भारतीय नौसेना होगी टॉर्पेडोभेदी ‘मारीच’ से लैस

नई दिल्ली – भारतीय युद्धपोत अथवा पनडुब्बियों की दिशा में प्रक्षेपित किये टॉर्पेडो ढूँढ़कर उन्हें नष्ट करनेवाली ‘मारीच’ यंत्रणा का भारतीय नौदल में समावेश किया गया है। ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने विकसित की यह यंत्रणा भारतीय नौदल के लिए बहुत ही अहम साबित होनेवाली है। भारत के समुद्री क्षेत्र में चिनी सबमरिन्स की बढ़तीं गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, मारीच यंत्रणा का भारतीय नौसेना में समावेश उचित साबित होता है।

Indian navy maareechभारतीय नौसेना तथा ‘डीआरडीओ’ ने विकसित की हुई मारीच यह टॉर्पेडोभेदी यंत्रणा पूरी तरह स्वदेश निर्मित है। भारतीय युद्धपोतों को निर्माण हुए ख़तरे की पृष्ठभूमि पर सन २०१६ से ‘डीआरडीओ’ इस यंत्रणा पर काम कर रहा है। साल भर पहले इस यंत्रणा का निर्माण पूरा हो चुका होकर, गत कुछ महीनों से नौसेना के विध्वंसक पोतों पर से तथा समुद्री प्लॅटफॉर्म पर से मारीच यंत्रणा का परीक्षण किया जा रहा था। इन परीक्षणों में भारतीय नौसेना के नियोजित निकषों के आधार पर यह यंत्रणा पास हुई, ऐसा नौसेना ने घोषित किया।

‘मेक इन इंडिया’ के तहत विकसित की गयी इस यंत्रणा के कारण भारतीय नौसेना के सामर्थ्य में भारी मात्रा में बढ़ोतरी हुई होने का दावा नौसेना ने किया है। ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ इस कंपनी को इस यंत्रणा के निर्माण का काँट्रॅक्ट दिया गया है। भारतीय नौसेना का हर एक विध्वंसक पोत मारीच यंत्रणा से लैस किया जानेवाला होकर, इससे भारतीय नौसेना की पनडुब्बीविरोधी युद्धक्षमता में बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ महीनों से बंगाल की खाड़ी से लेकर हिंद महासागर तक के क्षेत्र में चिनी पनडुब्बियों की आवाजाही की पृष्ठभूमि पर, मारीच यंत्रणा की तैनाती अहम साबित होती है।

इस महीने की शुरुआत में ही भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में होनेवालीं चिनी युद्धपोत और पनडुब्बियों की बढ़तीं गतिविधियों की जानकारी जारी की थी। मलाक्का की खाड़ी से लेकर एडन की खाड़ी तक चिनी पनडुब्बियों की बढ़ती गतिविधियों की दखल भारतीय नौसेना ने ली थी। पारंपरिक क्षेपणास्त्रों से लैस पनडुन्नियों से लेकर परमाणु क्षेपणास्त्रों से लैस होनेवालीं चिनी पनडुब्बियाँ हिंद महासागर क्षेत्र में आवाजाही कर रही हैं, यह बात भारतीय नौसेना ने दर्ज़ की थी। परमाणु क्षेपणास्त्रों से लैस होनेवालीं पनडुब्बियाँ रवाना कर चीन भारत को चुनौती दे रहा है, ऐसी चेतावनी भारतीय नौदल ने दी थी।

इसके अलावा गत दिसम्बर महीने से मई महीने तक हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के समुद्री ड्रोन्स की ३४०० से अधिक गतिविधियाँ दर्ज़ की गयीं हैं। समुद्री तल का अध्ययन करने के लिए हम इन ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसा चीन की नौसेना कहती है। लेकिन हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़तीं गतिविधियाँ अपनी समुद्री सुरक्षा के लिए ख़तरनाक हैं, ऐसा भारतीय नौसेना ने इससे पहले ही चेताया था। इस पृष्ठभूमि पर, मारीच यंत्रणा का भारतीय नौसेना में समावेश चीन के लिए वाँर्निंग बेल साबित होती है।

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