भारतीय सेना ‘एलएसी’ पर चीन के खिलाफ दीर्घकालिक तैनाती रखने के लिए तैयार – रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत

नई दिल्ली – भारत-चीन की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दीर्घकालिक तैनाती के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार होने की गवाही देश के रक्षाबलप्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपीन रावत ने दी है। जून में गलवान की घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच बना तनाव अभी भी बरकरार है और इस मुद्दे पर लष्करी स्तर पर हुई सभी चर्चा नाकाम साबित हुई है। इस वजह से सीडीएस जनरल रावत ने संसदिय समिती के सामने चीन की सीमा पर की हुई तैनाती से संबंधित किया बयान अहमियत रखता है। इसी पृष्ठभूमि पर चीन ने फिर एक बार भारत के साथ जुड़ी सीमा पर शांति और स्थिरता आवश्‍यक होने का आवाहन किया है।

जनरल बिपीन रावत

गलवान वैली के संघर्ष में भारतीय सेना ने चीन को बड़ा झटका दिया था। इस झटके से चौंके हुए चीन ने इसके बाद समय की बरबादी करने की नीति अपनाना शुरू किया है। तनाव में बढ़ोतरी ना हो इसलिए चर्चा जारी रखकर विभिन्न हिस्सों में सेना की तैनाती बढ़ाने की साज़िश चीन कर रहा है। लेकिन, चीन की हरकतों का एहसास रखनेवाले भारत ने कड़े और आक्रामक कदम उठाने पर जोर दिया है। बीते सप्ताह में हुई चर्चा के दौरान चीनी सैनिक पीछे हटने तक भारत भी अपनी तैनाती कम नहीं करेगा, यह इशारा भारत ने चीन को स्पष्ट शब्दों में दिया था।

बीते दो महीनों में भारत ने चीन की नियंत्रण रेखा पर अतिरिक्त डिविजन्स तैनात की हैं। साथ ही प्रगत ड्रोन्स, लड़ाकू विमान और ‘अटैक हेलिकॉप्टर्स’ की संख्या में भी बड़ी बढ़ोतरी की है। लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और सिक्कीम के साथ पूरी नियंत्रण रेखा पर किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना तैयार है। इस मुद्दे पर संसदीय समिती के साथ हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान सीडीएस जनरल रावत के साथ वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों ने जमकर भरोसा दिलाया।

जनरल बिपीन रावत

अगले एक-दो महीनों में ठंड़ का मौसम शुरू होगा और इस दौरान नियंत्रण रेखा का अधिकांश क्षेत्र बड़ी मात्रा में बर्फिला रहता है। शून्य के नीचे गिरा हुआ तापमान और लगातार उठनेवाले बर्फीले तूफानों की वजह से रक्षाबलों के लिए यह समय कसौटी का दौर माना जाता है। भारतीय सेना ने ऐसी स्थिति में तैनाती रखने के लिए विशेषता प्राप्त की है और चीन के साथ मौजूदा तनाव की स्थिति में यह बात प्रखरता से रेखांकित हो रही है। भारतीय सेना की तैयारी चीन के लिए चिंता का विषय साबित हो रही है और चीन ने दुबारा शांति और स्थिरता की भाषा बोलना शुरू किया है।

चीन और भारत के संबंधों के लिए दोनों ओर से सरहदी क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाना अहम होगा। द्विपक्षीय सहयोग का विकास और स्थिरता के लिए यह बात आवश्‍यक है। चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ समान हितसंबंध बढ़ाने की और एक-दूसरे पर विश्‍वास मज़बूत करने की कोशिश करेगा, यह निवेदन चीन के विदेश विभाग ने जारी किया है।

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