेमाल कर रहा है। सैंकड़ों की संख्या में चीन के मच्छिमार जहाज़ विवादग्रस्त सागरी क्षेत्र में घुसकर उस देश की सागरी सुरक्षा को चुनौती दे रहे होने की घटनाएँ इससे पहले सामने आयीं हैं। ये मच्छिमार जहाज़ यानी चिनी नौसेना के पथक ही होने के आरोप कुछ देशों ने किये थे। भारत के विरोध में भी चीन इसका इस्तेमाल कर सकता है, ऐसी गहरी संभावना जतायी जा रही है। चीन का यह कारस्तान नाक़ाम करने के लिए भारत ने तैयारी की होकर, हिंद महासागर क्षेत्र में विचरण करनेवाले हर एक जहाज़ को भारतीय नौसेना तथा तटरक्षक बल द्वारा दर्ज़ किया जा रहा है।

चीन की नौसेना में बड़े पैमाने पर पनडुब्बियाँ शामिल हैं। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बेविरोधी विध्वंसकों का निर्माण किया जा रहा है। इस कारण, पनडुब्बियों का इस्तेमाल करके भारत के सागरी प्रभाव को चुनौती देने की चीन की कोशिशों को ध्वस्त करने की भी तैयारी भारत ने की, यह स्पष्ट हो रहा है। नज़दीकी समय में मलाक्का की ख़ाड़ी से होनेवाले अपने सागरी परिवहन की सुरक्षा के लिए अधिक युद्धपोत तैनात करके चीन भारत पर का दबाव बढ़ाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन चीन से भी अधिक मात्रा में युद्धपोत तैनात करके भारत ने मलाक्का की खाड़ी में चीन के ये दाँवपेंच नाक़ाम कर दिये हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.