भारत अमरीका से ६ ‘प्रिडेटर-बी’ ड्रोन्स की फास्ट ट्रैक खरीद करेगा – ‘ड्रोन’ की बिक्री के लिए ‘एमटीसीआर’ से बाहर निकलने के अमरीका के संकेत

नई दिल्ली –  ‘सुलेमानी कीलर’ इस नाम से मशहूर ‘प्रिडेटर-बी’ इस सशस्त्र ड्रोन की भारत अमरीका से फास्ट ट्रेक खरीद करने वाला है। चीन के साथ बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर यह निर्णय किया गया होकर, इसके लिए गतिविधियां शुरू होने की खबरें हैं। खासकर शुक्रवार को अमरीका ने ड्रोन की निर्यात के बारे में नियम शिथिल किए थे। साथ ही, इस ड्रोन्स की बिक्री अपने मित्रराष्ट्रों को की जा सकें इसके लिए ‘मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिंग’ (एमटीसीआर) समझौते से बाहर निकलने के संकेत अमरीका ने दिए हैं। भारत और खाड़ी क्षेत्र के अपने मित्र देशों को सशस्त्र ड्रोन्स की बिक्री करने के लिए अमरीका ने यह फैसला किया होने का दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं।

‘प्रिडेटर-बी’

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने ड्रोन युद्धतंत्र की बढ़ाएं, ऐसे आदेश अपनी सेना को दिए होने की खबरें हैं। गलवान के संघर्ष के बाद भारत और चीन की सीमा पर प्रचंड तनाव है। रक्षादलों को किसी भी हालातों के लिए सिद्ध रहने के आदेश हैं। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय रक्षा बलों के लिए हथियारों की खरीद बढ़ा दी गई है। अमरीका, रशिया, इस्रायल, फ्रान्स आदि देशों से हथियारों की खरीद तेज कर दी गई है। इसी के तहत अब अमरीका से ही ‘प्रिडेटर-बी’ की खरीद की जाने वाली है।

अफगानिस्तान और इराक में अमरीका ने प्रभावी रूप में इस्तेमाल किए हुए घातक ऐसे ‘प्रिडेटर-बी’ अभी इन ड्रोन्स की खरीद करने का प्रस्ताव इससे पहले ही रखा गया था। अमरीका से ३० ड्रोन की खरीद करने में भारत में उत्सुकता दर्शाई थी। लेकिन संवेदनशील तंत्रज्ञान के लिए अमरीका के निर्यात नियम कड़े है। साथ ही ‘एमटीसीआर’ के नियमों के कारण क्षेपणास्त्रों से लैस ड्रोन्स बेचना संभव नहीं हो रहा था। लेकिन अब अमरीका ने ही ड्रोन के संदर्भ में निर्यात नियम शिथिल करके, भारत के लिए इस ड्रोन की खरीद के द्वार खुले कर दिए हैं। इसके लिए ‘एमटीसीआर’ से बाहर निकलने की संकेत भी अमरीका ने दिए हैं। इस कारण भारत के लिए अब इस ड्रोन्स की खरीद के द्वार खुले हुए हैं।

३० ‘प्रिडेटर-बी’ की खरीद करने के लिए देर लग सकती है, यह ध्यान में लेते हुए, पहले 6 ‘प्रिडेटर-बी’ की खरीद की गतिविधियां शुरू हुई हैं। इस ड्रोन की फास्ट ट्रैक खरीद की जाने वाली है, ऐसी खबरें हैं। प्रति घंटा 800 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ने वाले इस ड्रोन के द्वारा निगरानी के साथ ही हजारों फ़ीट की ऊंचाई से शत्रु के स्थानों को लक्ष्य करने की क्षमता है। लष्कर, वायुसेना और नौसेना के लिए दो-दो ‘प्रिडेटर-बी’ की खरीद की जाने वाली है।

चीन अपना ‘विंग लॉन्ग’ यह सशस्त्र ड्रोन ‘सीपीईसी’ की सुरक्षा की आड़ में पाकिस्तान को दे रहा होने की खबर कुछ दिन पहले आई थी। चीन ने अपने ‘विंग लॉन्ग’ ड्रोन्स यमन और लीबिया को भी सप्लाई करने की खबरें हैं। दुनिया में घातक  हथियारों की होड़ शुरू ना हों, इसके लिए ‘एमटीसीआर’ समझौता किया गया था। इसमें अमरीका, भारत के साथ ३५ देश हैं। इन देशों को  घातक तंत्रज्ञान नहीं बेच सकते। चीन यह ‘एमटीसीआर’ में सहभागी नहीं है और इसका नाजायज़ फायदा उठा रहा है। इस कारण चीन को अपने सशस्त्र ड्रोन बेचने में कोई भी मुश्किल नहीं है। इस कारण बदली हुई स्थिति में अमरीका ने, ड्रोन संदर्भ के निर्यात नियम शिथिल करते समय ‘एमटीसीआर’ के बंधन से मुक्त होने के संकेत दिए हैं।

अमरीका के इस फैसले का लाभ भारत को सर्वाधिक होगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इस कारण भारत को ‘प्रिडेटर-बी’आणि ‘ग्लोबल हॉक’ सर्व्हिलन्स ड्रोन्स अमरीका से खरीद करने में मदद मिलेगी।

इसी बीच पनडुब्बी को लक्ष्य बनाने वाले और long-range निगरानी क्षमता होने वाले अतिरिक्त ६ ‘पी८आय’ विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई है। हिंदी महासागर क्षेत्र में चिनी नौसेना की गतिविधियां बढ़ रही हैं कि तभी भारत अमरीका से इस विमान की खरीद करने वाला होकर, व्यवहार १.८ अरब डॉलर का होगा। इलेक्ट्रॉनिक जॅमिंग की सहूलियत होने वाले आठ ‘पी८आय – पोसायडन’ विमान सन २०१६ में ही भारतीय नौसेना में तैनात कर दिए गए हैं। वहीं चार विमानों का बेड़ा अगले साल तक भारत में दाखिल होने वाला है; तथा और छह विमानों की भारत खरीद करेगा।

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