भारतीय विदेशमंत्री ने इस्रायल, दक्षिण कोरिया और ब्रिटन के विदेशमंत्रियों से की चर्चा

नई दिल्ली – इस्रायल के नवनियुक्त विदेशमंत्री गाबी अश्‍केनाझी ने पद का भार स्वीकारने के बाद सबसे पहले भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर से फोन पर बातचीत की। इससे इस्रायल के नये विदेशमंत्री ने दर्शाया है कि भारत के साथ बनें संबंधों को हम सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। साथ ही. विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने मंगलवार के दिन दक्षिण कोरिया और ब्रिटन के विदेशमंत्री के साथ भी वीडियो कान्फरन्सिंग एवं फोन पर बातचीत की।

वर्ष २००७ से २०११ के दौरान अश्‍केनाझी इस्रायल के रक्षादलप्रमुख के तौर पर कार्यरत थे। अब नये मंत्रिमंडल में विदेशीमंत्री के तौर पर उनकी नियुक्ती की गई है। अपने पद का भार स्वीकारने के बाद अश्‍केनाझी ने सबसे पहले भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर से फोन पर बातचीत की। दोनों देशों में द्विपक्षीय संबंध एवं दोनों देशों की विकसित हो रही विशेष साझेदारी इन मुद्दे पर इन दो नेताओं ने चर्चा करने की बात कही जा रही है। विदेशमंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया पर इस चर्चा की जानकारी साझा की। साथ ही, अश्‍केनाझी से प्रत्यक्ष भेंट करने के लिए हम उत्सुक हैं, यह भी भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया की अपनी पोस्ट में कहा है।

भारत और इस्रायल के बीच सन १९९२ से राजनैतिक संबंध स्थापित हुए हैं। इसके बाद के दौर में दोनों देशों में रक्षा क्षेत्र से संबंधित साझेदारी भी विकसित हुई है। भारत को रक्षा सामग्री एवं हथियारों की आपूर्ति कर रहें देशों में इस्रायल शीर्ष स्थान पर है। ऐसा होते हुए भी, भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इस्रायल यात्रा सन २०१७ में हुई। प्रधानमंत्री मोदी की इस इस्रायल यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंध और भी मजबूत और व्यापक हुए थे। अब इस्रायल की विदेशनीति में भारत की अहमियत असाधारण होने का संदेश नये विदेशमंत्री अश्‍केनाझी ने, सबसे पहले भारतीय विदेशमंत्री से बातचीत करके दिया है।

विदेशमंत्री जयशंकर ने वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से दक्षिण कोरिया के विदेशमंत्री कँग क्योंग व्हा से भी बातचीत की। कोरोना वायरस की वज़ह से बनीं जागतिक स्थिति पर दोनों नेताओं की बातचीत हुई। कोरोना वायरस का उद्गम चीन से ही होने की बात उजागर होने के बाद आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन अब सबसे अधिक अप्रिय देश बना है। इसी वज़ह से बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने चीन में स्थापित अपने उत्पाद केंद्र बंद करके अन्य देशों में स्थानांतरित करने की तैयारी की है। इनमें कोरियन कंपनियों का भी समावेश हैं और इनमें से कुछ अहम कंपनियाँ भारत में निवेश करने की तैयारी में हैं। दक्षिण कोरिया के विदेशमंत्री के साथ हुई बातचीत में इसकी मिसाल देकर विदेशमंत्री जयशंकर ने, कोरियन कंपनियों के निवेश से भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ गति से पटरी पर आएगी, यह विश्‍वास व्यक्त किया है।

साथ ही, ब्रिटन के विदेशमंत्री डॉमनिक राब के साथ भी भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने फोन पर चर्चा की है। इस चर्चा के दौरान, कोरोना की महामारी और उसके बाद की आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनीं स्थिति का मुद्दा अहम रहा। कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद ब्रिटन ने चीन के विरोध में बहुत ही आक्रामक भूमिका अपनाकर अमरीका का साथ दिया है। इस महामारी को लेकर गैरजिम्मेदाराना बर्ताव करनेवाले चीन के विरोध में तैयार हो रहें चीनविरोधी मोरचे में ब्रिटन का स्थान अहम है और इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय और ब्रिटीश विदेशमंत्री में हुई चर्चा अहम साबित होती है।

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