रोज़ाना कोरोना के १ करोड़ टीके लगाने की तैयारी – नीति आयोग के व्ही.के.पॉल का बयान

कोरोना वैक्सीन की किल्लत सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्‍व में निर्माण हुई है। लेकिन, सिर्फ भारत में ही वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश लगातार हो रही है। अन्य चार कंपनियों की वैक्सीन भी भारत में उपलब्ध हो रही है। इस वजह से टीकाकरण की क्षमता भी बढ़ेगी। यह क्षमता बढ़ाकर रोज़ाना १ करोड़ टीके लगाने की कोशिश हो रही हैं, ऐसा बयान पॉल ने किया है।

१ करोड़ टीकेनई दिल्ली – देश में फिलहाल बीस से बाईस लाख लोगों का टीकाकरण हो रहा है। इससे पहले अप्रैल महीने में हमने एक दिन में ४३ लाख लोगों का टीकाकरण किया था। यानी कि इतनी क्षमता हम रखते हैं। वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ने पर यह क्षमता भी बढ़ेगी। अगले तीन हफ्तों में टीकाकरण की क्षमता बढ़ाकर रोज़ाना ७३ लाख करनी होगी। यह उद्देश्‍य हासिल करने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी होगी। इसके बाद कुछ दिनों में ही भारत रोज़ाना एक करोड़ टीके लगाने की क्षमता भी प्राप्त कर सकेगा। इस नज़रिये से सरकार की कोशिश जारी होने की जानकारी, नीति आयोग के सदस्य व्ही.के.पॉल ने प्रदान की।

‘कोविशिल्ड’ का उत्पादन कर रही ‘सिरम इन्स्टिट्यूट‘ और ‘कोवैक्सीन’ की निर्माणकर्ती ‘भारत बायोटेक’ अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रही हैं। भारत बायोटेक के प्रकल्पों के अलावा अन्य तीन कंपनियाँ अगले कुछ दिनों में कोवैक्सीन का उत्पादन शुरू करेंगी। यानी कि एक ही समय पर चार कंपनियाँ कोवैक्सीन का उत्पादन करेंगी। इससे कोवैक्सीन की उपलब्धता बढ़ेगी, ऐसा पॉल ने कहा।

इसके अलावा अन्य चार वैक्सीन भी भारत में जल्द ही उपलब्ध होंगी। इनमें ‘बायो-ई’ कंपनी के साथ ‘झायडस’ कंपनी की, ‘डीएनए’ पर आधारित वैक्सीन का समावेश होगा। इसके अलावा जिनेवा कंपनी की मैसेंजर आरएनए पर निर्भर वैक्सीन और भारत बायोटेक की ‘नोजल वैक्सीन’ भी उपलब्ध होंगी। इन चार वैक्सीन के उत्पादन के लिए, कोविड सुरक्षा योजना के तहत केंद्र सरकार आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। इसके अलावा तकनीकी सहायता भी ‘नैशनल लैब’ की मदद से प्रदान करने की ओर पॉल ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही भारत बायोटेक ने विकसित की हुई, एक ही डोस की आवश्‍यकता होनेवाली नोजल वैक्सीन गेम चेंजर साबित होगी, यह बयान भी पॉल ने इस दौरान किया।

इसके अलावा फायजर और मॉडर्ना कंपनी की वैक्सीन प्राप्त करने के लिए भी लगातार चर्चा हो रही है, यह बात भी पॉल ने स्पष्ट की। छोटे बच्चों का टीकाकरण करने के नज़रिये से भी तेज़ कदम बढ़ाए जा रहे हैं। कोवैक्सीन की छोटे बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए पहले ही अनुमति प्रदान की गई है। अब सिरम इन्स्टिट्यूट ने छोटे बच्चों के लिए तैयार हुई ‘नोवावैक्स’ का परीक्षण करने की अनुमति माँगी है, यह जानकारी भी पॉल ने साझा की। वैश्‍विक स्वास्थ्य संगठन ने अबतक, छोटे बच्चों का टीकाकरण करने पर ध्यान देने की कोई भी सिफ़ारिश नहीं की है। क्योंकि छोटे बच्चों को विषाणु की बाधा होने की मात्रा को मद्देनजर किया, तो प्राथमिकता के स्तर पर छोटे बच्चों का विचार नहीं किया जाता। लेकिन, कुछ देशों ने छोटे बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है, इस ओर भी पॉल ने ध्यान आकर्षित किया।

केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन की सप्लाई खंड़ित होने के आरोप गलत होने का बयान पॉल ने किया। राज्यों की माँग के अनुसार टीकाकरण की नीति भी लचिली की गई हैं। राज्यों को भी वैक्सीन की खरीद एवं निजी अस्पतालों को सीधे कंपनियों से वैक्सीन खरीदने के अधिकार बहाल किए गए हैं। इसके अनुसार निर्माण हो रही ५० प्रतिशत वैक्सीन केंद्र सरकार को प्राप्त होगी और शेष राज्य सरकार एवं निजी अस्पतालों को खरीदने को कहा गया है। फिलहाल राज्य सरकारें, उत्पादित हो रहीं कुल वैक्सीन में से २५ प्रतिशत वैक्सीन की खरीद कर रहे हैं, ऐसा पॉल ने कहा।

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