टीकों के संदर्भ में भारत ने की माँग को मिली बड़ी सफलता

भारतनई दिल्ली – भारत के प्रधानमंत्री ने जी७ में, ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ का यानी ‘एक ही वसुंधरा, एकसमान स्वास्थ्य सेवा’ यह संदेश दिया। कोरोना के टीके से किसी को भी वंचित रखना उचित नहीं होगा। इसलिए कोरोना प्रतिबंधक टीके को बुद्धिसंपदा कानून के दायरे से हटाना होगा। इससे अविकसित देशों को यह टीका प्राप्त होगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। दक्षिण अफ्रीका ने इस संदर्भ में प्रस्ताव जी७ के सामने रखा था।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने रखे इस प्रस्ताव को जी७ में व्यापक स्तर पर समर्थन मिला होने की जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने तो, भारत के प्रधानमंत्री ने किए बयानों का हवाला देकर, कोरोना के टीके के संदर्भ में भारत ने की माँग का समर्थन किया।

कोरोनप्रतिबंधक टीकों के उत्पादन का जागतिक केंद्र बने भारत को हर संभव सहायता प्रदान किए बगैर टीकों का उत्पादन नहीं बढ़ेगा। कोरोना के टीकों का बड़े पैमाने पर निर्माण करनेवाले भारत को इसके लिए जो कच्चा माल आवश्यक है, उसपर लगाए प्रतिबंध विकसित देश हटाएँ, अन्यथा बड़े पैमाने पर टीकाकरण संभव नहीं है, ऐसा आवाहन फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मक्रॉन ने किया है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अँटोनिओ गुतेरस तथा जागतिक व्यापार परिषद की महासंचालिका ओकोनो इवेला ने भी, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने की हुई इस माँग का समर्थन किया है। इसे यही सामने आया है कि कोरोना के टीकों को बुद्धिसंपदा कानून के दायरे से हटाने की मुहिम को बहुत बड़ी सफलता मिल रही है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पी. हरिश ने कहा।

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