‘मसूद अझहर’ मसले पर भारत और चीन में मतभेद तीव्र

नई दिल्ली, दि. १०: ‘मसूद अझहर’ पर की जानेवाली संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई पर भारत और चीन के बीच के मतभेद धीरे धीरे तीव्र होने लगे हैं| अझहर पर की कार्रवाई रोकने के लिए चीन का भारत ने अधिकृत स्तर पर निषेध दर्ज़ किया है| इस मामले में चीन से बातचीत कर भारत की भूमिका समझाकर बतायी जायेगी, ऐसी कुछ नरमाई की नीति भारत ने अब तक अपनायी थी| लेकिन अधिकृत स्तर पर ऐतराज़ जताकर भारत ने चीन को इस मामले में कड़ी चेतावनी दी है| इसपर सावधानी की भूमिका अपनाते हुए, चीन के विदेश मंत्रालय ने, नियमों का आधार लेकर अझहर का बचाव करने की नीति का समर्थन किया है|

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अझहर मामले में चीन ने अपनायी हुई नीति पर भारत ने चीन के राजदूत के पास निषेध व्यक्त किया है| साथ ही, चीन की राजधानी बीजिंग स्थित भारतीय राजदूत भी चीन सरकार के पास इस बारे में भारत की नाराज़गी जता रहे हैं, ऐसी जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने दी| मसूद अझहर मामले में सुरक्षापरिषद के सभी देशों की सहमती हों, ऐसी उम्मीद चीन ने हाल ही में जताई थी| इस बारे में बात करते हुए विकास स्वरूप ने, चीन यदि अपनी अझहरविषयक नीति में बदलाव लायें, तो सहमति यक़ीनन ही मुमक़िन है, ऐसा ताना चीन को मारा| सुरक्षापरिषद के स्थायी सदस्य देश रही अमरीका ने, ‘अझहर’ पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव कुछ दिन पहले रखा था| इस प्रस्ताव को ब्रिटन और फ्रान्स का समर्थन है|

इसलिए, अझहर पर की कार्रवाई के मार्ग में केवल चीन का विरोध हो रहा है, इसका एहसास भारत द्वारा दिलाया जा रहा है| अधिकृत स्तर पर निषेध करके भारत ने हालाँकि आक्रामक नीति अपनाई है, लेकिन चीन इस पर सँभलकर प्रतिक्रिया दे रहा है| चीन यह सुरक्षा परिषद का जिम्मेदार सदस्यदेश है और सभी सदस्य देशों ने नियमों का पालन करना चाहिए, ऐसी चीन की उम्मीद है, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कँग ने कहा है| तांत्रिक कारणों का बहाना बनाकर चीन ने भारत और अमरीका का, अझहर पर की कार्रवाई का प्रस्ताव रोक दिया है और इस भूमिका से चीन पीछे हटेगा नहीं, ऐसा दावा कँग की प्रतिक्रिया द्वारा दिखायी दे रहा है|

इसी दौरान, ‘अझहर’ को बचाने के चीन के रवय्यै के पीछे ‘क्षेत्रीय संतुलन’ रखना यह हेतु है, ऐसा दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस चीन के सरकारी अखबार ने किया| आतंकवादियों पर कार्रवाई करने की अपेक्षा, चीन को ‘क्षेत्रीय संतुलन’ अर्थात भारत और पाकिस्तान के बीच का संतुलन बरक़रार रखना ज़्यादा महत्त्वपूर्ण लगता है| इसका मतलब, अझहर पर सुरक्षा परिषद ने प्रतिबंध लगायें, तो पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों का रिश्ता और भी बहुत दृढ़ता से दुनिया के सामने आयेगा और इसके कारण पाकिस्तान को ‘आतंकवादी देश’ घोषित करना आसान हो जायेगा, ऐसा चिनी अखबार का कहना है| इसी कारण, भारत अझहर पर कार्रवाई हों, इसलिए अत्यधिक कोशिश कर रहा है| लेकिन भारत को इस मोरचे पर सफलता मिलना चीन के हितसंबंधो के लिये ख़तरनाक होगा, ऐसा कहकर, ‘अझहर’ को बचाने के लिए चीन ने अपनायी भूमिका उचित है, ऐसा दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है|

दलाई लामा की अमरीका यात्रा पर चीन के सरकारी अखबार द्वारा विदेशी भारतीयों की आलोचना

मझूद अझहर जैसे आंतर्राष्ट्रीय आतंकी को बचाने के लिए नकाराधिकार का इस्तेमाल करनेवाले चीन ने, दलाई लामा जैसे आदरणीय बौद्धधर्मगुरू और तिबेटी नेता के बारे में बिलकुल अलग भूमिका अपनायी है| अमरीका स्थित भारतीयों ने आयोजित किये एक कार्यक्रम के लिए दलाई लामा को न्यौता दिया गया है| इसपर चीन ने संतप्त प्रतिक्रिया दी होकर, इसके भयंकर परिणाम सहने होंगे, ऐसी धमकी चीन के सरकारी अखबार ने दी|

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अमरीका के कॅलिफोर्निया राज्य के एक विश्वविद्यालय ने दलाई लामा को न्यौता दिया होकर, इस विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रदीप खोसला ये भारतीय मूल के अमरिकी नागरीक हैं, इसपर ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने ग़ौर फ़रमाया है| इसी कारण दलाई लामा को इस कार्यक्रम का न्यौता दिया गया है, ऐसा दावा इस अखबार ने किया| अमरीका स्थित कुछ भारतीय वंश के लोग, इस तरह से भारत एवं चीन के बीच और अमरीका और चीन के बीच झगड़ा बढ़ाने की कोशिशें करते हैं| दलाई लामा को मिला हुआ न्यौता यह इन्हीं लोगों का षड्यंत्र है, ऐसा आरोप भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया|

इससे पहले भी अमरीका और युरोपीय देशों के भारतीय समुदाय ने दलाई लामा के कार्यक्रम का आयोजन किया था, ऐसी कड़ी आलोचना ‘ग्लोबल टाईम्स’ द्वारा की गई| लेकिन चीन, मसूद अझहर जैसे आतंकवादी को अपने तथाकथित हितसंबंधों के लिये बचाते हुए, खुलेआम भारतविरोधी नीति अपना रहा है| ऐसा होते हुए भी, दुनिया भर में सम्मान का स्थान रहनेवाले दलाई लामा को, अमरीका के विद्यापीठ ने दिये निमंत्रण का संबंध भारत के साथ कैसे लगा जा सकता है, इस बात का खुलासा चीन के इस सरकारी अखबार ने नहीं किया है|

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