भारतीय प्रधानमंत्री के जापान भेंट में महत्वपूर्ण करार अपेक्षित

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिचर को जापान पहुंच रहे है। अमरिका एवं चीन में भड़के हुए व्यापार युद्ध, साउथ एवं ईस्ट चाइना सी क्षेत्र में चीन के सामर्थ्य का प्रदर्शन, इसकी वजह से भारत एवं जापान में सहयोग को बहुत बड़ा महत्व प्राप्त हो रहा है। इसलिए भारतीय प्रधानमंत्री की यह जापान भेंट सामरिक, राजनीतिक तथा व्यापारी दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

एशिया पैसिफिक क्षेत्र के देशों ने चीन के बढ़ते आक्रामकता के विरोध में एकजुट के लिए प्रयत्न शुरू किये है। भारत भी इन प्रयत्नों को साथ दें ऐसा आवाहन जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरिका से किया जा रहा है। चारों देशों द्वारा इंडो पैसिफिक क्षेत्र के सुरक्षा के लिए संयुक्त रूप से प्रयत्न करने का प्रस्ताव दिया जा रहा है और इस संदर्भ में भेंट के लिए चर्चा शुरू हुई है। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के दौरे पर जा रहे है।

भारतीय, प्रधानमंत्री, जापान, भेंट, महत्वपूर्ण करार, अपेक्षित, नरेंद्र मोदी, भारत, चीन२ दिनों के इस जापान भेंट में प्रधानमंत्री मोदी एवं जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे इनमें महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होने वाली है, ऐसी जानकारी विदेश सचिव विजय गोखले ने दी है। इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा का मुद्दा होगा ऐसा गोखले ने कहा है। उत्तर कोरिया एवं दक्षिण कोरिया में चर्चा तथा आतंकवाद एवं देशों की सीमा पार होने वाले अपराधों का मुद्दा दोनों नेताओं की चर्चा में होगा, ऐसी जानकारी विदेश सचिव गोखले ने दी है।

भारत और जापान में तंत्रज्ञान विशेष सहयोग नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रयत्न किए जाएंगे और दोनों देश टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप करार करेंगे, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संदर्भ में सहयोग का भी समावेश होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात मतलब प्रधानमंत्री मोदी इनके इस जापान भेंट में दोनों देशों में लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट संपन्न होने का दावा किया जा रहा है।

इस करार की वजह से भारत के रक्षा दल को जापान का अड्डा उपयोग में लाना संभव हो सकता है। तथा जापान के रक्षा दल के लिए भारतीय अड्डा उपलब्ध हो सकता है। भारत एवं जापान को चीन से संभावित खतरे की पृष्ठभूमि पर यह सामरिक सहयोग निर्णायक ठहर सकते हैं। जिबौती जैसे देश में चीन ने लष्करी अड्डा निर्माण किया है और इससे भारत के सुरक्षा विषयक हित संबंधों को चुनौती मिल रही है। ऐसी परिस्थिति में जिबौती में जापान का लष्करी अड्डा भारतीय रक्षा दल के लिए उपलब्ध हुआ तो भारत चीन के कार्यों को सक्षमता से सामना कर सकता है।

इस रूप से भारत एवं जापान अपना वर्चस्व सभी स्तर पर सहयोग बढ़ा के समय दोनों देशों में व्यापारी सहयोग को बहुत बड़े परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। अमरिका के साथ चीन का व्यापार युद्ध भड़का है और ऐसे समय में जापान भारत के साथ अपनी व्यापारी साझेदारी बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है एवं जापान में बड़े तादाद में व्यापार हो रहा है। पर चीन व्यापार का शस्त्र के तौर पर उपयोग करते समय, भारत जैसे विश्वासु मित्र देश का सहयोग जापान के लिए बहुमूल्य हो सकता है।

इसकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी इनके जापान भेंट में भारत एवं जापान में व्यापार तथा निवेश विषयक सहयोगी करार संपन्न हो सकते हैं।

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