राजनीतिक वार्ता में, अझहर मसले पर भारत की चीन को चेतावनी

बीजिंग, दि. २२ : ‘मसूद अझहर’ पर कार्रवाई के लिये पुख्ता सबूत चाहिए, ऐसी माँग करनेवाले चीन को भारत ने साफ शब्दों में फटकारा है| ‘अझहर’ पर कार्रवाई के लिये केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स ये देश भी कोशिश कर रहे हैं| इसलिए अझहर के खिलाफ़ सबूत देने की ज़िम्मेदारी अकेले भारत की नहीं, ऐसा विदेशसचिव एस. जयशंकर ने कहा है| साथ ही, ‘इस मसले पर सहमति हो नहीं रही है’ ऐसा दावा करनेवाले चीन ने ही बाधा ड़ालने का रवैय्या अपनाने के कारण इस मसले पर सहमति नहीं हो रही है, इसपर भी जयशंकर ने ग़ौर फ़रमाया है|

अझहरचीन की राजधानी बीजिंग में भारत और चीन में राजनीतिक चर्चा का दौर शुरू हुआ है| इस चर्चा में उम्मीद के अनुसार भारत ने ‘मसूद अझहर’ का मसला उठाया और चीन ने हमेशा की तरह, ‘उसके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं है’ ऐसा कारण आगे किया| चिनी प्रतिनिधियों से हुई चर्चा के बाद मीडिया से बात करते समय विदेशसचिव एस. जयशंकर ने इस मामले में रहनेवाली भारत की भूमिका जाहीर की| ‘अझहर’ ने स्थापित किये ‘जैश-ए-मोहम्मद’ को ‘आतंकवादी संगठन’ क़रार देकर उसपर पाबंदी ड़ाल दी है| अझहर भी संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद के निशाने पर है|

अझहर के खिलाफ पुख्ता सबूत रहने के कारण ही अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स ने भी उसपर कार्रवाई करने के प्रस्ताव को समर्थन दिया है| यदि उसके विरोध में सबूत ना होते, तो इन देशों द्वारा इस प्रस्ताव का स्वीकार किया ही नहीं जाता, ऐसा कहकर जयंशकर ने चीन को ताना मारा| इस प्रश्‍न पर चीन बाधा ड़ालने का रवैय्या अपना रहा है, यह बात जयशंकर ने अलग शब्दों में चिनी मीडिया के सामने रखी| साथ ही, अपनी इस चर्चा की वजह से, भारत की इस मामले में रहनेवाली भूमिका चीन के सामने साफ तौर से रखने का अवसर मिला, ऐसा भी जयशंकर ने कहा|

एनएसजी’ इस परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता भारत को ना मिलें, इसके लिये चीन कोशिश कर रहा है| लेकिन इस संगठन के अधिकांश सदस्यदेशों का भारत की सदस्यता को पूरी तरह समर्थन है, इस बात पर इस समय विदेशसचिव ने ग़ौर फ़रमाया| ‘चीन ने भी हालाँकि भारत की सदस्यता को समर्थन दिया है, लेकिन फिर भी चीन इस सदस्यता की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है’ ऐसा कहकर भारत के विदेशसचिव ने, ‘चीन के इस विरोध की कुछ ख़ास अहमियत नहीं है’ यह बात भी इस समय ध्यान में लाकर दी|

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