‘एनएसजी’ और ‘अझहर’ मामले में भारत के खिलाफ भूमिका अपनानेवाले चीन को मुँहतोड़ जवाब देने की भारत की तैयारी

नई दिल्ली/बीजिंग, दि. ७ (वृत्तसंस्था) – भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता के बारे में अपनी भूमिका में बदलाव नहीं होगा, ऐसी घोषणा चीन ने की है| व्हिएन्ना में होनेवाले ‘एनएसजी’ के सम्मेलन से पहले चीन के विदेशमंत्रालय ने यह घोषणा की है| चीन की इस भारतविरोधी भूमिका को जवाब देने के तैयारी भारत ने की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे में यह दुनिया के सामने आएगा, ऐसा दावा किया जा रहा है| ‘साऊथ चायना सी’ पर मालिकाना हक जतानेवाले चीन के दावों का विरोध करने का निर्णय भारत ने लिया है और प्रधानमंत्री मोदी के जापान दौरे में इसकी घोषणा की जायेगी| अबतक इस सागरी विवाद में भारत ने चीन को ठेस न पहुँचानेवाली नीति अपनाई थी|

‘एनएसजी’ भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता को विरोध कर और ‘मौलाना मसूद अझहर’ इस आतंकवादी नेता पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की कारवाई रोककर चीन ने भारत के खिलाफ निर्णय लेना जारी रखा है| साथ ही, पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर (पीओके) के भूभाग से ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ परियोजना शुरू करके, चीन इस परियोजना के सिलसिले में भारत की भावनाओं की ओर अनदेखा कर रहा है| इस पृष्ठभूमि पर, चीन को भारत सबक सिखाएँ, ऐसी माँग क्रोधित भारतीय लोगों द्वारा की जा रही है| अब भारत सरकार ने भी इस के लिए खास तैयारी की है ऐसा दिखाई दे रहा है|

प्रधानमंत्री मोदी के जापान दौरे में ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र के सिलसिले में भारत ठोस भूमिका अपनानेवाला है| चीन के इस सागरी क्षेत्र पर के दावे के खिलाफ स्पष्ट रूप से भूमिका अपनाकर, भारत ने चीन को जवाब देने की तैयारी की है| कुछ दिन पहले, भारत ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र के विवाद के बारे में स्पष्ट और ठोस भूमिका अपनाएँ, ऐसा आवाहन जापान के विदेशमंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया था| जापान के प्रधानमंत्री  शिंजो ऍबे ने, भारत केवल हिंद महासागर क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में अहम देश है, ऐसा पहले ही घोषित किया है। साथ ही, इस पूरे सागरी क्षेत्र को ‘इंडो पॅसेफिक’ संबोधित करनेवाले ऍबे ये पहले नेता माने जाते हैं| इस पृष्ठभूमि पर, भारत और जापान के बीच राजकीय एवं सामरिक स्तर पर बढ़ रहा सहयोग चीन की चिंता कारण बना है| चीन ने इस सिलसिले में समय-समय पर नाराज़गी प्रदर्शित की है|

भारत जापान से ‘युएस२’ इस सागरी निगरानी करनेवाले विमान की खरीदारी की तैयारी में है| जापान ने भी भारत को यह विमान कम दाम में उपलब्ध करा देने की तैयारी दिखाई है| इस संदर्भ में खबरें आने के बाद, चीन के विदेशमंत्रालय ने तीख़ी प्रतिक्रिया दी थी| इस व्यवहार के साथ बढ़ा हुआ भारत और जापान के बीच का सामरिक सहयोग चीन के खिलाफ़ है, ऐसा दोषारोपण चीन के विदेशमंत्रालय द्वारा लगाया गया था| इस वजह से, भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने यदि अपने संयुक्त बयान में, ‘साऊथ चायना सी’ सहित ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में चल रही चीन की मनमानी के खिलाफ ठोस भूमिका अपनाई, तो चीन की बेचैनी और भी बढ़ सकती है|

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