चीन की घुसपैंठ के गंभीर परिणाम होंगे : भारत की कड़ी चेतावनी

नई दिल्ली, दि. ३० : ‘सन १९६२ का भारत और सन २०१७ का भारत इसमें बहुत बड़ा फ़र्क़ है, यह चीन को ध्यान में रखना चाहिए,’ ऐसी फटकार रक्षामंत्री अरुण जेटली ने चीन को लगायी है| चीन के विदेशमंत्रालय ने भारत को सन १९६२ की हार की याद करके दी थी| उसी समय भूतान के सीमाभाग में घुसपैंठ करके कन्स्ट्रक्शन करनेवाले चीन को, भारत द्वारा कड़ी चेतावनी दी गयी होने की जानकारी भारत के विदेशमंत्रालय द्वारा दी गयी है| चीन की इन गतिविधियों के ‘संगीन परिणाम’ हो सकते हैं, ऐसे कड़े शब्दों में भारत ने चीन को सख़्त संदेश दिया है|

घुसपैंठचीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ‘लू कैंग’ ने उकसानेवाला बयान करके भारत को सन १९६२ की हार की याद कराके दी थी| भारत के सेनाप्रमुख ने दिये बयान पर प्रतिक्रिया देते समय कैंग ने यह बयान किया था| लेकिन भारत के सेनाप्रमुख ने तीन हफ्तें पहले दिये बयान पर इतनी देरी से प्रतिक्रिया देने का कारण चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नहीं दे पाये| भारत और भूतान की सीमा पर चीन सेना इकठ्ठा करके और अवैध कन्स्ट्रक्शन करते समय, भारतीय सेनाप्रमुख ने सिक्कीम यात्रा की थी| इस पृष्ठभूमि पर चीन ने भारत को सन १९६२ की याद कराके दी है, ऐसा दिख रहा है|

इसी दौरान, चीन और भूतान के सीमाविवाद में भारत ना पड़ें, ऐसा उपदेश देने वाले चीन को भारत के रक्षामंत्री ने ऐसा तमाचा मारा| ‘चीन अपने भूभाग में घुसपैंठ करके कन्स्ट्रक्शन कर रहा है’ ऐसा कहकर भूतान ने चीन का निषेध जताया है और इससे सबकुछ स्पष्ट हो चुका है, ऐसा रक्षामंत्री जेटली ने कहा| भारत के साथ भूतान का रक्षासंबंधित समझौता है| भूतान की रक्षा यह भारत की ज़िम्मेदारी है| चीन यहाँ की सीमारेखा बदलने की कोशिश कर रहा है और चीन की यह कोशिश हम बरदाश्त नहीं करेंगे, ऐसे स्पष्ट संकेत रक्षामंत्री जेटली ने दिये| भारत के विदेशमंत्रालय ने भी चीन को कड़ी चेतावनी दी होने की जानकारी दी|

भारत और भूतान की सीमा पर चीन कर रहे इन करतूतों के भारत की रक्षा पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं, ऐसे साफ शब्दों में भारत ने चीन को संदेश दिया है, ऐसा भारत के विदेशमंत्रालय ने कहा है| इसी दौरान, भूतान के डोकलाम के हालात तनावपूर्ण हैं और भारत, चीन के हज़ारों जवान यहाँ के सीमाभाग में एकदूसरे के सामने खड़े है और कोई भी यहाँ से पीछे हटने को तैयार नहीं| आजतक भारत और चीन में जब जब भी इस प्रकार का झगड़ा पैदा हुआ, तब दोनो में से एक देश की सेना पीछे हटती है और फिर हालात पहले जैसे होते हैं| लेकिन इस समय की बात बहुत अलग है| दोनो देशों ने अपनायीं सख़्त भूमिकाएँ यहाँ का तनाव बढ़ा रही हैं| भारत ने इन जगहों से सेना पीछे हटा लिये बगैर चर्चा नामुमक़िन है, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने फिर एक बार किया| फिलहाल तो भारत चीन की यह माँग मंजूर करने के लिए तैयार न होकर, उल्टा चीन ने ही यहाँ की सड़क का निर्माण रोक देना चाहिए, ऐसी सख़्त भूमिका भारत ने अपनायी है|

चीन ने भूतान के डोकलाम इलाके में साद़्अक का निर्माण कर इस इलाके पर नियंत्रण हासिल किया, तो भारत की सुरक्षा पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है| यहाँ के भारत के भूभाग को अन्य देश के साथ जोड़ने वाला सँकरा भूभाग का पट्टा इस वजह से चीनी तोपों की पहुँच में आ सकता है| इस कारण, भारत इस मामले में किसी भी प्रकार का खतरा मोल लेने को तैयार नहीं ऐसा दिख रहा है| वहीं, चीन ने यहाँ का सड़क-निर्माण अपनी प्रतिष्ठा का मसला बनाया होने के कारण, यहाँ से पीछे हटना चीन के लिए मुश्किल बना दिखायी दे रहा है| उसी में, यह मसला राजनयिक चर्चा द्वारा सुलझाने का मार्ग न अपनाने का चीन ने फैसला करने से यहाँ के हालात और भी संवदेनशील बन गये हैं|

चीन की इस आक्रामकता के पीछे बेचैनी है, यह बात सामने आयी है| भारतीय प्रधानमंत्री की अमरीका यात्रा में दोनो देशों में हुई चर्चा और विकसित हो रही सामरिक साझेदारी यह चीन की अस्वस्थता का असली कारण है, ऐसा दावा भारतीय विशेषज्ञ कर रहे हैं| भारत को गार्डियन ड्रोन देने की तैयारी अमरीका ने की होकर, सैनिकी यातायात करनेवाला हेवी-ड्युटी ‘सी-१७’विमान भी अमरीका भारत को देनेवाली है| इस वजह से, बड़े पैमाने पर सैनिकी यातायात करना भारत के लिए आसान होगा| चीन की सीमा के नज़दीक भारतीय रक्षादल की क्षमता इसके कारण बड़े पैमाने पर बढ़ सकती है|

सिक्कीम के सरहदी इलाकों में भारत और चीन की सेनाएँ एकदूसरे के सामने खड़ी हैं कि तभी अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष माईक पेन्स ने, अमरीका भारतीय रक्षादल का सामर्थ्य बढ़ाने हेतु ज़रूरी सभी सहायता करने के लिए वचनबद्ध है, ऐसा कहा था| इन गतिविधियों की वजह से चीन और भी आक्रामक बन गया है| अमरीका के सहयोग के बाद भी भारत चीन के सामर्थ्य से टक्कर नहीं ले सकता, यह संदेश चीन द्वारा भारत को दिया जा रहा है| भारत ने चीन के विरोध में भले ही युद्धखोरी की भाषा न की हो, लेकिन चीन के दबाव के सामने नहीं झुकेंगे, ऐसी स्पष्ट चेतावनी अपनी कृति द्वारा दी है| भारत और चीन ये दोनो प्रगल्भ देश हैं, सिक्कीम की सीमा पर निर्माण हुए तनाव का बढ़ते जाना यह दोनो देशों के हित की बात नहीं, इस बात का भान दोनो को भी है| इसी कारण, इस तनाव का रुपांतरण संघर्ष में होने की आशंका हालाँकि नहीं है, मग़र फिर भी पहले पीछे कौन हटेगा, इसपर विशेषज्ञों में चर्चा शुरू हुई है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.