भारतीय विदेशमंत्री की पाकिस्तान और चीन को फटकार

नई दिल्ली – कश्‍मीर की समस्या भारत और पाकिस्तान को जोड़नेवाले बुनियादी सुविधाओं के प्रकल्प में अड़ंगा बन रही है, ऐसा दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया है। उज़बेकिस्तान के ताश्‍कंत में आयोजित परिषद में यह दावा करके प्रधानमंत्री इम्रान खान ने कश्‍मीर का मसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की एक और कोशिश की। इस पर भारत के विदेशमंत्री ने वहीं के वहीं मुँहतोड़ ज़वाब दिया। दोनों देशों को जोड़नेवाली बुनियादी सुविधाओं के (कनेक्टिविटी) प्रकल्पों में समस्या नहीं है बल्कि संकुचित मानसिकता अड़ंगा बनी हुई है, ऐसी फटकार भारत के विदेशमंत्री जयशंकर ने लगाई।

फटकारकनेक्टिविटी के प्रकल्प एकांगी एवं एकतरफा नहीं हो सकते, ऐसा बयान भी जयशंकर ने आगे किया। इन प्रकल्पों के बीच कोई भी समस्या अड़ंगा नहीं बन सकती, लेकिन संकुचित मानसिकता की वजह से ऐसे प्रकल्प निश्चितरूप से रोके जा सकते हैं, ऐसा कहकर भारत के विदेशमंत्री ने पाकिस्तान की सड़ी हुई मानसिकता को लक्ष्य किया। एक ओर कनेक्टिविटी के प्रकल्प का पुरस्कार करना और दूसरी ओर इसी प्रकल्प को रोकने की भूमिका अपनाना, पाकिस्तान के ऐसे दोगलेपन को भी जयशंकर ने इस दौरान लक्ष्य किया।

भारत और अफ़गानिस्तान एवं मध्य एशियाई देशों को व्यापारी मार्ग उपलब्ध कराने का प्रस्ताव पाकिस्तान ने ठुकराया था। लेकिन, भारत ने ईरान का छाबहार बंदरगाह विकसित करके इसके ज़रिये अफ़गानिस्तान एवं मध्य एशियाई देशों में व्यापारी यातायात शुरू करने के लिए पहल की है। भारत के छाबहार बंदरगाह में हुए निवेश का दाखिला देकर विदेशमंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान दिखा रहे अड़ियल रवैये का भारत के व्यापार पर असर ना होने देंगे, यह संकेत भी दिए।

ताश्‍कंत की इस परिषद में रशिया और चीन के विदेशमंत्री भी उपस्थित थे। चीन ‘बेल्ट ऐण्ड रोड’ अपना यह बुनियादी सुविधाओं का प्रकल्प चलाकर इसका सामरिक एवं राजनीतिक कारणों के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसके ज़रिये चीन अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने की तैयारी में है और इसके लिए गरीब देशों को कर्ज़ के जाल में फंसाने की पूरी तैयारी भी चीन ने जुटाई है। इसके भयंकर परिणामों को महसूस करनेवाले देशों ने चीन के इस कर्ज और प्रकल्पों के जाल से स्वयं को रिहा करने के लिए आवश्‍यक गतिविधियाँ शुरू की हैं। अमरीका और यूरोपिय महासंघ ने भी इसका संज्ञान लेकर चीन के ‘बीआरआय’ के विकल्प का ऐलान किया है।

इस पृष्ठभूमि पर कनेक्टिविटी बढ़ानेवाले प्रकल्प एकतरफा नहीं होने चाहियें, यह प्रकल्प पारदर्शी एवं सर्वसमावेशक होने चाहियें, यह उम्मीद जताकर भारत के विदेशमंत्री ने सीधे ज़िक्र किए बगैर चीन को समझ दी है।

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