भारत को मिली ‘टीआयआर’ की सदस्यता; अन्य देशों के साथ कारोबार अधिक आसान होगा

नवी दिल्ली, दि. २०: चीन जैसा ताकतवर प्रतिस्पर्धी देश ‘वन बेल्ट वन रोड’ जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजना शुरू करके भारत को चुनौती दे रहा है| तभी भारत को ‘ट्रान्सपोर्ट इंटरनॅशनॉक्स रुटियर्स-टीआयआर’ की सदस्यता मिली है| इससे भारत का अन्य देशों के साथ कारोबार और अधिक आसानी से हो सकता है और भारत एशियाई व्यापारी केंद्र के तौर पर उभर पायेगा, ऐसा दावा किया जाता है|

‘टीआयआर’

‘टीआयआर’ के ७१ वें सदस्य देश के तौर पर भारत का नाम दर्ज किया गया है| भारत के सदस्य बनने से भारत का दक्षिण एशियाई और एशिया खंड के बाहर के देशों के साथ कारोबार और मालयातायात अधिक सुलभता के साथ हो पायेगी| ‘टीआयआर’ की वजह से, जिन देशों के साथ द्विपक्षीय कारोबार समझौता नहीं हुआ है, उन देशों में भी भारत के उत्पाद आसानी से दाखिल हो सकते हैं| इस वजह से भारतीय उत्पादों को काफी बड़ा मार्केट मिल सकता है|

इस वजह से अन्य देशों में भारतीय उत्पादों पर जो सीमाशुल्क और अन्य कर लगते हैं, उससे छुट मिल सकती है| साथ ही, इसके साथ देनी पड़नेवाली गारंटी और अन्य तांत्रिक उलझनों से छुटकारा मिलकर निर्यात करना आसान होगा| इसी के साथ, कारोबार और यातायात के लिए लगनेवाला समय काफी कम होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है| इसीलिए, ‘टीआयआर’ में शामिल होने की वजह से भारत को दुनिया भर में कारोबार करते समय आनेवालीं रुकावटें दूर होने में मदद मिलेगी, ऐसा दावा जानकारों की ओर से किया जा रहा है|

‘टीआयआर’ की अहमियत केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं है, ऐसा जानकारों का कहना है| कारोबार में बढ़ोतरी के साथ ‘टीआयआर’ की वजह से भारत की विदेश नीति और अधिक प्रभावशाली होगी| ख़ास तौर पर, जब चीन जैसे भारत के कड़े प्रतिस्पर्धी देश ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (ओबीओआर) जैसी महत्त्वाकांक्षी योजना पर अमल कर रहे हैं, ऐसे में भारत को मिली ‘टीआयआर’ की सदस्यता काफी अहम साबित होती है|

‘ओबीओआर’ की वजह से चीन का कारोबार बढ़नेवाला है ओर इसका राजनैतिक और सामरिक लाभ चीन को मिलेगा, ऐसा कहा जाता है| इस वजह से भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं में रहा फ़र्क़ और बढ़ेगा और चीन आगे निकल जायेगा| यह असमतोल भारत को महँगा साबित हो सकता है| इस वजह से, भारत को अपनी अर्थव्यवस्था और कारोबार की गति बढ़ानी चाहिए, ऐसी सूचना देशीविदेशी विश्‍लेषक दे रहे हैं|

भारत के पूर्व की ओर के म्यानमार, थायलंड, नेपाळ, बांगलादेश, भूतान इन देशों का और पश्‍चिम की ओर के इराण के छाबर बंदरगाह का इस्तेमाल करके, अफगानिस्तान और युरेशियन क्षेत्र के देशों के साथ भारत का कारोबार ‘टीआयआर’ की वजह से अधिक व्यापक बन सकता है| चीन भी ‘टीआयआर’ में सन २०१६ में शामिल हुआ था| उसके बाद एशियाई क्षेत्र के देशों के साथ कारोबारी यातायात को बढानेवाली अपनी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं पर चीन ने तेज़ी से अमल किया था|

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