व्हिएतनाम में ‘इंडियन ओशन कांफ्रेंस’ शुरू

हनोई: भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज चार दिनों के ‘आसियान’ दौरे के लिए रविवार रात को व्हिएतनाम में दाखिल हुईं हैं। भारत ने अपनाई ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के अंतर्गत ‘इंडो-पसिफ़िक’ क्षेत्र में सहभाग बढ़ने के लिए कोशिश शुरू है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का यह दौरा उसीका ही एक हिस्सा माना जा रहा है। सोमवार को स्वराज ने व्हिएतनाम की राजधानी हनोई में भारत की तरफ से आयोजित किए गए तीसरे ‘इंडियन ओशन कांफ्रेंस’ का उद्घाटन किया।

व्हिएतनाम, इंडियन ओशन कांफ्रेंस, शुरू, सुषमा स्वराज, दौरा, हनोई, भारतभारत ने पिछले कुछ वर्षों में ‘आसियान’ देशों के साथ सहकार्य बढाने के लिए योजनाबढ तरीके से कोशिशें शुरू की हैं। इन कोशिशों में व्हिएतनाम का स्थान महत्वपूर्ण है और इंधन, व्यापार, निवेश, सुरक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में भारत-व्हिएतनाम के बीच संबंध अधिक मजबूत हुए हैं, ऐसा माना जा रहा है। ‘साउथ चाइना सी’ क्षेत्र के अधिकारों के बारे में चीन के साथ हुए विवाद में भारत व्हिएतनाम के पीछे मजबूती से खड़ा रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर, भारत की पहल से शुरू किए गए ‘इंडियन ओशन कांफ्रेंस’ का व्हिएतनाम में किया गया आयोजन ध्यान आकर्षित करता है। भारतीय अभ्याससमुह ‘इंडियन फाउंडेशन’ की पहल से आयोजित किए जाने वाली इस परिषद में व्हिएतनाम, सिंगापूर, बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ साथ करीब ३५ देश शामिल हैं। ‘क्षेत्रीय रचना का निर्माण यह इस बार के ‘इंडियन ओशन कांफ्रेंस’ की मुख्या संकल्पना है।

चीन ने पिछले कुछ वर्षों में ‘साउथ चाइना सी’ के साथ साथ पसिफ़िक महासागर में वर्चस्व के लिए जोरदार गतिविधियाँ शुरू की हैं। इन गतिविधियों को रोकने के लिए अमरिका ने भारत के साथ साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया की सहायता से मोर्चा खोला है। इसमें भारत का स्थान महत्वपूर्ण है। भारत ने जापान और ऑस्ट्रेलिया की सहायता से ‘इंडो-पसिफ़िक’ देशों के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिशों को गतिमान किया है।

व्हिएतनाम की परिषद और उसके बाद स्वराज का कंबोडिया दौरा, इन कोशिशों में महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाला है। व्हिएतनाम में दाखिल होने पर स्वराज ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की है और बंदरगाह और हवाई क्षेत्र में भारत श्रीलंका की पूरी सहायता करेगा, ऐसा आश्वासन दिया है।

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