भारतीय अर्थव्यवस्था उड़ान भरने की तैयारी में – जागतिक बैंक ने जताया भरोसा

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – भारतीय अर्थव्यवस्था इस वित्तीय वर्ष में लगभग ७.५ से १२.५ प्रतिशत इतनी विकास दर से प्रगति कर सकेगी, ऐसा जागतिक बैंक ने कहा है। कोरोना की महामारी के कारण आई हुई मंदी को झटककर भारतीय अर्थव्यवस्था उड़ान भरने की तैयारी में है, ऐसा दावा जागतिक बैंक ने किया। साथ ही, २०२०-२१ इस वित्तीय वर्ष में देश में आनेवाला ‘फॉरिन पोर्टफोलिओ इन्व्हेंस्टमेंट’ (एफपीआय) पूरे २.६ लाख करोड़ों रुपयों के रिकॉर्ड स्तर पर गया होने की ख़बर आई है। यह विदेशी संस्थागत निवेश का बढ़ना, इसका अर्थ भारतीय अर्थव्यवस्था पर विदेशी निवेशकों का विश्वास अधिक दृढ़ होना, ऐसा होता है। इसलिए जागतिक बैंक ने भारत के आर्थिक प्रदर्शन के बारे में व्यक्त किया विश्वास अधिक ही अहम साबित होता है।

जागतिक बैंक

साल भर पहले के हालातों को मद्देनज़र रखा, तो भारत का वर्तमान आर्थिक प्रदर्शन ज़बरदस्त है, यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। कोरोना की महामारी के कारण करने पड़े लॉकडाउन के कारण मंदी आई थी और भारत के अर्थव्यवहार लगभग ३० से ४० प्रतिशत से घटे थे। इस महामारी का डर तथा टीके के बारे में अनिश्चितता, इससे भारत की आर्थिक प्रगति में रोड़े उत्पन्न हुए थे। लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था उछाल ले रही है। इस देश में कोरोनाप्रतिबंधक टीकाकरण की मुहिम ज़ोर पकड़ रही है। उसी के साथ, भारत की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलने लगी है, ऐसा जागतिक बैंक के दक्षिण एशिया विभाग के प्रमुख अर्थ विशेषज्ञ हॅन्स टिमर ने कहा है। ऐसा होने के बावजूद भी, हालात अभी भी चुनौतीभरे हैं, इसपर भी टिमर ने गौर फरमाया।

२०२१-२२ इस वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग ७.५ से १२.५ प्रतिशत के बीच की विकास दर से प्रगति करेगी। कोरोनाप्रतिबंधक टीकाकरण की मुहिम पर भी बहुत कुछ निर्भर होगा। साथ ही, जागतिक अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से पूर्ववत होगी, इसपर भी भारत की प्रगति की रफ्तार तय होगी, ऐसा टिमर ने स्पष्ट किया। टिमर द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था पर यह विश्वास व्यक्त किया जा रहा है कि तभी उसकी पुष्टि करनेवाली खबर सामने आई है। भारत में २०२०-२१ इस वित्तीय वर्ष में २.६ लाख करोड़ रुपयों का ‘फॉरिन पोर्टफोलिओ इन्व्हेंस्टमेंट’ (एफपीआय) अर्थात् विदेशी संस्थागत निवेश आया है।

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विदेशी वित्तसंस्थाओं ने भारत में किया यह २.६ लाख करोड़ रुपयों का निवेश सर्वाधिक है, ऐसा बताया जाता है। इससे निवेशक भारतीय अर्थव्यवस्था पर जो विश्वास दिखा रहे हैं, वह जगज़ाहिर हुआ है, ऐसा दावा किया जाता है। किसी भी देश में ठेंठ विदेशी निवेश (एफडीआय) तथा ‘फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्व्हेंस्टमेंट’ (एफपीआय) इन दो मार्गों से विदेशी निवेश आता रहता है । ‘एफपीआय’ द्वारा किया जानेवाला निवेश यह प्रायः शेअर्स तथा बॉण्ड के रूप में होता है। बुधवार को २०२०-२१ के आर्थिक वर्ष का अंत था। इस पूरे आर्थिक वर्ष में कुल २ लाख, ७४ हज़ार ५०३ करोड़ रुपयों का ‘एफपीआय’ भारत में आया। उसी समय विदेशी वित्त संस्थाओं ने २४ हज़ार ७० करोड़ रुपये बॉण्ड बाज़ार से निकाले होकर, इसी दौर में अन्य विभाग में १० हज़ार २३८ करोड रुपयों का निवेश हुआ है। इस प्रकार आर्थिक वर्ष में २.६ लाख करोड़ रुपए का विदेशी निवेश देश में हुआ है।

इससे पहले सन २०१२-१३ में ‘एफपीआय’ के जरिए भारत में १.४ लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ था । यह अब तक का रिकॉर्ड था। लेकिन इस साल इस मोरचे पर नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है। २०२१-२२ में देश में होनेवाले निवेश में अधिक बढ़ोतरी होगी, ऐसा विश्वास कुछ अर्थविशेषज्ञ ज़ाहिर कर रहे हैं।

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