वैश्‍विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत अहम स्थान हासिल करेगा – इस्रो प्रमुख के. सिवन ने जताया विश्‍वास

नई दिल्ली – भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के दरवाज़ें निजी क्षेत्र के लिए खोलने के निर्णय का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इस्रो) के प्रमुख के.सिवन ने स्वागत किया है। इस निर्णय की वज़ह से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी प्रगति होगी। इससे निजी कंपनियों को राकेट और उपग्रह का निर्माण करने की अनुमति प्राप्त होगी, यह कहकर, आनेवाले समय में जागतिक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों की भूमिका अहम होगी, यह विश्‍वास इस्रो प्रमुख के. सिवन ने व्यक्त किया।

ISROकेंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही अंतरिक्ष क्षेत्र के दरवाज़े निजी क्षेत्र के लिए खुले करने का ऐलान किया था। अब बुधवार के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया। इस निर्णय का इस्रो के प्रमुख ने स्वागत किया है। इस नीति का लाभ अंतरिक्ष तकनीक को भी होगा, यह बयान सिवन ने किया है। इसके लिए ‘नैशनल स्पेस प्रमोशन ॲण्ड ऑथरायझेशन सेंटर’ नाम से नई एजन्सी गठित की गई है। इसके तहत निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठाना संभव होगा। अगले तीन से छः महीनों में यह एजन्सी कार्यरत होगी, यह जानकारी भी इस्रो के प्रमुख ने साझा की।

अमरीका, चीन और युरोपिय देशों में निजी क्षेत्र की कंपनियाँ अंतरिक्ष क्षेत्र में भी कार्यरत हैं। विश्‍व के ऐसें देशों की सूचि में भारत भी शामिल होगा, जहाँ अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की अच्छी यंत्रणा मौजूद है, ऐसा सिवन ने कहा। भारत में भी पहले ‘चंद्रयान-२’ मुहिम के लिए ज़रूरी उपग्रह और अन्य सामान तैयार करने के लिए करीबन ६२० कंपनियों ने एक साथ काम किया था।

इस नये उपक्रम के लिए इस्रो उत्सुक है। इससे, वैश्‍विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की अहमियत बढ़ेगी, यह विश्‍वास सिवन ने व्यक्त किया। इस्रो निजी कंपनियों को इस उपक्रम में शामिल होने का आवाहन कर रही है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ को गति प्राप्त होगी। साथ ही रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे, ऐसा सिवन ने कहा। इससे इस्रो के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर किसी भी प्रकार का असर नहीं होगा, यह बात सिवन ने स्पष्ट की। अब इस्रो का ध्यान मानवी अंतरिक्ष मुहिम की ओर है। इस मुहिम में निजी कंपनियों को शामिल करने का विचार भी इस्रो कर रही है, ऐसी जानकारी उन्होंने दी।

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