‘दुनिया की फार्मसी’ यह भारत की पहचान अधिक ही स्पष्ट बनी – विदेश मंत्री एस. जयशंकर

नई दिल्ली –  ७२ देशों को कोरोना प्रतिबंधक टीकों की सप्लाई करके भारत ने ‘दुनिया की फार्मसी’ यह अपनी पहचान अधिक ही स्पष्ट की है, ऐसा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा। राज्यसभा में बात करते समय जयशंकर ने भारत से दुनिया को सप्लाई किए जानेवाले टीकों की जानकारी दी। दुर्बल देशों तक कोरोना प्रतिबंधक टीके की सप्लाई करने की नीति बहुत ही प्रभावी साबित हो रही है। कम से कम दुनिया का एक देश तो यह टीका सब तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा है, यह संदेश इससे प्राप्त हुआ है, ऐसा बताकर विदेश मंत्री ने उसपर संतोष जाहिर किया।

कोरोना की महामारी भड़कने के बाद दुनिया भर के प्रमुख देश भारत की ओर बड़ी उम्मीद के साथ देख रहे थे । कोरोना का सामना करते समय, भारत के वैद्यकीय क्षेत्र से हमें बहुत बड़ी सहायता मिल सकती है, इसका एहसास दुनिया को हुआ था। ‘दुनिया की फार्मसी’ माने जानेवाले भारत में विकसित हुए कोरोना प्रतिबंधक टीकों की माँग दुनिया भर से हो रही है, इसपर विदेश मंत्री ने गौर फरमाया। लेकिन दुर्बल और गरीब देशों तक भी यह टीका पहुँचाने की कोशिश करनेवाले भारत ने, क्षेत्र के अनुसार इन टीकों की सप्लाई करने की नीति अपनाई।

सबसे पहले पड़ोसी देशों को कोरोना के टीकों की सप्लाई करनेवाले भारत ने, अगले दौर में खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों को भी इन टीकों की सप्लाई की है। भारतीय कंपनियाँ औरों के साथ समझौता करके इन टीकों की सप्लाई कर रही हैं, इसपर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने गौर फरमाया। अहम बात यानी ‘दुनिया की फार्मसी’ यह भारत की पहचान इससे अधिक स्पष्ट बनी, ऐसा बताकर जयशंकर ने उसपर संतोष ज़ाहिर किया। केवल कोरोना का टीका ही नहीं, बल्कि हायड्रॉक्सिक्लोरोक्विन, पॅरासिटामल तथा अन्य दवाईयों की भारत ने १५० देशों को की सप्लाई भी अहम साबित होती है। इन १५० में से ८२ देशों को भारत ने ये दवाइयाँ सहायता के तौर पर सप्लाई कीं थीं, ऐसा विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया।

बता दें, भारत में विकसित हुए टीकों के कारण तथा इन टीकों की सप्लाई करने की उदार नीतियों के कारण चीन की बहुत बड़ी हानि हुई है। पहले ही, कोरोना की महामारी चीन के कारण ही दुनिया को सहनी पड़ी, ऐसी आलोचना हो रही है। वुहान में आए इस संक्रमण की जानकारी अगर चीन ने समय पर ही साझा की होती, तो इस संक्रमण को चीन में ही रोकना संभव था। लेकिन चीन ने काफी समय तक इस संदर्भ की जानकारी छिपाकर रखी। अभी भी चीन इस महामारी के उद्गम के बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक करने के लिए तैयार नहीं है। चीन से दुनिया को कोरोना की महामारी मिली, वहीं भारत से उसपर की दवाइयाँ और टिकों की सप्लाई हुई, ऐसा संदेश दुनियाभर में गया है।

इससे भारत की अन्तर्राष्ट्रीय छवि बिखर गई है। आम तौर पर भारतविरोधी प्रचार मुहिम में जोरदार सहभाग लेनेवाले पश्चिमी माध्यमों को भी, भारत ने दुनिया को सप्लाई किए टीकों की दखल लेनी पड़ी। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने भी भारत की प्रशंसा की। साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने भी, भारत दुनिया की फार्मसी है, ऐसा कहा था।

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