‘एलएसी’ पर भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है – सेनाप्रमुख जनरल नरवणे की चीन को चेतावनी

चीन को चेतावनीनई दिल्ली – ‘लद्दाख की ‘एलएसी’ के सभी क्षेत्रों से चीन की सेना पीछे हटने तक वहाँ का तनाव खत्म नहीं होगा। भारतीय सेना को ‘एलएसी’ पर शांति और सौहार्दता की उम्मीद हैं। लेकिन, अगर कोई स्थिति निर्माण होती है, तो किसी भी चुनौति का सामना करने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है। एकतरफा कार्रवाई से ‘एलएसी’ की स्थिति में बदलाव करने की कोशिश भारत बर्दाश्‍त नहीं करेगा’, ऐसें सख्त शब्दों में भारतीय सेनाप्रमुख ने चीन को नयी चेतावनी दी। लद्दाख की ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में चीन की सेना और वायुसेना का युद्धाभ्यास हो रहा है और इसी बीच भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने यह चेतावनी देना ध्यान आकर्षित करता है।

‘एलएसी’ के पूर्वीय लद्दाख के करीबी क्षेत्र में चीन ने युद्धाभ्यास शुरू किया है। साथ ही, भारत की ‘एलएसी’ के करीब चीन ने भारी मात्रा में प्रगत हथियार और रक्षा सामान की तैनाती करना शुरू किया है। इस तैनाती और युद्धाभ्यास का इस्तेमाल चीन भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए कर रहा है। या फिर यह चीन की अगली कार्रवाई की तैयारी भी हो सकती है। इन सभी गतिविधियों को भारतीय सेना काफी बारिकी से देख रही है। भारत के वायुसेनाप्रमुख आर.के.एस.भदौरिया ने लेह के हवाई अड्डे का दौरा करके वहाँ की तैयारी का परीक्षण किया। चीन की सेना और वायुसेना के युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि पर वायुसेनाप्रमुख ने लेह का दौरा करना सामरिक नज़रिये से अहम साबित होता है।

अब भारतीय सेनाप्रमुख जनरल नरवणे ने फिर एक बार चीन को स्थिति का अहसास कराया है। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर स्थित गोग्रा, हॉट स्प्रिंग और डेप्सांग से चीन के सैनिक अभी तक पीछे नही हटें हैं। भारत ने लगातार माँग करने के बावजूद भी चीन इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन, जब तक चीन इस स्थान से पीछे नहीं हटना, तब तक लद्दाख की ‘एलएसी’ पर बना तनाव कम होना मुमकिन नही हैं। दोनों देशों का एक-दूसरे पर होनेवाला भरोसा कम हो रहा हैं और अगर ‘एलएसी’ पर फिर से शांति और सौहार्दता स्थापित करनी है, तो इस जगह से चीन के सैनिकों को पीछे हटना ही होगा, यह चेतावनी जनरल नरवणे ने दी।

‘एलएसी’ की स्थिति एकतरफ़ा कार्रवाई करके बदलने की कोशिश भारत कभी भी बर्दाश्‍त नहीं करेगा, यह चेतावनी भी जनरल नरवणे ने दी। फिलहाल ‘एलएसी’ पर जारी तनाव कम करने के लिए भारतीय सेना चिनी सेना से संपर्क बनाए है। लेकिन, भारतीय सेना ने किसी भी चुनौती का सामना करने की तैयारी रखी है, इसका एहसास भी जनरल नरवणे ने चीन को कराया है। चीन की ‘एलएसी’ पर जारी हरकतें यानी दबाव तंत्र का हिस्सा है। पहले के दौर में चीन ने इसका बड़ी चतुराई से इस्तेमाल किया था। लेकिन, चौकन्ना भारतीय सेना की वजह से चीन को भारत पर दबाव बढ़ाना कठिन हुआ है। उल्टे भारत ने ही अब लद्दाख की ‘एलएसी’ पर अपनाई सख्त भूमिका की वजह से, चीन की बौखलाहट होती स्पष्ट दिख रही है।

भारत पर दबाव बनाने में हमें नाकामी हासिल हो रही है, यह बात चीन के वरिष्ठ नेताओं को अधिक से अधिक बेचैन कर रही है और किसी भी स्थिति में, चीन भारत पर हावी होने का संदेश पूरे विश्‍व को देने की मंशा चीन के नेतृत्व ने रखी है। इसी वजह से, एक ओर भारत से व्यापारी सहयोग की माँग कर रहा चीन, दूसरी ओर ‘एलएसी’ पर उकसानेवाली हरकत करता हुआ दिख रहा है। लेकिन, जबतक ‘एलएसी’ पर तनाव कम नहीं होता, तब तक चीन द्विपक्षीय संबंध और सहयोग सामान्य होने की उम्मीद ना रखें, ऐसा इशारा भारत ने दिया है।

सियासी और लष्करी स्तर पर भारत चीन के विरोध में इस तरह से जो सख्त भूमिका अपना रहा है, उसका जागतिक असर दिखाई देने लगा है। जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ युरोपीय महासंघ ने भी चीन के विरोध में सख्त भूमिका स्वीकारने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अमरीका पर भी इसका दबाव बनने लगा है और चीन समर्थक समझा जा रहा बायडेन प्रशासन भी कुछ मसलों पर चीन विरोधी भूमिका अपनाने के लिए मज़बूर हुआ है।

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