भारत-ब्रिटेन विकसीत करेंगे अतिप्रगत लड़ाकू विमानों का इंजन

नई दिल्ली – भारत और ब्रिटेन के रक्षा सहयोग को नई ऊँचाई प्राप्त होने की जानकारी सामने आ रही है। विश्‍व के प्रमुख देशों में भारत को अतिप्रगत लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने की होड़ लगी है और ऐसे में ब्रिटेन ने भारत को ऐसे लड़ाकू विमानों के लिए निर्माण के लिए आवश्‍यक इंजन की तकनीक प्रदान करने की तैयारी शुरू की है। इसके तहत दोनों देश जल्द ही ‘जेट इंजन’ की तकनीक विकसीत करने से संबंधित समझौता करने की उम्मीद है। इससे पहले दोनों देशों के बीच ‘डिफेन्स लॉजिस्टिक्स’ समझौता अंतिम चरण में पहुँचा है और इसके साथ ही दोनों देशों के बीच ‘रक्षा प्रशिक्षण’ संबंधित समझौता करने की प्रक्रिया भी प्रगति की राह पर है।

india-britainवर्ष २०१८ में आयोजित किए गए ‘एरो इंडिया’ के दौरान ब्रिटेन ने ‘मेक इन इंडिया’ उपक्रम के तहत भारत को अहम प्रस्ताव दिया था। ‘सिक्स्थ जनरेशन’ यानी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए संयुक्त तकनीक विकसीत करने का प्रस्ताव भी ब्रिटेन ने भारत के सामने रखा था। बीते कुछ वर्षों से भारत विकसित कर रहे ‘एडवान्स्ड मल्टिरोल कॉम्बैट एअरक्राफ्ट’ (एएमसीए) इस पांचवी पीढ़ी के अतिप्रगत विमानों के इंजन के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल करना मुमकिन होगा।

‘एएमसीए’ विमानों के निर्माण से पहले भारत ने रशिया के साथ पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण करने के मुद्दे पर प्रदीर्घ चर्चा की थी। सिंगल सीट, डबल इंजन और स्टेल्थ तकनीक के समावेश वाले इस अतिप्रगत विमान से संबंधित अनुसंधान और परीक्षण के लिए भारत सरकार ने करोड़ों डॉलर्स निवेश करने का ऐलान भी किया था। लेकिन, कुछ कारणों की वजह से यह सहयोग पिछड़ गया और ऐसे में भारत ने इन लड़ाकू विमानों के निर्माण में निजी कंपनियों को शामिल करने के संकेत दिए थे। ऐसे में अब ब्रिटेन ने भारत को पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण करने के लिए छठी पीढ़ी की तकनीक प्रदान करने की एवं इस पर एकसाथ काम करने की तैयारी दिखाई है।

india-britainअगले कुछ दिनों में भारत और ब्रिटेन के बीच ‘डिफेन्स लॉजिस्टिक्स’ समझौता होगा, यह जानकारी भी सामने आ रही है। अमरीका, फ्रान्स, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बाद भारत से यह समझौता करनेवाला ब्रिटेन सांतवा देश साबित होगा। इससे भारत को ब्रिटेन के जिबौती स्थित लष्करी अड्डे का इस्तेमाल करना संभव होगा। इसी कारण इस समझौते की ओर भी बड़ी उम्मीद से देखा जा रहा है। फिलहाल भारत और ब्रिटेन के बीच लष्करी गाड़ियों के इंजन, होवित्ज़र तोप, हवाई सुरक्षा यंत्रणा, जमीनी सुरूंग विरोधी यंत्रणा और हॉवरक्रॉफ्ट से संबंधित सहयोग हो रहा है। इसके अलावा ब्रिटेन ने भारतीय नौसेना के लिए ‘क्विन एलिज़ाबेथ’ वर्ग की विमान वाहक युद्धपोत का ‘प्लैन’ देने की तैयारी भी जताई है।

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