तालिबान की संघर्षबंदी का भारत द्वारा स्वागत

नवी दिल्ली – ईद के दौर में तालिबान ने अफगानी सरकार के साथ तीन दिन की संघर्षबंदी की घोषणा की है। अफगानी सरकार ने भी इस प्रस्ताव का स्वीकार किया होकर, राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने अफगानी जवानों को तालिबान पर हमला ना करने के आदेश दिये हैं। तालिबान ने की इस संघर्षबंदी का भारत ने स्वागत किया होकर, इस संघर्षबंदी की कालावधि को बढ़ायें, ऐसा आवाहन किया है।

ईद के दौर में तीन दिनों के लिए तालिबान अफगानिस्तान में हमलें नहीं करेगा, सिर्फ़ उसपर हुए हमलों का जवाब देगा, ऐसा तालिबान ने घोषित किया था। इस पृष्ठभूमि पर अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष गनी ने अफगानी सेना को तालिबान पर के हमलें रोकने के आदेश दिये थे। इस कारण, अफगानी सरकार और तालिबान के बीच हुई यह संघर्षबंदी क़ामयाब होने के संकेत मिल रहे हैं। इससे पहले, इस्लामधर्मियों के लिए पवित्र होनेवाले रमज़ान के महीने में अफगानिस्तान में संघर्षबंदी करने के प्रयास असफल हुए थे। इसलिए, यह तीन दिन की संघर्षबंदी अफगानी सरकार तथा तालिबान के बीच चर्चा को प्रोत्साहन देनेवाली साबित हो सकती है, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

भारत ने भी तालिबान ने घोषित की इस संघर्षबंदी का स्वागत किया है। साथ ही, इस संघर्षबंदी की कालावधि बढ़ायी जायेगी ऐसी उम्मीद भी भारत ने जतायी है। कुछ दिन पहले तालिबान के एक नेता ने, कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत को धमकी दी होने की ख़बरों की पाकिस्तानी माध्यमों में काफ़ी चर्चा थी। लेकिन उसके बाद खुलासा जारी कर तालिबान ने, कश्मीर यह भारत का अंतर्गत मामला है, ऐसा घोषित किया था। साथ ही, भारत के अंतर्गत मामलों में तालिबान दख़लअन्दाज़ी नहीं करेगा, ऐसी भारत को खुश करनेवाली भूमिका तालिबान ने अपनायी थी।

लेकिन तालिबान से पहले आयी धमकी और उसके बाद किया हुआ खुलासा ये दोनों बातें तालिबान के दाँवपेचों का हिस्सा होने के दावे भारत के सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। अफगानिस्तान में राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी की लोकनियुक्त सरकार को अपना समर्थन रहेगा, ऐसा भारत ने समय समय पर घोषित किया था। अमरीका की अफगानिस्तान से सेनावापसी के बाद भी अपनी भूमिका में बदलाव नहीं होगा, ऐसा यक़ीन भारत ने दिलाया था। लेकिन भारत इस भूमिका में बदलाव कर तालिबान को समर्थन दें, इसलिए इस संगठन के क्रियाकलाप चालू हैं। इसके लिए, वह भारत के साथ चर्चा के लिए उत्सुक होने के संकेत तालिबान दे रहा है।

तालिबान के साथ चर्चा के मुद्दे पर भारत ने अपनी भूमिका अभी तक स्पष्ट नहीं की है। तालिबान अभी भी पाकिस्तान के प्रभाव में है। इस कारण अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को तालिबान से ख़तरा होने की संभावना है, ऐसी भारत की आज तक की भूमिका है। तालिबान ने उसपर होनेवाला पाकिस्तान का प्रभाव यदि त्याग दिया, तो ही तालिबान से चर्चा संभव होने के संकेत भारतीय राजनयिक दे रहे हैं। इसे हालाँकि अभी तक तालिबान से ज़ाहिर रूप में प्रतिसाद नहीं मिला है, फिर भी कश्मीर के मसले तटस्थ रहने का आश्वासन देकर तालिबान भारत का विश्वास संपादन करने की कोशिश कर रहा है। तालिबान ने की हुई तीन दिन की संघर्षबंदी का स्वागत करके भारत ने भी, तालिबान की विधायक भूमिका को भारत प्रतिसाद देगा, ऐसा संदेश दिया है।

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