इंडो-पैसिफिक के लिए भारत का जापान और रशिया से सहयोग

नई दिल्ली – अमरीका के नये राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन चीन के बारे में उदार भूमिका अपनायेंगे, ऐसा सन्देह कुछ विश्‍लेषक ज़ाहिर कर रहे हैं। इसका भारत की सुरक्षा पर असर हो सकता है। ख़ासकर चीन को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रोकने के लिए भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों के ‘क्वाड’ को लेकर यदि बायडेन प्रशासन ने नकारात्मक भूमिका अपनायी, तो उसके विपरित परिणाम सामने आ सकते हैं। इस बात को मद्देनज़र रखकर भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए फ्रान्स एवं रशिया इन देशों का सहयोग प्राप्त करने के लिए गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। इसके अनुसार भारत जापान और फ्रान्स के साथ त्रिपक्षीय सहयोग विकसित कर रहा है। उसी समय, रशिया और जापान के साथ स्वतंत्र सहयोग करके भारत चीन को रोकने के लिए कदम उठा रहा दिखायी दे रहा है।

पिछले ही हफ़्ते भारत की रशिया और जापान के साथ इस मामले में चर्चा संपन्न होने की ख़बरें जारी हुईं हैं। इसका सारा विवरण अभी तक सार्वजनिक नहीं किये गये हैं। लेकिन बायडेन प्रशासन की भूमिका अभी तक स्पष्ट ना होते समय, भारत ने शुरू कीं ये गतिविधियाँ ग़ौरतलब साबित होतीं हैं। आनेवाले समय में बायडेन का प्रशासन चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपना सकता है। लेकिन यह आक्रामकता केवल शाब्दिक हो सकती है। वास्तव में बायडेन का प्रशासन चीन के लिए अनुकूल नीति अपनायेगा, ऐसा शक़ कुछ विश्‍लेषक व्यक्त करने लगे हैं। अपने चुनाव प्रचार में बायडेन ने, चीन के विरोध में डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनायीं नीतियों का विरोध किया था, इसपर भी ये विश्‍लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर, ‘क्वाड’ के सहयोग पर असर हो सकता है। यदि वैसा हुआ, तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चल रहीं चीन की आक्रामक हरक़तों का रोकना मुश्किल बनेगा, इसका एहसास इस क्षेत्र के देशों को हुआ है। इसी कारण भारत और जापान द्विपक्षीय सहयोग के साथ ही, फ्रान्स और रशिया इन देशों के साथ स्वतंत्र त्रिपक्षीय सहयोग गुट स्थापन कर रहे हैं। भारत-जापान और रशिया के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शुरू हुआ यह सहयोग किसी दूसरे देश के विरोध में ना होने की बात इन देशों ने स्पष्ट की है। इनमें सागरी सुरक्षा, परिवहन, उच्च तंत्रज्ञान, संशोधन, ऊर्जा, कोयला, कृषि और दवानिर्माण आदि क्षेत्रों में सहयोग का समावेश है, ऐसा इन देशों ने कहा है। रशिया की अतिपूर्वी की तरफ़ होनेवाले क्षेत्र की खनिजसंपत्ति के संदर्भ में भी ये देश सहयोग करनेवाले हैं।

भारत और जापान का रशिया के साथ का यह सहयोग चीन को झटका देनेवाला साबित हो सकता है। अब तक रशिया ने अमरीका के विरोध में चीन से सहयोग करने की भूमिका अपनायी थी। लेकिन अब अमरीका की चीनविरोधी भूमिका बदलने के बाद, इस देश का अगला लक्ष्य रशिया हो सकता है, ऐसे दावें किये जाते हैं। फिलहाल तो, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने हालाँकि रशिया के साथ ‘स्टार्ट’ समझौते की कालावधि बढ़ायी है, फिर भी आनेवाले दौर में वे रशिया के बारे में आक्रमक भूमिका अपनायेंगे ऐसा दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

ऐसी परिस्थिति में चीन की रशिया पर होनेवाली निर्भरता कम होगी, इसका एहसास रखकर रशिया ने अपना भारत तथा जापान के साथ सहयोग अधिक ही दृढ़ करने का फ़ैसला किया होने के संकेत मिल रहे हैं।

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