चीन का ‘५ जी’ क्षेत्र में प्रभुत्व ख़त्म करने के लिए भारत-अमरीका-इस्रायल की कोशिश

वॉशिंग्टन – ‘५ जी’ तकनीक के क्षेत्र में कोई एक देश एकाधिकार स्थापित ना करे या इस तकनीक का इस्तेमाल करके अन्य देशों पर दबाव ना डाले यह इच्छा अमरीका रखती है, इन शब्दों में अमरीका के वरिष्ठ अधिकारी बॉनी ग्लिक ने ‘५ जी’ क्षेत्र में भारत-अमरीका-इस्रायल के मोर्चे का समर्थन किया। चीन की हुवेई एवं ज़ेडटीई जैसी शीर्ष कंपनियां विश्‍व के विभिन्न देशों में ‘५ जी’ तकनीक के लिए चीन की ही सहायता पाने के लिए दबाव डाल रही हैं। इसके विरोध में अमरीका और ब्रिटेन जैसे देश पहल कर रहे हैं और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर रहे देशों को एक करने की कोशिश कर रहे हैं।

5g-chinaकुछ दिन पहले एशिया-पैसिफिक इन्स्टिट्युट ऑफ द अमरीकन ज्युईश कमिटी नामक अभ्यासगुट ने तकनीकी सहयोग के विषय पर वर्च्युअल कान्फरन्स का आयोजन किया था। इसमें अमरीका की यूएस एजन्सी फॉर इंटरनैशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) के उपाध्यक्ष बॉनी ग्लिक, भारत के इस्रायल में नियुक्त राजदूत संजीव सिंगला, इस्रायल के भारत में नियुक्त राजदूत रॉन माल्का इन वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एशिया पैसिफिक इन्स्टिट्युट के सह-संचालक निस्सीम रुबेन, इंडियास्पोरा के एम.आर.रंगास्वामी, डॉ.भरत बराई शामिल थे। इसमें यूएसएड के उपाध्यक्ष ग्लिक ने ‘५ जी’ क्षेत्र में भारत-अमरीका-इस्रायल का गठबंधन बन रहा है, ऐसी जानकारी साझा की। एम.आर.रंगास्वामी ने वर्ष २०१७ में भारतीय प्रधानमंत्री के इस्रायल दौरे में सिलिकॉन वैली-तेल अवीव-बंगलुरू के टेक ट्रैंगल की कल्पना पेश की थी।

चीन की ‘हुवेई’ कंपनी फिलहाल ‘५ जी’ तकनीक के क्षेत्र की शीर्ष कंपनी के तौर पर जानी जाती है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और सेना से काफी नज़दिकी संबंध रखनेवाली इस कंपनी ने विश्‍व के प्रमुख देशों में ‘५ जी’ नेटवर्क बनाने की जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। चीन की हुकूमत ने अपने आर्थिक और व्यापारी बल का इस्तेमाल करके अफ्रीकी एवं एशियाई महाद्विप के कई देशों को ‘५ जी’ तकनीक के लिए हुवेई कंपनी का कान्ट्रैक्ट स्वीकारने के लिए मज़बूर किया है। लेकिन, कोरोना की महामारी, हाँगकाँग पर थोंपा गया कानून और साउथ चायना सी में जारी गतिविधियों के मुद्दे पर विश्व स्तर पर चीन के खिलाफ़ तीव्र असंतोष है। इसकी पृष्ठभूमि पर विश्‍व के कुछ प्रमुख देश चीन ने अब तक आर्थिक, व्यापारी एवं तकनीकी क्षेत्र में बिछाया जाल तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

कुछ महीने पहले ब्रिटीश सरकार ने चीन की ‘५ जी’ तकनीक के विरोध में ‘डी अलायन्स’ का प्रस्ताव पेश किया था। इस मोर्चे में ‘जी ७’ गुट के देशों के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण कोरिया का समावेश है। इसके बाद अब भारत-अमरीका-इस्रायल का दूसरा मोर्चा तैयार होने की बात सामने आ रही है। ‘५ जी’ तकनीक के क्षेत्र में इन तीन शीर्ष देशों के मोर्चे का पहला कदम है और अगले दिनों में विकसित हो रहे ’एक हिमखंड की नोक है’, यह दावा ‘यूएसएड’ के बॉनी ग्लिक ने किया। भारत-अमरीका-इस्रायल का मोर्चा नेक्स्ट जनरेशन ५ जी टेक्नॉलॉजी विकसित कर रहा है और यह तकनीक मुक्त, विश्‍वासार्ह और सुरक्षित रहेगी, यह भरोसा भी ग्लिक ने दिलाया।

5g-chinaबीते वर्ष से चीन के ‘५ जी’ नेटवर्क से संबंधित हुवेई कंपनी का विवाद काफी हद तक बढ़ा है और यह चीनी कंपनी जासूसी करने में जुटी होने का आरोप अमरीका कर रही है। चीनी कंपनियों के साथ कारोबार करने से दूर रहने के लिए अमरिकी विदेश मंत्रालय ने डिजिटल ट्रस्ट स्टैंडर्ड भी तय किया है। विश्‍वभर के ३० देशों के साथ यूरोपिय महासंघ और नाटो ने अमरीका की इस भूमिका का स्वागत किया है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर हुवेई और ज़ेडटीई इन चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके साथ बीते महीने में अमरीका और इस्रायल के बीच ‘५ जी’ तकनीक से संबंधित एक समझौता भी हुआ है।

राष्ट्रीय हितसंबंध और निजी जानकारी की गोपनीयाता की सुरक्षा के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित कंपनियों से इस्रायल सहयोग ना करे, ऐसा प्रावधान इस समझौते में है। बीते कुछ महीनों से चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर भारत ने भी तकनीकी क्षेत्र में अधिक सक्रिय होने की गतिविधियां शुरू की हैं और नए मोर्चे में हुआ उसका समावेश चीन की तकनीकी क्षेत्र के इरादों को चकनाचूर कर सकता है।

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