चीन के दबाव की परवाह किये बिना भारतीय लष्कर ने गलवान नदी पर किया पूल का निर्माण

नवी दिल्ली – लद्दाख के सीमाक्षेत्र में भारत कर रहें बुनियादी सुविधाओं के विकास के कारण ही ग़ुस्सा हुए चीन ने इस क्षेत्र में घुसपैंठ की होने के दावे किये जा रहे हैं। इसी वजह से, चीन के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर क़ायर हमला करके भारतीय सेना को पीछे धकेलने की कोशिश करके देखी थी। ख़ासकर गलवान नदी पर भारत बना रहे पुल का निर्माणकार्य रोकने के लिए चीन ने भारतीय लष्कर को चुनौती देने का ज़ोख़म उठाया, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। लेकिन फिर भी चीन के विरोध की परवाह किये बिना भारतीय सेना ने गलवान नदी पर लगभग ६० मीटर लम्बाई के पुल का निर्माणकार्य पूरा किया है। इस कारण, सामरिक दृष्टि से बहुत ही अहम साबित होनेवाले दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) तक भारतीय सेना का प्रवास आसान होगा।

लद्दाख समेत चीन से सटे अन्य सीमाभाग में भारतीय लष्कर एवं वायुसेना अपनी क्षमता बढ़ाने की तैयारी में होकर, गत कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में हुआ बुनियादी सुविधाओं का विकास, भारतीय रक्षादलों की ताकत बढ़ा रहा है। भारत द्वारा यहाँ शुरू की गयीं विकास परियोजनाओं पर चीन ने समय समय पर ऐतराज़ जताया था। ख़ासकर लद्दाख के सीमाभाग में चल रहीं भारत की विकास परियोजनाओं पर चीन ने अधिक आक्रमकता के साथ ऐतराज़ जताया होने की बात बार बार सामने आयी थी। लेकिन गलवान नदी पर पुल के निर्माण का भारतीय लष्कर का प्रयास चीन को बहुत ही चुभा था। इस पुल के निर्माण के साथ सीमाभाग में चल रहीं भारतीय लष्कर की गतिविधियाँ और भी तेज़ होंगी, इस चिंता से ग्रसित होनेवाले चीन ने इस क्षेत्र में घुसपंठ की कोशिश की, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।indian military builds bridge over galwan river

इस पृष्ठभूमि पर, चीन का लष्कर सामने खड़ा होने के बावजूद भी, भारतीय सेना ने गलवान नदी पर लगभग ६० मीटर के पुल का निर्माण कर अपनी क्षमता दिखा दी है। इससे, बारिश के मौसम में यदि इस नदी में बाढ़ भी आयी, तो भी भारतीय सेना की गतिविधियों के लिए और संसाधनों की आपूर्ति करने के लिए आसान होनेवाला है। सबसे अहम बात यानी इस पुल के कारण भारतीय सेना शीघ्रगति से दौलत बेग ओल्डी अड्डे तक पहुँच सकती है। सामरिक दृष्टि से यह अड्डा बहुत ही महत्त्वपूर्ण होने के कारण, इस अड्डे तक अतिरिक्त बल तथा संसाधनों की आपूर्ति तेज़ गति से की जाना, यह निर्णायक बात साबित हो सकती है। इसका पूरी तरह एहसास होनेवाले चीन ने, इस पुल के निर्माणकार्य में बाधा उत्पन्न करने की ज़ोरदार कोशिशें कीं थीं; लेकिन अब भारतीय सेना के निर्धार के सामने चीन की एक नहीं चलेगी, यह नये से सामने आया है। भारतीय माध्यमों में भी इस पुल के निर्माणकार्य की ख़बर बड़ी चर्चा में थी।

चीन के साथ तनाव बढ़ा है और ऐसे में, भारत के वायुसेनाप्रमुख ने लेह स्थित वायुसेना के हवाई अड्डे की भेंट कर, यहाँ की सिद्धता का जायज़ा लिया; और अपने दो दिवसीय दौरे में उन्होंने श्रीनगर स्थित वायुसेना अड्डे का भी मुआयना किया होने की ख़बर है। लेकिन वायुसेनाप्रमुख के इस दौरे का अधिक विवरण देने से वायुसेना ने इन्कार किया है। सुरक्षा की वजह से ये एहतियात बरते जा रहे हैं, ऐसा वायुसेना ने कहा है। फिर भी, चीन से सटे सीमाक्षेत्र में वायुसेना के ‘सुखोई-३० एमकेआय’, ‘मिराज-२०००’ और ‘जग्वार’ लड़ाक़ू विमान उड़ाने भर रहे होकर, इस स्थान पर अमरील्का से खरीदे गए ‘अपाचे’ और ‘चिनूक हेलिकॉप्टर’ सुसज्जित स्थिति में रखा गया है, ऐसी जानकारी दी जा रही है।

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