भारत ‘जी७’ का नैसर्गिक साझेदार देश – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

‘जी७’ का नैसर्गिक साझेदारनई दिल्ली – वर्चस्ववाद, आतंकवाद, हिंसक कट्टरता वाद इनके साथ ही अप प्रचार और आर्थिक जबरदस्ती इन के विरोध में भारत यह ‘जी७’ का नैसर्गिक साझीदार देश साबित होता है, ऐसा सूचक बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। वर्चुअल माध्यम के जरिए जी७ को संबोधित करते समय, प्रधानमंत्री ने कोरोना की महामारी के विरोध में लड़ रहे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ का संदेश दिया। इसके द्वारा प्रधानमंत्री ने कोरोनाप्रतिबंधक टीकों को बुुद्धिसंपदा कानून के दायरे से हटाने का आवाहन जी७ देशों को किया। भारत की इस माँग को दक्षिण अफ्रीका , ऑस्ट्रेलिया और फ्रान्स ने ज़ोरदार समर्थन दिया है।

अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली और जापान इन औद्योगिक दृष्टि से प्रगत देशों के संगठन जी७ की बैठक लंदन में संपन्न हुई। भारत को भी इस बैठक का आमंत्रण था। लेकिन भारत में चल रही कोरोना की महामारी के कारण प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक में प्रत्यक्ष उपस्थित नहीं रह सके। इस बैठक का मेजबान होनेवाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने, वे भारत के प्रधानमंत्री का प्रत्यक्ष रूप में स्वागत नहीं कर सक रहे हैं, इस बात पर खेद ज़ाहिर किया। लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री का इस बैठक में पढ़ा हुआ संदेश बहुत ही गौरतलब साबित हुआ। खासकर ‘वर्चस्ववाद, आतंकवाद, हिंसक कट्टरतावाद इनके साथ ही अपप्रचार और आर्थिक ज़बरदस्ती’ इन जैसी अपप्रवृत्तियों का जिक्र करके, प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और पाकिस्तान को लक्ष्य किया। साथ ही, इसके विरोध में बन रहे मोरचे में भारत जी७ का विश्वसनीय सहयोगी होगा, यह बताकर प्रधानमंत्री ने भारत के सहयोग का महत्व अधोरेखांकित किया।

जी७ के तीन सत्रों को प्रधानमंत्री ने संबोधित यह होने की जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी। इसमें स्वास्थ्य, हवामान बदलाव और ओपन सोसायटीज् इन सत्रों का समावेश है। इनमें से ‘ओपन सोसायटीज्’ यानी खुली समाज व्यवस्था पर आयोजित किए चर्चासत्र में बात करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने, लोकतंत्र और आज़ादी यह भारत की संस्कृति का मूल बलस्थान होने की बात स्पष्ट की। ऐसे मुक्त समाज को अपप्रचार और साइबर हमले जैसे खतरें संभव हैं, यह बताकर प्रधानमंत्री ने उसपर चिंता ज़ाहिर की। साइबर क्षेत्र लोकतंत्रवाद का पुरस्कार करनेवाला होना चाहिए, उसे मारक साबित होनेवाला नहीं, ऐसी उम्मीद प्रधानमंत्री ने ज़ाहिर की।

इन दिनों, अन्तर्राष्ट्रीय माध्यमों का एक गुट भारत को लोकतंत्र की नसीहत देकर भारत विरोधी अपप्रचार कर रहा है। प्रधानमंत्री के बयानों के पीछे इसका संदर्भ होने की बात सामने आ रही है। एकाधिकारशाही और तानाशाही के लिए कुविख्यात होनेवाले देशों को लक्ष्य करने के बजाय, भारत जैसे लोकतंत्रवादी देशों के विरोध में अपप्रचार करनेवाले अन्तर्राष्ट्रीय माध्यमों के गुट को, प्रधानमंत्री ने अपने इस भाषण से खरी-खरी सुनाई दिख रही है।

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