कंधार में नियुक्त भारत के राजनीतिक अधिकारी स्वदेश लौटे

नई दिल्ली – अफगानिस्तान के २०० से अधिक जिलों पर कब्ज़ा करनेवाले तालिबान के आतंकियों ने कुछ घंटे पहले दक्षिणी ओर के कंधार शहर में घुसपैठ की। इससे सतर्क हुए भारत ने, कंधार स्थित अपने उच्चायुक्तालय के ५० राजनीतिक अधिकारियों को सुरक्षित रूप में स्वदेश बुला लिया। ऐसा होने के बावजूद भी कंधार स्थित उच्चायुक्तालय शुरू होकर, वहाँ कामकाज शुरू होने की जानकारी भारत के विदेश मंत्रालय ने दी। उसी के साथ शांतिपूर्ण, सार्वभौम और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान के लिए भारत उत्तरदाई होगा, यह भी विदेश मंत्रालय ने फिर एक बार स्पष्ट किया।

पिछले दो महीनों से अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों के कारनामे तीव्र हुए हैं। अफगानिस्तान के ८५ प्रतिशत भूभाग पर कब्जा किया होने का दावा तालिबान कर रहा है। तालिबान के इन हमलों के कारण घबराए हुए चीन, ईरान, तुर्की इन देशों ने, दो दिन पहले अफगानिस्तान स्थित अपने उच्चायुक्तालय बंद करके अपने अधिकारियों को बाहर निकाला था। उसके बाद भारत ने भी राजधानी काबुल स्थित अपना दूतावास बंद किया होने की खबरें जारी हुईं थीं। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में, उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है, यह बताकर, काबुल स्थित दूतावास में कामकाज जारी होने का ऐलान किया था। 

उसके बाद शनिवार शाम को फिर एक बार, भारत ने कंधार स्थित उच्चायुक्तालय बंद करके अपने कर्मचारियों को स्वदेश लाने की खबरें आईं थीं। भारत के विदेश मंत्रालय ने फिर से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, उच्चायुक्तालय बंद ना किया होने का ऐलान किया। स्थानिक अधिकारियों की सहायता से उच्चायुक्तालय में कामकाज तथा वीज़ा सेवा जारी है, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया। ख़ास विमान रवाना करके उच्चायुक्तालय के भारतीय राजनीतिक अधिकारियों को स्वदेश लाया गया होकर, यह अस्थाई रूप में की हुई कार्रवाई है। अफगानिस्तान की सुरक्षा विषयक गतिविधियों पर भारत बारीकी से नजर रखे हैं, यह बागची ने स्पष्ट किया ।

अफगानिस्तान में लष्कर और तालिबान के बीच संघर्ष अधिक से अधिक तीव्र होता चला जा रहा है। इस संघर्ष में पाकिस्तानी लष्कर के जवान तालिबान की पोशाक में शामिल होने की खबरें स्थानिक माध्यमों में सामने आ रहीं हैं। उसी समय, लश्कर-ए-तोइबा जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भी अफगानिस्तान में डेरा डाले हुए हैं, यह इससे पहले ही स्पष्ट हुआ है। अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष का फायदा उठाकर ये पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन और पाकिस्तान का लष्कर भी भारत के हितसंबंधों पर हमलें कर सकते हैं, ऐसी चिंता व्यक्त की जाती है।

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