लद्दाख में चीन की सीमा के करीब भारतीय सेना का ‘भीष्म’ टैंक के साथ युद्धाभ्यास जारी

ladakh-china-border-indian-army-1नई दिल्ली – लद्दाख में भारतीय सेना ‘टी-९० भीष्म’ और ‘टी-७२ अजय’ टैंक के साथ युद्धाभ्यास कर रही है। समुद्री सतह से करीबन १४ हज़ार फीट उंचाई के इस क्षेत्र में यह युद्धाभ्यास हो रहा है और इसके ज़रिये चीन को उचित संदेश दिया जा रहा है। हाल ही में भारत और चीन के बीच १२वें दौर की चर्चा हुई और इसके बाद चीन ने लद्दाख के गोग्रा से अपने सैनिकों के हटाया है। लेकिन, हॉट स्प्रिंग और ड़ेप्सांग से चीनी सैनिक अभी भी पीछे नहीं हटे हैं। ऐसी स्थिति में सरहदी क्षेत्र में युद्धाभ्यास करके और सीमा से करीब हवाई अड्डे का विस्तार करके चीन लगातार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय सेना का वहां के प्रतिकूल माहौल में टैंक के साथ युद्धाभ्यास करना बड़ी अहमियत रखता है।

चीन के सैनिकों ने बीते वर्ष के अप्रैल महीने में लद्दाख के अलग अलग क्षेत्रों में घुसपैठ की थी और इसके साथ ही सीमा पर तनाव निर्माण हुआ था। यह तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। बीते वर्ष जून में गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों का बड़ा संघर्ष हुआ था। इस दौरान भारत के २० सैनिकों को शहादत प्राप्त हुई थी। इसके बाद भारत ने चीन से सटे सभी सरहदी क्षेत्रों में तैनाती बढ़ाई है। साथ ही वहां पर प्रगत रक्षा यंत्रणा की भी तैनाती की है। १४ हज़ार से १७ हज़ार फीट उंचाई के प्रतिकूल माहौल में भी भारत ने अपने टैंक तैनात किए हैं। इनमें ‘टी-९० भीष्म’ और ‘टी-७२ अजय’ टैंकों का समावेश है।

‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ के तहत चीन की आक्रामकता को जवाब देने के लिए भारत ने इतनी उंचाई पर अपने टैंक तैनात किए हैं। मायनस ४० जैसे तापमान में भी यह तैनाती बरकरार रखी गई थी। इतने कम तापमान और दुर्गम क्षेत्र में टैंक चलाना काफी कठिन होता है। लेकिन, बीते कुछ महीनों में भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में टैंक का संचलन करने के लिए ‘स्टैण्डर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर’ (एसओपी) को काफी हद तक विकसित किया है। इस क्षेत्र में किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तैयारी की गई है। लद्दाख में चीन की ‘एलएसी’ से ४० किलोमीटर दूरी पर करीबन १४ हज़ार फीट उंचाई पर भीष्म और अजय टैंको का युद्धाभ्यास इसी तैयारी का हिस्सा है।

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